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संतकबीरनगर-अभिभावक व शिक्षक समझें जीवन और दायित्व का महत्व-डॉ. पंकज शुक्ल_रिपोर्ट-जे.पी.निषाद - Satyamev Times Media Network.
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सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है     धर्मसिंहवा/संत कबीर नगर। क्षेत्र के आर सी एम एस पब्लिक स्कूल मेंहदूपार में शनिवार को आयोजित छात्र एवं अभिभावक सम्मेलन.कार्यक्रम की शुरुआत करने से पहले माँ सरस्वती का दीप प्रज्ज्वलित और मालायर्पण कर सभी अभिभावकों एवं छात्राओं का स्वागत करते हुए प्रबंधक डाक्टर पंकज शुक्ल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम विद्यालय एवं छात्र-छात्राओं के आपसी समायोजन को बढ़ाते हैं।छात्र छात्राओं के अभिभावकों में बालमुकुंद पाण्डेय ने कहा कि बच्चों के भविष्य को उज्वल बनाने में शिक्षक का अहम योगदान है। बच्चों में जीवन जीने के सलीके में बहुत बदलाव आ गया है। आज का नागरिक अपना जीवन अपने अंदाज में व्यतीत करना चाहता है। इसमें किसी का हस्तक्षेप करना उसे बिल्कुल पसंद नहीं है। इस जीवन जीने की कला में वह अपनी जिम्मेदारियों से बचने का भी प्रयास कर रहा है। इसका प्रतिकूल प्रभाव परिवार और समाज पर पड़ रहा है। हमें विशेषकर अभिभावकों ओर शिक्षकों का मार्गदर्शन बच्चों के जीवन जीने की शैली को बहुत हद तक प्रभावित करता है। हमें उनकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाते हुए परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों के प्रति भी जागरूक करना होगा। विद्यालय एक उपवन है-- प्रधानाचार्य रितेश मिश्रा विद्यालय भी एक उपवन हैं जहां बच्चे उसके फूल हैं। उन फूलों को हम कैसी शिक्षा से पोषण करते हैं यही उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। जब हम बच्चे का सर्वांगीण विकास की बात करते हैं तो वह केवल किताबी ज्ञान में ही बौद्धिक रूप से सफल नहीं बना रहे हैं बल्कि व्यक्तित्व और विचारों से भी उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। शिक्षकों को बच्चों के समक्ष उदाहरण बनना होगा। बच्चे माता पिता और साथियों की अपेक्षा शिक्षकों के विचार और व्यवहार को जल्दी अनुसरण करते हैं। जब जब अभिभावक यह कहता रहेगा कि बच्चों के लिए उनके पास समय नहीं है तब तब बच्चों के प्रति हम अपनी जिम्मेदारी से दूर भाग रहे हैं। ऐसे में बच्चों को उनके दायित्व के प्रति केवल पढ़ाने मात्र से काम नहीं चलेगा। ऐसे बच्चे किशोर अवस्था तथा युवा अवस्था तक पहुंचते पहुंचते वे अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारण नहीं कर पाते जिस कारण उन्हें अपना जीवन नीरस लगने लगता है। ऐसे में हमें बच्चों में पहले मेरा जीवन का अहसास कराना होगा इसके बाद ही वे अपना दायित्व समझ सकेंगे। छात्राओं की जिम्मेदारी--- बच्चों को अपने जीवन के उद्देश्यों के प्रति जागरूक करना चाहिए। शिक्षण संस्थानों में क्लास मोनिटर बनाने के साथ उन्हें जो जिम्मेदारियां सौंपी जाती है उसका कारण उन्हें जिम्मेदारी बोध कराना है। यही कारण है कि विभिन्न सदनों के माध्यम से बच्चों को कई प्रभार सौंपे जाते हैं। हम सभी शिक्षकों का कर्तव्य बनता है कि समाज व विद्यालय के हर बच्चे को सुसंस्कृत एवं संस्कारी बनाने का प्रयास करें जिससे वह देश व समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बन सके। अनुशासन प्रेम एवं वात्सल्य के साथ दी गई शिक्षा ही विद्यार्थियों को अच्छा नागरिक बना सकती है। इस दौरान अभिभावक अशोक पांडेय, अखिलेश सिंह ,अनिल दुबे, बिरेंद्र वर्मा, शशांक त्रिपाठी ,रमेश ,सोमनाथ, सीमा ,उषा देवी ,मिथिलेश, बिंदु शिक्षक एवं शिक्षिकाएं आशीष उपाध्याय, संजय यादव, रंजनी शुक्ला, आराधना, मनीषा शर्मा, कल्पना दुबे, नेहा पांडेय, रोली आदि लोग उपस्थित रहे।

