सांच को आंच नही, सत्य परेशान हो सकता है पराजित नही की कहावत संतकबीर नगर जिले के मेंहदावल में उस वक्त चरितार्थ हुई जब विपक्षी के द्वारा निवर्तमान नगर पंचायत अध्यक्षा श्रीमती प्रमिला जायसवाल के खिलाफ दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
आइए जानते है कि क्या है पूरा मामला !
निवर्तमान चेयरमैन व उनके प्रतिनिधि तथा पति पूर्व चेयरमैन मोतीलाल जायसवाल के खिलाफ बीते साल से लेकर अबतक विपक्षियों ने आय से अधिक संपत्ति मामले को लेकर उनके द्वारा कराए गए विकास कार्यों की तमाम जांच कराई। हर मुश्किलों और बाधाओं को टालने वाले पूर्व चेयरमैन मोतीलाल जायसवाल ने सामने आई सभी चुनौतियों का बखूबी मुकाबला करते हुए विपक्षियों को तगड़ा जबाव देते हुए विपक्ष की हर चाल को नाकाम बना दिया। अभी हालिया समय में जब निवर्तमान अध्यक्षा का कार्यकाल समाप्त हुआ तब एक और विपक्षी मेंहदावल निवासी रामकृष्ण कांदू द्वारा उनके खिलाफ तहसील समाधान दिवस में इस बात की शिकायत की कि निवर्तमान अध्यक्षा प्रमिला जायसवाल का परिवार क्रीमीलेयर की श्रेणी में आता है जिसने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव में जीत दर्ज कर लिया था। राजस्व कर्मियों की जांच में सब कुछ ठीक ठाक मिलने से निराश विपक्षी निवर्तमान चेयरमैन प्रमिला जायसवाल के खिलाफ फर्जी प्रमाण पत्र के मामले में 156 (3 ) के तहत कोर्ट को प्रार्थना पत्र दिया जिसपर सीजेएम कोर्ट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरिकेश कुमार ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता की याचिका को खारिज कर उसे जमकर फटकार भी लगाई और नसीहत दी कि याचिका दायर करने से पहले स्वविवेक का इस्तेमाल किया जाए।
पूर्व चेयरमैन मोतीलाल जायसवाल ने विपक्षियों को दिखाया आईना…..
संबंधित प्रकरण को लेकर पूर्व चेयरमैन मोतीलाल जायसवाल ने नगर इलाके के नायक टोले में एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर याचिकाकर्ता और अन्य विपक्षियों पर हमला बोलते हुए कहा कि 07 जनवरी को मेंहदावल निवासी रामकृष्ण कांदू ने तहसील में समाधान दिवस में प्रार्थना पत्र दिया था कि हमारी पत्नी क्रीमी लेयर में आती हैं और फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवा करके पांच साल पिछड़ी जाति का लाभ लिया। चूँकि यह मिथ्या आरोप था, इसमें कोई सच्चाई नहीं थी, और वहां से कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद उन्होंने न्यायालय का शरण लिया। न्यायालय में उन्होंने 156 (3) के तहत मुकदमा दर्ज करने के लिए न्यायालय से गुहार लगाई थी, माननीय न्यायालय ने उनके आवेदन को खारिज करते हुए 16.03.2023 को आदेश पारित किया है। पूर्व चेयरमैन मोतीलाल जायसवाल ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं, और यह सत्य की जीत हुई है। बार-बार मेरी लोकप्रियता व बढ़ते हुए जनाधार को देखते हुए मेरी लोकप्रियता से घबराकर विरोधी जनता के बीच में न जा करके केवल झूठा मिथ्या आरोप लगा कर के मुझे परेशान करने की कोशिश करते हैं ताकि मैं जनता की सेवा न करके इन्हीं सबके बीच में उलझा रहूं। लेकिन विपक्षियों को अब यह समझ लेना चाहिए कि जनता का आशीर्वाद उनपर बना हुआ है और आगे भी बना रहेगा। उन्होंने कहा कि मैं माननीय न्यायालय का सम्मान करते हुए उनको धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि न्यायालय ने उचित न्याय दिया है इसके लिए मैं न्यायालय के प्रति आभार भी व्यक्त करता हूं।