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सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है आजम खान ने शासन, प्रशासन और पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप, की अभद्र टिप्पणी पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान ने सपा प्रत्याशी आसिम राजा की हार के बाद शासन, प्रशासन, पुलिस पर अपनी भड़ास निकाली। सपा कार्यालय दारुल आवाम पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आजम खान ने शासन, प्रशासन और पुलिस को आड़े हाथों लिया और गंभीर आरोप लगाए। आज़म खान ने अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा कि एक हसीना को यदि हिंदुस्तान के सारे हिजड़ों को दे दो, तो क्या कोई औलाद पैदा हो जाएगी? हिजडी सियासत करने वाले क्या लोकतंत्र का एक नया सवेरा पैदा कर सकते हैं? नहीं कर सकते कोई अंतरराष्ट्रीय आर्गेनाइजेशन यहां आए और कराए चुनाव, जिम्मेदारी ले ले। दुनिया की सबसे ताकतवर फौज यहां आकर लग जाए। ईमानदारी से चुनाव कराने के लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यहां आए और चुनाव कराए। चुनौती देते हैं, खुली चुनौती देते हैं, अगर चुनाव हार जाएंगे राजनीति का मैदान छोड़ देंगे। आजम खान ने मीडिया से नाराजगी जताते और तंज करते हुए कहा कि मीडिया ने अपनी जिम्मेदारी को किस हद तक अदा किया है यह सब आप लोग जानते हैं। मीडिया ने कैमरे में जो दिखाना चाहिए था वह नहीं दिखाया। जिस पर जिम्मेदारी थी, उसी पुलिस ने कई वर्षों से रामपुर को सियासी तौर पर माली तौर पर हमला की तौर पर सामाजिक तौर पर लूट, बर्बाद करके, फर्जी मुकदमें लगा कर अपने दिल को तसल्ली दी है जिससे बड़ी मायूसी होती है। उन्होंने कहा कि तकलीफ इसलिए भी होती है क्योंकि अपने ही वतन में अपने ही हम वतनों का हमारे साथ यह सुलूक है। आजम खान ने कहा कि एक ही तबके वालों को निशाना बनाया गया जबकि जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी जिम्मेदारी यानी उसी तरह लोग थानों में बंद होने चाहिए थे, उसी तरह पगड़ी पर हाथ डालना चाहिए था, उसी हिसाब से टोपी पर हाथ डालना चाहिए था, लेकिन सिर्फ एक ही वर्ग को निशाना बनाया गया। एक ही वर्ग है जो हर नफरत का हकदार है। आजम खान ने कहा कि वतन हमसे कितना खून, कितनी जिल्लत और कितनी कुर्बानी मांगता है। हमसे कितनी घृणा करता है। आखिर इसकी कोई हद तो हो। साथ ही उन्होंने कहा कि आजमगढ़ और रामपुर में जो चुनाव हुआ है, वह चुनाव है ही कहां? इसे आप चुनाव कहेंगे। अगर कोई ऐसा तेजाब है जो हमारे गला देने के लिए काफी हो तो हम इसके लिए भी तैयार हैं। वतन छोड़कर कहां चले जाएं और कौन हमें ले लेगा? उन्होंने शेर पढ़ा कि हम खून की किश्तें तो कई दे चुके लेकिन, ऐ ख़ाक ए वतन कर्ज अदा क्यों नहीं होता। हम अपनी हार पर खुश हैं, लेकिन हमें यह भी मालूम है कि आप अपनी जीत पर खुश नहीं हैं। हमें मालूम है कि आपको मालूम है कि आपकी जीत कैसे हुई है। यह जीत नहीं है, इसी तरह तो आपने प्रदेश की सरकार भी बना ली। हम जीते हैं, हम हारे नहीं हैं। हमारी भी सरकारें रहीं, लेकिन हमने किसी के साथ जवाबी कार्यवाही नहीं की। हम अपनी सरकार में पार्लियामेंट हारे। आज़म खान ने कहा कि शर्म और एहसास दिलाना चाहूंगा तमाम उन ताकतों को, जो लोकतंत्र को कमजोर करने में सिर्फ अपने छोटे-छोटे मफादात के लिए लगी हुई हैं। मीडिया पर हमसे ज्यादा जिम्मेदारी थी, जिसे नहीं निभाया मीडिया ने। खुले बाजार में नहीं बल्कि बंद बाजार में हिंदुस्तान के लोकतंत्र को नीलाम होते हुए देखा, लेकिन नहीं दिखाया। मीडिया ने आंख बंद करली, इसलिए आपकी भी छोटी-छोटी समस्याएं हैं, छोटी-छोटी मुस्कुराहटें हैं आपकी जो छीनी जा सकती थीं। इस जिले की तहजीब को पुलिस के बूटों के नीचे मसला गया है। धोखा दिया है यहां के अधिकारियों ने, पुर अमन चुनाव कराने का वायदा किया था हमसे। कहा कि मुसलमानों के वोट से इतनी ही घृणा है, तो वोट के अधिकार से हमें वंचित कर दिया जाए।