संतकबीरनगर-अभिभावक व शिक्षक समझें जीवन और दायित्व का महत्व-डॉ. पंकज शुक्ल_रिपोर्ट-जे.पी.निषाद

 

 

धर्मसिंहवा/संत कबीर नगर। क्षेत्र के आर सी एम एस पब्लिक स्कूल मेंहदूपार में शनिवार को आयोजित छात्र एवं अभिभावक सम्मेलन.कार्यक्रम की शुरुआत करने से पहले माँ सरस्वती का दीप प्रज्ज्वलित और मालायर्पण कर सभी अभिभावकों एवं छात्राओं का स्वागत करते हुए प्रबंधक डाक्टर पंकज शुक्ल ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम विद्यालय एवं छात्र-छात्राओं के आपसी समायोजन को बढ़ाते हैं।छात्र छात्राओं के अभिभावकों में बालमुकुंद पाण्डेय ने कहा कि बच्चों के भविष्य को उज्वल बनाने में शिक्षक का अहम योगदान है।
बच्चों में जीवन जीने के सलीके में बहुत बदलाव आ गया है। आज का नागरिक अपना जीवन अपने अंदाज में व्यतीत करना चाहता है। इसमें किसी का हस्तक्षेप करना उसे बिल्कुल पसंद नहीं है। इस जीवन जीने की कला में वह अपनी जिम्मेदारियों से बचने का भी प्रयास कर रहा है। इसका प्रतिकूल प्रभाव परिवार और समाज पर पड़ रहा है। हमें विशेषकर अभिभावकों ओर शिक्षकों का मार्गदर्शन बच्चों के जीवन जीने की शैली को बहुत हद तक प्रभावित करता है। हमें उनकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाते हुए परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों के प्रति भी जागरूक करना होगा।
विद्यालय एक उपवन है– प्रधानाचार्य रितेश मिश्रा
विद्यालय भी एक उपवन हैं जहां बच्चे उसके फूल हैं। उन फूलों को हम कैसी शिक्षा से पोषण करते हैं यही उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। जब हम बच्चे का सर्वांगीण विकास की बात करते हैं तो वह केवल किताबी ज्ञान में ही बौद्धिक रूप से सफल नहीं बना रहे हैं बल्कि व्यक्तित्व और विचारों से भी उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। शिक्षकों को बच्चों के समक्ष उदाहरण बनना होगा। बच्चे माता पिता और साथियों की अपेक्षा शिक्षकों के विचार और व्यवहार को जल्दी अनुसरण करते हैं। जब जब अभिभावक यह कहता रहेगा कि बच्चों के लिए उनके पास समय नहीं है तब तब बच्चों के प्रति हम अपनी जिम्मेदारी से दूर भाग रहे हैं। ऐसे में बच्चों को उनके दायित्व के प्रति केवल पढ़ाने मात्र से काम नहीं चलेगा। ऐसे बच्चे किशोर अवस्था तथा युवा अवस्था तक पहुंचते पहुंचते वे अपने जीवन का उद्देश्य निर्धारण नहीं कर पाते जिस कारण उन्हें अपना जीवन नीरस लगने लगता है। ऐसे में हमें बच्चों में पहले मेरा जीवन का अहसास कराना होगा इसके बाद ही वे अपना दायित्व समझ सकेंगे।

छात्राओं की जिम्मेदारी—
बच्चों को अपने जीवन के उद्देश्यों के प्रति जागरूक करना चाहिए। शिक्षण संस्थानों में क्लास मोनिटर बनाने के साथ उन्हें जो जिम्मेदारियां सौंपी जाती है उसका कारण उन्हें जिम्मेदारी बोध कराना है। यही कारण है कि विभिन्न सदनों के माध्यम से बच्चों को कई प्रभार सौंपे जाते हैं। हम सभी शिक्षकों का कर्तव्य बनता है कि समाज व विद्यालय के हर बच्चे को सुसंस्कृत एवं संस्कारी बनाने का प्रयास करें जिससे वह देश व समाज का एक जिम्मेदार नागरिक बन सके। अनुशासन प्रेम एवं वात्सल्य के साथ दी गई शिक्षा ही विद्यार्थियों को अच्छा नागरिक बना सकती है। इस दौरान अभिभावक अशोक पांडेय, अखिलेश सिंह ,अनिल दुबे, बिरेंद्र वर्मा, शशांक त्रिपाठी ,रमेश ,सोमनाथ, सीमा ,उषा देवी ,मिथिलेश, बिंदु शिक्षक एवं शिक्षिकाएं आशीष उपाध्याय, संजय यादव, रंजनी शुक्ला, आराधना, मनीषा शर्मा, कल्पना दुबे, नेहा पांडेय, रोली आदि लोग उपस्थित रहे।

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