संतकबीरनगर – विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर दी माइंडस्केप एकेडमी नेहिया खलीलाबाद विद्यालय प्रांगण में बच्चों को पृथ्वी की सुरक्षा के लिए बच्चों को शपथ दिलाकर वृक्षारोपण हेतु जागरूक किया गया तथा विद्यालय प्रांगण में वृक्षारोपण कराया गया।
बच्चों को संबोधित करते हुए विद्यालय के प्रबंधक श्रवण कुमार अग्रहरि ने कहा कि अर्थ डे या पृथ्वी दिवस एक तरह से पूरी दुनिया में एक साथ मनाया जाने वाला एक वार्षिक आयोजन है। जिसे पूरे विश्व में से 192 देश एक साथ 22 अप्रैल के दिन एक साथ मनाते है। इस दिन को सर्वप्रथम 1970 में मनाया गया था और फिर धीरे-धीरे एक नेटवर्क आगे बढ़ता गया और इसे विश्व स्तर पर कई देशों द्वारा स्वीकार कर मनाने का निर्णय लिया गया। साल 1969 में यूनेस्को द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 21 मार्च 1970 को इस दिन को प्रथम बार मनाने का निर्णय लिया गया, परंतु बाद में इसमें कुछ परिवर्तन किए गए और 22 अप्रैल के दिन इसे मनाने का निर्णय लिया गया. यह दिन मुख्य रूप से पुरे विश्व के पर्यावरण सम्बन्धी मुद्दों और कार्यक्रमों पर निर्भर रहता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य शुध्द हवा, पानी और पर्यावरण के लिए लोगों को प्रेरित करना है।
इसका महत्व इसलिए बढ़ जाता है, कि ग्लोबल वार्मिंग के बारे में पर्यावरणविद के माध्यम से हमें पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का पता चलता है. जीवन संपदा को बचाने के लिए पर्यावरण को ठीक रखने के बारे में जागरूक रहना आवश्यक है. जनसंख्या की बढ़ोतरी ने प्राकृतिक संसाधनों पर अनावश्यक बोझ डाल दिया है. इसलिए इसके संसाधनों के सही इस्तेमाल के लिए पृथ्वी दिवस जैसे कार्यकर्मो का महत्व बढ़ गया है. लाइव साइंस आईपीसीसी अर्थात जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल के मुताबिक 1880 के बाद से समुद्र स्तर 20% बढ़ गया है, और यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है. यह 2100 तक बढ़ कर 58 से 92 सेंटीमीटर तक हो सकता है, जो की पृथ्वी के लिए बहुत ही ख़तरनाक है. इसका मुख्य कारण है ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ग्लेशियरों का पिघलना जिसके करण पृथ्वी जलमग्न हो सकती है. आईपीसीसी के पर्यावरणविद के अनुसार 2085 तक मालदीव पूरी तरह से जलमग्न हो सकता है।
पृथ्वी दिवस का महत्व मानवता के संरक्षण के लिए बढ़ जाता है, यह हमें जीवाश्म इंधन के उत्कृष्ट उपयोग के लिए प्रेरित करता है. इसको मनाने से ग्लोबल वार्मिंग के प्रचार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो की हमारे जीवन स्तर में सुधार के लिए प्रेरित करता है।यह उर्जा के भण्डारण और उसके अक्षय के महत्व को बताते हुए उसके अनावश्यक उपयोग के लिए हमे सावधान करता है।कार्बन डाई ऑक्साइड और मीथेन उत्सर्जन की गतिविधियों की वजह से पर्यावरण अपने प्राकृतिक रूप में स्थिर रहता है।1960 के दशक में कीटनाशकों और तेल के फैलाव को लेकर जो जनता ने जागरूकता दिखाई थी, उस जागरूकता की वजह से नई स्वच्छ वायु योजना बनी थी। इस वजह से अब जो भी नया विधुत सयंत्र बनता है, उसमे कार्बन डाइऑक्साइड को कम मात्रा में उत्सर्जित करने के लिए अलग यन्त्र लगाया जाता है।जिससे की पर्यावरण में इसका कम फैलाव हो और नुकसान कम हो।
व्यक्ति इस दुनिया में पर्यावरण से अलग नहीं रह सकता, जो अंतराष्ट्रीय दिवस को छुट्टी का दिन न बना कर दुनिया भर के लोगों को ग्लोबल वार्मिंग के लिए जागरूक करता है और प्रौधोगिकी के क्षेत्र में निवेश करता हो।
इस अवसर पर साहू सर, मंजू गुप्ता, लक्ष्मी मैम, स्वर्णिम त्रिपाठी, अपराजिता सिंह, किरन श्रीवास्तव ,इंदु चौरसिया, संजय कुमार, अभिषेक मद्धेशिया, अभिनव मिश्रा, सहित सभी टीचर उपस्थित रहे।