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उत्तरप्रदेश - यूपी नगर निकाय चुनाव:आरक्षण को लेकर HC में विचाराधीन याचिका पर शनिवार को होगी सुनवाई - Satyamev Times Media Network.
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सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है   लखनऊ - उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में विचाराधीन याचिका पर अब शनिवार को सुनवाई होगी।इस तरह निकाय चुनाव को लेकर इंतजार एक बार फिर बढ़ गया है।हाईकोर्ट ने यह आदेश रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय और अन्य की जनहित याचिकाओं पर दिया। बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है। राज्य सरकार द्वारा दाखिल किए गए जवाबी हलफनामे में कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए।ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई है। इस पर सरकार ने कहा कि पांच दिसंबर 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इसका प्रावधान है। जनहित याचिकाओं में निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का उचित लाभ दिए जाने और सीटों के रोटेशन के मुद्दे उठाए गए हैं। याचियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत जब तक राज्य सरकार तिहरे परीक्षण की औपचारिकता पूरी नहीं करती तब तक ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं दिया जा सकता, लेकिन राज्य सरकार ने ऐसा कोई परीक्षण नहीं किया। याचियों ने यह भी दलील दी कि यह औपचारिकता पूरी किए बगैर सरकार ने गत पांच दिसंबर को अंतिम आरक्षण की अधिसूचना के तहत ड्राफ्ट आदेश जारी कर दिया। इससे यह साफ है कि राज्य सरकार ओबीसी को आरक्षण देने जा रही है। साथ ही सीटों का रोटेशन भी नियमानुसार किए जाने की गुजारिश की गई है। याचियों ने इन कमियों को दूर करने के बाद ही चुनाव की अधिसूचना जारी किए जाने का आग्रह किया है।

उत्तरप्रदेश – यूपी नगर निकाय चुनाव:आरक्षण को लेकर HC में विचाराधीन याचिका पर शनिवार को होगी सुनवाई

 

लखनऊ – उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में विचाराधीन याचिका पर अब शनिवार को सुनवाई होगी।इस तरह निकाय चुनाव को लेकर इंतजार एक बार फिर बढ़ गया है।हाईकोर्ट ने यह आदेश रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय और अन्य की जनहित याचिकाओं पर दिया। बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। इसका सामाजिक, आर्थिक अथवा शैक्षिक पिछड़ेपन से कोई लेना देना नहीं है। ऐसे में ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है।

राज्य सरकार द्वारा दाखिल किए गए जवाबी हलफनामे में कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा है कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए।ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किन प्रावधानों के तहत निकायों में प्रशासकों की नियुक्ति की गई है। इस पर सरकार ने कहा कि पांच दिसंबर 2011 के हाईकोर्ट के फैसले के तहत इसका प्रावधान है।

जनहित याचिकाओं में निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का उचित लाभ दिए जाने और सीटों के रोटेशन के मुद्दे उठाए गए हैं। याचियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत जब तक राज्य सरकार तिहरे परीक्षण की औपचारिकता पूरी नहीं करती तब तक ओबीसी को कोई आरक्षण नहीं दिया जा सकता, लेकिन राज्य सरकार ने ऐसा कोई परीक्षण नहीं किया। याचियों ने यह भी दलील दी कि यह औपचारिकता पूरी किए बगैर सरकार ने गत पांच दिसंबर को अंतिम आरक्षण की अधिसूचना के तहत ड्राफ्ट आदेश जारी कर दिया। इससे यह साफ है कि राज्य सरकार ओबीसी को आरक्षण देने जा रही है। साथ ही सीटों का रोटेशन भी नियमानुसार किए जाने की गुजारिश की गई है। याचियों ने इन कमियों को दूर करने के बाद ही चुनाव की अधिसूचना जारी किए जाने का आग्रह किया है।

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