Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wp-statistics domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home1/digit2gw/satyamevtimes.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home1/digit2gw/satyamevtimes.com/wp-includes/functions.php on line 6114
पप्पू छापड़िया जी कहिन - "मैया, मैं तो चंद-खिलौना लैहौं - Satyamev Times Media Network.
Time in United States now
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है
गोस्वामी सूरदास जी की ये रचना संतकबीरनगर जिले के सपा नेता पवन छापड़िया उर्फ पप्पू छापड़िया पर एकदम सटीक बैठती हैं। क्योंकि वो ऐसी जिद पर अड़ बैठे जो कभी मुमकिन ही नही। पप्पू छापड़िया पर गोस्वामी जी की ये रचना क्यों सटीक बैठती हैं? इसको लेकर हम आपको शत प्रतिशत सच्चाई बताने की कोशिश कर रहें हैं। दरअसल पप्पू छापड़िया मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी से नगर निकाय चुनाव के लिए खलीलाबाद नगर पालिका सीट से उस दिन प्रत्याशी घोषित हुए थे जिस दिन प्रत्याशिता के नामांकन का आखिरी दिन था। इस दिन वो जब अपना नामांकन दाखिल करने खलीलाबाद तहसील कैंपस में पहुंचे तब उन्हें बीजेपी के उम्मीदवार श्याम सुंदर वर्मा नजर आ गए, श्याम सुंदर वर्मा को छोटा भाई और एक विचारधारा का होना बताते हुए उन्होंने "हमारे प्रतिष्ठित समाचार पोर्टल/चैनल" को ये बयान दिया था कि दल भले ही हमारे अलग हैं पर दिल तो एक ही है। श्याम सुंदर वर्मा मेरे छोटे भाई है, हमारी विचारधारा एक है। पप्पू छापड़िया के बयान से जुड़ी ये खबर जब सत्यमेव टाइम्स पर चली तो पूरे प्रदेश में हलचल मच गई, सपा उम्मीदवार का बीजेपी उम्मीदवार के प्रति यह प्रेम और प्रेम से जुड़ी वीडियो जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तक पहुंची तब उन्होंने जिला कमेटी को लखनऊ तलब किया। जिला कमेटी जब लखनऊ पहुंची तब विचार विमर्श के बाद पुनः जगत जायसवाल को सपा से अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुका था, पार्टी के सिंबल से नामांकन दाखिला का हक पप्पू छापड़िया के खाते में आया और जगत जायसवाल पार्टी के घोषित प्रत्याशी होने के बाबजूद निर्दल उम्मीदवार साबित हो गए। जगत को निर्दल से दल बनाने के लिए सबसे जरूरी था कि पप्पू छापड़िया अपना नामांकन वापस कर लें ताकि बैलेट पेपर से साइकिल चुनाव निशान हट जाए। पप्पू जब अपना नामांकन वापस ले लेते तब बैलेट पेपर से साइकल निशान हट जाता और एक प्रेस कांफ्रेंस कर सपा जिला इकाई लोगों को बड़े ही आसानी से अधिकृत प्रत्याशी का आयोग द्वारा जारी चुनाव चिन्ह के बारे में बता सकती थी। सपा के सिंबल से नामांकन दाखिल करने वाले पप्पू छापड़िया को जिला कमेटी लगातार दो दिनों से इसी बात के लिए मना भी रही थी कि वो अपना नामांकन वापस ले ले पर पप्पू छापड़िया तो जिद्दी पप्पू ही निकले, उन्होंने सपा के वरिष्ठ नेताओं और संगठन की एक न सुनी, वो तो एक बच्चे की तरह इसी जिद पर अड़े रहे कि पार्टी ने जब उन्हे टिकट दिया तो चुनाव साइकल निशान पर ही वो लड़ेंगे, पर्चा वापसी के आखिरी दिन सपाइयों समेत मीडिया कर्मी भी उनके घर पर डेरा डाले रहे लेकिन वो किसी से नहीं मिले। खबर यह है कि उन्होंने सपा से दाखिल किए खुद के नामांकन को वापस नहीं लिया। इसके पीछे जो खबर सूत्रों के हवाले से निकलकर सामने आ रही है वो यह है कि पप्पू छापड़िया सत्तारूढ़ दल के आकावों से मैनेज हो गए है। सपा को नुक्सान पहुंचाने के लिए वो सत्तारूढ़ दल का साथ दे रहें है। उनके इस कार्य में सपा के एक बड़े नेता की भी मौन स्वीकृति है जो उन्हे टिकट दिलवाने में मदत किए थे। हालांकि एक और भी खबर सूत्र बता रहें हैं कि जिस बड़े नेता ने उन्हे टिकट दिलाया था उसी के कहने पर वो ३० अप्रैल को खुले मंच से ये घोषणा कर देंगे कि किसी वजह से वो पर्चा भले ही वापस नहीं कर सके हैं जिसके लिए किसी को घबड़ाने या परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि सपा का एक निष्ठावान कार्यकर्ता होने के नाते मेरी ये जिम्मेदारी बनती है कि मैं ये बात जनता के सामने कह सकूं कि जगत ही सपा के अधिकृत प्रत्याशी है, उन्हे जिताने के लिए हम सब मेहनत करेंगे जिसके चलते सपा प्रत्याशी जगत जी की बड़ी जीत होगी। फिर चाहे जो भी चुनाव चिन्ह हो।

