राष्ट्रीय संत सुरक्षा परिषद के तत्वाधान में बुंदेलखण्ड में रामलीला की परंपरा और स्वतंत्रता आंदोलन में सहभागिता पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन राजकीय संग्रहालय में किया गया संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में महामंडलेश्वर राज राजेश्वरानंद गिरी ने कहा बुंदेलखंड की सांस्कृतिक परंपरा पूरे विश्व को प्रेरणा देती है यहां की रामलीला परंपरा ने देश की सांस्कृतिक विरासत को संजोये रखा है राम के चरित्र को निभाने से नवीन पीढ़ी में चारित्रिक विकास होगा बुंदेलखंड के संत ब्रह्मचारी जी ने कहा कि नवीन पीढ़ी को संस्कार और सभ्यता से परिचय कराने का सर्वश्रेष्ठ साधन रामलीला का मंचन ही है। राज्य मंत्री हरगोविंद कुशवाहा ने बुंदेलखंड की प्राचीन संत परंपरा और रामलीला पर अपना व्याख्यान दिया उन्होंने बताया गांव में आज भी प्राचीन रामलीला परंपरा जीवित हैं। इतिहासकार डॉ० चित्रगुप्त ने बताया कि बुंदेलखंड की रामलीला ने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी रामलीला में विदूषक अंग्रेज सरकार का खुलकर मजाक उड़ाते थे और श्रोताओं में आजादी के प्रति उत्साह जगाते थे। चंद्रभान राय ने लक्ष्मण के चरित्र का वर्णन किया, डॉ० बाबूलाल तिवारी ने बुंदेलखंड में रामलीला का स्मरण सुनाये। अंचल अड़जरिया ने रामलीला परंपरा को पुनर्जीवित करने की बात कही। कार्यक्रम में रामलीला के कलाकारों को अतिथियों ने सम्मानित किया सम्मानित होने वाले कलाकारों में रमाशंकर खंताल चिरगांव, संतोष रिछारिया बड़ागांव, डॉ पवन तूफान, अरविंद पटसारिया, रविंद्र कुरेले, महेंद्र कुमार बुधौलिया, अंशुमन तिवारी, संजय तिवारी राष्ट्रवादी, मनोज शर्मा, शीलू पंडित, संजय सिंघाल आदि को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ अंजनी कुमार श्रीवास्तव, सामजय नायक एवं रामेश्वर गिरी का रहा। इस अवसर पर तिलक यादव, समाजसेवी संदीप सरावगी, श्रीराम नरवरिया, डाॅ० मनमोहन मनु, सुदर्शन शिवहरे, मनीष गिरी, राम प्रकाश गुप्ता, मनोज चौरसिया, मुकेश वर्मा, महेश पटेरिया, अतुल वर्मा, प्रमेंद्र सिंह, मृदुल पटेल, संतोष गुप्ता, डॉ० शैलेंद्र खरे, डॉ० ब्रह्मानंद खरे, महेंद्र गिरी, मोहनपुरी, रवि पुरी आदि मौजूद रहे कार्यक्रम के अंत में आभार क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ० एस०के० दुबे ने व्यक्त किया।
PUBLISH BY-MOHD ADNAN DURRANI