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4.90 लाख की आरसी निरस्त, उपभोक्ता को रुपए 1.73 लाख अदा करे विद्युत विभाग

  • अद्विक लीगल कंसल्टेंसी के माध्यम से दाखिल हुआ था मुकदमा
  • जिला उपभोक्ता आयोग ने विद्युत विभाग के खिलाफ सुनाया फैसला
    संतकबीरनगर : विद्युत विभाग की मनमानी कोर्ट में भारी पड़ गई। विभाग ने एक उपभोक्ता के खिलाफ रुपए चार लाख नब्बे हजार 896 का वसूली अधिपत्र फरवरी 2021 में जारी किया था, लेकिन मामला उल्टा पड़ गया। न्यायालय ने विद्युत बिल के रुप में जमा कराए गए अधिक धनराशि रुपए एक लाख 13 हजार 573 जनवरी 2021 से 10% ब्याज के साथ रुपए 60 हजार अतिरिक्त अदा करने का आदेश दिया है। उक्त फैसला जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सिंह व महिला सदस्य संतोष ने सुनाया है। मामला घनघटा तहसील के पिपरा ओनिया गांव का है।
    घनघटा तहसील के पिपरा ओनिया गांव निवासी मोतीलाल सिंह ने अद्विक लीगल कंसल्टेंसी के माध्यम से मुकदमा दाखिल कर कहा कि उन्होंने फरवरी 2007 में आटा चक्की चलाने के लिए 7.5 एचपी का औद्योगिक विधा का विद्युत कनेक्शन लिया था। वह प्रत्येक माह बिल का भुगतान करते रहे। विभाग द्वारा भुगतान किया गया रकम घटाया नही जाता था। यह कहा जाता था कि वह ठीक हो जाएगा। अचानक मीटर तेज चलने लगा। काफी भाग दौड़ करने के बाद मीटर बदला गया। नया मीटर और तेज चलने लगा। कई बार शिकायत के बाद भी मीटर नही बदला गया। विभाग के कर्मचारियों के कहने पर हर माह रुपए पांच हजार बिल जमा करने लगे। इसके बाद भी बिल दुरुस्त नही किया गया। थक हार कर उन्होंने आटा चक्की का कारोबार बंद कर मशीन बेंच दिया और स्थाई विच्छेदन कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। 11 सितंबर 2019 को सभी बकाया 38 हजार 321 जमा कर दिया। दिनांक 5 नवम्बर 2019 को रुपए एक लाख 83 हजार 808 जमा करने की डिमांड नोटिस भेजी गई। पुनः परेशान होकर भाग दौड़ किए। विद्युत विभाग द्वारा अनावश्यक रुप से रीकनेक्शन डिसकनेक्शन शुल्क रुपए एक हजार जमा कराकर बिल दुरुस्त करने की बात कही गई तथा दिनांक 14 जनवरी 2020 को विभाग द्वारा स्थाई विच्छेदन फार्म भरवाया गया। मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नही हुई। बार-बार शिकायत करने के बाद रुपए चार लाख 48 हजार 520 का बकाया नोटिस भेजते हुए एक चेक मीटर लगाया गया। प्रयोगशाला रिपोर्ट में मीटर 945% तेज गति से चलना सिद्ध हुआ। बावजूद इसके बिल दुरुस्त नही किया गया। विभाग अपने ही प्रयोगशाला रिपोर्ट को भ्रामक बता कर रुपए एक लाख तीन हजार 262 जमा कराया और बकाया बिल समाप्त करने का आश्वासन दिया। पुनः विभाग द्वारा पहले रुपए चार लाख 51 हजार 959 की डिमांड नोटिस भेजी गई। उसके बाद रुपए चार लाख नब्बे हजार 896 की वसूली अधिपत्र जारी कर दिया गया। थक-हार कर न्यायालय की शरण लेना पड़ा।
    न्यायालय ने पत्रावली पर दाखिल प्रपत्रों व साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरांत विद्युत विभाग के खिलाफ फैसला सुनाते हुए चार लाख नब्बे हजार 896 का वसूली अधिपत्र निरस्त कर रुपए एक लाख 13 हजार 573 जनवरी 2021 से 10% ब्याज के साथ क्षतिपूर्ति के रुप में रुपए 60 हजार अतिरिक्त जमा करने का आदेश दिया है।

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