सिद्धार्थनगर मजदूरों की दशा सुधारने के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित मनरेगा योजना की धारणा से अब जॉब-कार्ड धारक मजदूर ही गायब हो रहे है। जब जिम्मेदार ही इस योजना का लाभ दूसरे जगह से मजदूर लाकर खुद ही लेने लगे तो योजना का क्या होगा मामला नॉगढ तहसील अंतर्गत विकास खंड बर्डपुर के ग्राम पंचायत परसा टोला बहादुरपुर का है जहाँ प्रधान व सचिव ने मनरेगा का कार्य ठेकेदार के माध्यम से कराया जा रहा है और वर्क डिमांड के बाद भी मजदूर बेकार बैठे हैं। वही यहां के ग्रामीणो ने आरोप लगाया कि प्रधान व सचिव पिछले दस दिनों से गांव में मिट्टी का कार्य करा रहे हैं पर उसमें मनरेगा के जॉब-कार्ड धारक कार्य नहीं कर रहे हैं। वे ठेकेदार के मजदूर हैं। रोजगार सेवक ने यह भी कहा है कि ग्राम में लगभग 50 मजदूरों ने कार्य की मांग (वर्क डिमांड) की है। वही रोजगार सेवक की शिकायत को यदि गौर करें तो यह पूरा कार्य ही मनरेगा की धारणा को समाप्त करने जैसा है। रोजगार सेवक की शिकायत यह भी है कि कार्य को शुरू हुए दस दिन हो गए पर प्रधान व सचिव द्वारा मस्टररोल नहीं दिया जा रहा है। नगरा गांव एक मात्र ऐसा गांव नहीं है जहां ऐसा हो रहा है। यह तो नजीर मात्र है। हकीकत यह है कि पूरे जिले में मनरेगा में खुली लूट मची हुई है और प्रशासन तमाशबीन बना हुआ है।
इस बाबत डीसी मनरेगा संजय शर्मा का कहना है कि विकास खंड बर्डपुर के ग्राम बहादुरपुर के ग्रामीणों के आरोप गंभीर हैं मामले की जांच की जाएगी। कहा कि हर हाल में गांव में हो रहे स्कूल के बाउंड्रीवाल कार्य का मस्टररोल रोजगार सेवक के पास ही होना चाहिए और वर्क डिमांड करने वाले मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर कार्य देना भी प्रधान व सचिव की जिम्मेदारी है। वही खण्ड विकास अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा मामला संज्ञान में आया है इसके सम्बन्ध में सचिव से स्पष्टिकरण जारी किया गया है स्पष्टियकरण होने पर सम्बंधित पर उचित कार्यवाही की जागेगी।अब देखना यह है कि मजदूरों को उनका हक देने वाले जिम्मेदार किस प्रकार उनके हक देना का काम करेंगे,या कार्यवाही के नाम पर लीपापोती करके अपने मातहतों को बचाने में लगेंगे।