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संतकबीरनगर-विश्व धरोहर सप्ताह के प्रथम दिवस पर व्याख्यान का आयोजन - Satyamev Times Media Network.
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सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है     संतकबीरनगर। उ0 प्र0 राज्य पुरातत्त्व विभाग, लखनऊ द्वारा संत कबीर विद्यापीठ, मगहर में विश्व धरोहर सप्ताह के प्रथम दिवस पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। संत कबीर नगर-परिक्षेत्र की ऐतिहासिक एवं पुरातात्त्विक धरोहर विषय पर क्षेत्रीय पुरातत्त्व अधिकारी डॉ0 कृष्ण मोहन दुबे ने व्याख्यान दिया। महाविद्यालय के प्रबंधक राकेश मिश्र ने विषय प्रवर्तन करते हुए संत कबीर नगर का विस्तृत इतिहास बताया। उन्होंने बताया कि परिक्षेत्र समस्त धार्मिक प्रवृत्तियों का क्षेत्र रहा है। यहां बुद्ध भी हैं राम भी है कृष्ण भी हैं और कबीर भी हैं। पुरातात्त्विक दृष्टि से भी यह परिक्षेत्र अति समृद्ध है। जहां लहुरादेवा से धान की खेती के प्राचीनतम प्रमाण मिलते हैं वहीं नरहन से सरसो की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य उपलब्ध हैं। डॉ0 दुबे ने बताया कि इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं है। उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्त्व विभाग द्वारा जनपद में तीन स्मारक/पुरास्थल; संत कबीर की समाधि एवं मजार, कोपिया तथा लहुरादेवा, संरक्षित किए गए हैं। पुरातत्त्व विभाग के अलावा आम जन का भी यह कर्तव्य है की वो अपने धरोहर को जाने समझे तथा उसे संरक्षित करने का प्रयास करे। विश्व धरोहर सप्ताह मानने की सार्थकता इसी में है की आम जन अपने धरोहर के प्रति जागरूक हो तथा उसके संवर्धन एवं संरक्षण का प्रयास करे। ग्रामीणों द्वारा लहुरादेवा पुरास्थल पर अतिक्रमण का प्रयास किया जा रहा है जो न सिर्फ निंदनीय है अपितु दंडनीय भी है। ग्रामीणों को ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए।

संतकबीरनगर-विश्व धरोहर सप्ताह के प्रथम दिवस पर व्याख्यान का आयोजन

 

 

संतकबीरनगर। उ0 प्र0 राज्य पुरातत्त्व विभाग, लखनऊ द्वारा संत कबीर विद्यापीठ, मगहर में विश्व धरोहर सप्ताह के प्रथम दिवस पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। संत कबीर नगर-परिक्षेत्र की ऐतिहासिक एवं पुरातात्त्विक धरोहर विषय पर क्षेत्रीय पुरातत्त्व अधिकारी डॉ0 कृष्ण मोहन दुबे ने व्याख्यान दिया। महाविद्यालय के प्रबंधक राकेश मिश्र ने विषय प्रवर्तन करते हुए संत कबीर नगर का विस्तृत इतिहास बताया। उन्होंने बताया कि परिक्षेत्र समस्त धार्मिक प्रवृत्तियों का क्षेत्र रहा है। यहां बुद्ध भी हैं राम भी है कृष्ण भी हैं और कबीर भी हैं। पुरातात्त्विक दृष्टि से भी यह परिक्षेत्र अति समृद्ध है। जहां लहुरादेवा से धान की खेती के प्राचीनतम प्रमाण मिलते हैं वहीं नरहन से सरसो की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य उपलब्ध हैं। डॉ0 दुबे ने बताया कि इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं है। उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्त्व विभाग द्वारा जनपद में तीन स्मारक/पुरास्थल; संत कबीर की समाधि एवं मजार, कोपिया तथा लहुरादेवा, संरक्षित किए गए हैं। पुरातत्त्व विभाग के अलावा आम जन का भी यह कर्तव्य है की वो अपने धरोहर को जाने समझे तथा उसे संरक्षित करने का प्रयास करे। विश्व धरोहर सप्ताह मानने की सार्थकता इसी में है की आम जन अपने धरोहर के प्रति जागरूक हो तथा उसके संवर्धन एवं संरक्षण का प्रयास करे। ग्रामीणों द्वारा लहुरादेवा पुरास्थल पर अतिक्रमण का प्रयास किया जा रहा है जो न सिर्फ निंदनीय है अपितु दंडनीय भी है। ग्रामीणों को ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए।

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