पप्पू छापड़िया जी कहिन – “मैया, मैं तो चंद-खिलौना लैहौं

गोस्वामी सूरदास जी की ये रचना संतकबीरनगर जिले के सपा नेता पवन छापड़िया उर्फ पप्पू छापड़िया पर एकदम सटीक बैठती हैं। क्योंकि वो ऐसी जिद पर अड़ बैठे जो कभी मुमकिन ही नही। पप्पू छापड़िया पर गोस्वामी जी की ये रचना क्यों सटीक बैठती हैं? इसको लेकर हम आपको शत प्रतिशत सच्चाई बताने की कोशिश कर रहें हैं। दरअसल पप्पू छापड़िया मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी से नगर निकाय चुनाव के लिए खलीलाबाद नगर पालिका सीट से उस दिन प्रत्याशी घोषित हुए थे जिस दिन प्रत्याशिता के नामांकन का आखिरी दिन था। इस दिन वो जब अपना नामांकन दाखिल करने खलीलाबाद तहसील कैंपस में पहुंचे तब उन्हें बीजेपी के उम्मीदवार श्याम सुंदर वर्मा नजर आ गए, श्याम सुंदर वर्मा को छोटा भाई और एक विचारधारा का होना बताते हुए उन्होंने “हमारे प्रतिष्ठित समाचार पोर्टल/चैनल” को ये बयान दिया था कि दल भले ही हमारे अलग हैं पर दिल तो एक ही है। श्याम सुंदर वर्मा मेरे छोटे भाई है, हमारी विचारधारा एक है। पप्पू छापड़िया के बयान से जुड़ी ये खबर जब सत्यमेव टाइम्स पर चली तो पूरे प्रदेश में हलचल मच गई, सपा उम्मीदवार का बीजेपी उम्मीदवार के प्रति यह प्रेम और प्रेम से जुड़ी वीडियो जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव तक पहुंची तब उन्होंने जिला कमेटी को लखनऊ तलब किया। जिला कमेटी जब लखनऊ पहुंची तब विचार विमर्श के बाद पुनः जगत जायसवाल को सपा से अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुका था, पार्टी के सिंबल से नामांकन दाखिला का हक पप्पू छापड़िया के खाते में आया और जगत जायसवाल पार्टी के घोषित प्रत्याशी होने के बाबजूद निर्दल उम्मीदवार साबित हो गए। जगत को निर्दल से दल बनाने के लिए सबसे जरूरी था कि पप्पू छापड़िया अपना नामांकन वापस कर लें ताकि बैलेट पेपर से साइकिल चुनाव निशान हट जाए। पप्पू जब अपना नामांकन वापस ले लेते तब बैलेट पेपर से साइकल निशान हट जाता और एक प्रेस कांफ्रेंस कर सपा जिला इकाई लोगों को बड़े ही आसानी से अधिकृत प्रत्याशी का आयोग द्वारा जारी चुनाव चिन्ह के बारे में बता सकती थी। सपा के सिंबल से नामांकन दाखिल करने वाले पप्पू छापड़िया को जिला कमेटी लगातार दो दिनों से इसी बात के लिए मना भी रही थी कि वो अपना नामांकन वापस ले ले पर पप्पू छापड़िया तो जिद्दी पप्पू ही निकले, उन्होंने सपा के वरिष्ठ नेताओं और संगठन की एक न सुनी, वो तो एक बच्चे की तरह इसी जिद पर अड़े रहे कि पार्टी ने जब उन्हे टिकट दिया तो चुनाव साइकल निशान पर ही वो लड़ेंगे, पर्चा वापसी के आखिरी दिन सपाइयों समेत मीडिया कर्मी भी उनके घर पर डेरा डाले रहे लेकिन वो किसी से नहीं मिले। खबर यह है कि उन्होंने सपा से दाखिल किए खुद के नामांकन को वापस नहीं लिया। इसके पीछे जो खबर सूत्रों के हवाले से निकलकर सामने आ रही है वो यह है कि पप्पू छापड़िया सत्तारूढ़ दल के आकावों से मैनेज हो गए है। सपा को नुक्सान पहुंचाने के लिए वो सत्तारूढ़ दल का साथ दे रहें है। उनके इस कार्य में सपा के एक बड़े नेता की भी मौन स्वीकृति है जो उन्हे टिकट दिलवाने में मदत किए थे। हालांकि एक और भी खबर सूत्र बता रहें हैं कि जिस बड़े नेता ने उन्हे टिकट दिलाया था उसी के कहने पर वो ३० अप्रैल को खुले मंच से ये घोषणा कर देंगे कि किसी वजह से वो पर्चा भले ही वापस नहीं कर सके हैं जिसके लिए किसी को घबड़ाने या परेशान होने की जरूरत नहीं क्योंकि सपा का एक निष्ठावान कार्यकर्ता होने के नाते मेरी ये जिम्मेदारी बनती है कि मैं ये बात जनता के सामने कह सकूं कि जगत ही सपा के अधिकृत प्रत्याशी है, उन्हे जिताने के लिए हम सब मेहनत करेंगे जिसके चलते सपा प्रत्याशी जगत जी की बड़ी जीत होगी। फिर चाहे जो भी चुनाव चिन्ह हो।

Leave a Reply

error: Content is protected !!