21 नवंबर 2015 को ढेबरुआ थाना क्षेत्र के झकहिया में हुए कल्लू चाचा चर्चित हत्याकांड के तीसरे आरोपित इरशाद ने 21 दिसंबर को जिले के सेशन कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। यह आत्मसर्मपण आरोपित ने सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेश के अनुपालन में किया है। वह पिछले छह वर्षों से कानूनी दांव पेच के सहारे मामले से खुद को बचाने की कोशिश कर रहा था। इसके लिए आरोपित ने जिला सत्र न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया था पर मामले से राहत नहीं मिल पाई। सरेंडर किए आरोपित को कोर्ट ने जेल भेज दिया है।
यह था पूरा मामला
21 नवंबर 2015 को ढेबरुआ थाना क्षेत्र के झकहिया गांव निवासी कल्लू चाचा उर्फ फैजुल्लाह हर दिन की तरह मार्निंग वाक पर निकले थे। वह कठेला मोड़ पर पहुंचे ही थे कि एक तेज रफ्तार ट्रक ने अचानक वाहन मोड दिया था। इससे वह उसकी चपेट में आ गए थे और मौके पर उनकी मौत हो गई थी। जिसे पहले दुर्घटना में मौत मना जा रहा था लेकिन 23 नवंबर 2015 को घटना में उस समय मोड़ आ गया था जब उनके बेटे ने अपने पिता के हत्या का शक जताते हुए पुलिस को तहरीर दी थी। तहरीर के आधार पर पुलिस की ओर से किए गए जांच में मामला हत्या का निकलकर सामने आया था।
खुलासे में पुलिस ने बताई थी ये कहानी
कल्लू चाचा हत्याकांड के खुलासे में पुलिस ने बताया था कि झकहिया के प्रधान इरशाद के लेन देन का काम कल्लू चाचा देखते थे। दोनों के बीच लेनदेन को लेकर विवाद चल रहा था। इरशाद ने गांव के ही मशहूर आलम उर्फ राका को सुपारी देकर कल्लू चाचा के हत्या की साजिश रची थी। किसी को हत्या पर शक न हो इसके लिए बलरामपुर जिले के नई बाजार तुलसीपुर निवासी ट्रक चालक सज्जाद को ट्रक चढ़ाकर हत्या करने का मामला डेढ़ लाख रुपये में तय किया गया था। पुलिस मामले की गुत्थी को सुलझाते हुए पहले मशहूर आलम उर्फ राका को इसके बाद फिर सज्जाद को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
सलाखों तक पहुंचाने में लड़नी पड़ी लम्बी लड़ाई
मृतक कल्लू चाचा के बेटे अब्दुल्लाह ने बताया कि अब्बा के हत्यारोपितों को सलाखों तक पहुंचाने में छह वर्षों तक लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट तक उसे जाना पड़ा पर हार नहीं मानी। सभी आरोपितों को सलाखों तक पहुंचा ले गया। उसने बताया कि अब उन्हें सजा दिलाने के बाद ही सुकून मिलेगा।