पार्टी प्रत्याशी की हार के बाद “आज़म खान” के बिगड़े बोल, जाने क्या बोल गए आज़म

आजम खान ने शासन, प्रशासन और पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप, की अभद्र टिप्पणी

पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान ने सपा प्रत्याशी आसिम राजा की हार के बाद शासन, प्रशासन, पुलिस पर अपनी भड़ास निकाली। सपा कार्यालय दारुल आवाम पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आजम खान ने शासन, प्रशासन और पुलिस को आड़े हाथों लिया और गंभीर आरोप लगाए।

आज़म खान ने अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा कि एक हसीना को यदि हिंदुस्तान के सारे हिजड़ों को दे दो, तो क्या कोई औलाद पैदा हो जाएगी? हिजडी सियासत करने वाले क्या लोकतंत्र का एक नया सवेरा पैदा कर सकते हैं? नहीं कर सकते

कोई अंतरराष्ट्रीय आर्गेनाइजेशन यहां आए और कराए चुनाव, जिम्मेदारी ले ले। दुनिया की सबसे ताकतवर फौज यहां आकर लग जाए। ईमानदारी से चुनाव कराने के लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यहां आए और चुनाव कराए। चुनौती देते हैं, खुली चुनौती देते हैं, अगर चुनाव हार जाएंगे राजनीति का मैदान छोड़ देंगे।

आजम खान ने मीडिया से नाराजगी जताते और तंज करते हुए कहा कि मीडिया ने अपनी जिम्मेदारी को किस हद तक अदा किया है यह सब आप लोग जानते हैं। मीडिया ने कैमरे में जो दिखाना चाहिए था वह नहीं दिखाया।

जिस पर जिम्मेदारी थी, उसी पुलिस ने कई वर्षों से रामपुर को सियासी तौर पर माली तौर पर हमला की तौर पर सामाजिक तौर पर लूट, बर्बाद करके, फर्जी मुकदमें लगा कर अपने दिल को तसल्ली दी है जिससे बड़ी मायूसी होती है।

उन्होंने कहा कि तकलीफ इसलिए भी होती है क्योंकि अपने ही वतन में अपने ही हम वतनों का हमारे साथ यह सुलूक है।

आजम खान ने कहा कि एक ही तबके वालों को निशाना बनाया गया जबकि जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी जिम्मेदारी यानी उसी तरह लोग थानों में बंद होने चाहिए थे, उसी तरह पगड़ी पर हाथ डालना चाहिए था, उसी हिसाब से टोपी पर हाथ डालना चाहिए था, लेकिन सिर्फ एक ही वर्ग को निशाना बनाया गया। एक ही वर्ग है जो हर नफरत का हकदार है।

आजम खान ने कहा कि वतन हमसे कितना खून, कितनी जिल्लत और कितनी कुर्बानी मांगता है। हमसे कितनी घृणा करता है। आखिर इसकी कोई हद तो हो। साथ ही उन्होंने कहा कि आजमगढ़ और रामपुर में जो चुनाव हुआ है, वह चुनाव है ही कहां? इसे आप चुनाव कहेंगे।

अगर कोई ऐसा तेजाब है जो हमारे गला देने के लिए काफी हो तो हम इसके लिए भी तैयार हैं। वतन छोड़कर कहां चले जाएं और कौन हमें ले लेगा?

उन्होंने शेर पढ़ा कि हम खून की किश्तें तो कई दे चुके लेकिन, ऐ ख़ाक ए वतन कर्ज अदा क्यों नहीं होता।

हम अपनी हार पर खुश हैं, लेकिन हमें यह भी मालूम है कि आप अपनी जीत पर खुश नहीं हैं। हमें मालूम है कि आपको मालूम है कि आपकी जीत कैसे हुई है।

यह जीत नहीं है, इसी तरह तो आपने प्रदेश की सरकार भी बना ली।

हम जीते हैं, हम हारे नहीं हैं।

हमारी भी सरकारें रहीं, लेकिन हमने किसी के साथ जवाबी कार्यवाही नहीं की। हम अपनी सरकार में पार्लियामेंट हारे।

आज़म खान ने कहा कि शर्म और एहसास दिलाना चाहूंगा तमाम उन ताकतों को, जो लोकतंत्र को कमजोर करने में सिर्फ अपने छोटे-छोटे मफादात के लिए लगी हुई हैं। मीडिया पर हमसे ज्यादा जिम्मेदारी थी, जिसे नहीं निभाया मीडिया ने। खुले बाजार में नहीं बल्कि बंद बाजार में हिंदुस्तान के लोकतंत्र को नीलाम होते हुए देखा, लेकिन नहीं दिखाया।

मीडिया ने आंख बंद करली, इसलिए आपकी भी छोटी-छोटी समस्याएं हैं, छोटी-छोटी मुस्कुराहटें हैं आपकी जो छीनी जा सकती थीं।

इस जिले की तहजीब को पुलिस के बूटों के नीचे मसला गया है। धोखा दिया है यहां के अधिकारियों ने, पुर अमन चुनाव कराने का वायदा किया था हमसे। कहा कि मुसलमानों के वोट से इतनी ही घृणा है, तो वोट के अधिकार से हमें वंचित कर दिया जाए।

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