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विश्व एनस्थिसिया दिवस पर जाने माने एनस्थिसिया डॉ संतोष त्रिपाठी से खास बातचीत - Satyamev Times Media Network.
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सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है     [caption id="attachment_15774" align="alignnone" width="300"] ऑपरेशन के दौरान अपनी जिम्मेदारी निभाते डॉ संतोष[/caption] संतकबीरनगर -कल यानी 16 अक्टूबर को मनाये जाने वाले विश्व एनस्थिसिया दिवस के अवसर पर उत्तरप्रदेश के विख्यात एनस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ संतोष त्रिपाठी से सत्यमेव टाइम्स के सम्पादक अजय श्रीवास्तव ने खास बातचीत की। बातचीत के दौरान डॉ संतोष त्रिपाठी ने सभी को विश्व एनस्थिसिया दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष 16 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जाता है, उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सन 1846 में एनस्थिसिया में ईथर के प्रथम उपयोग के उपलक्ष में यह दिवस मनाया जाता हैं जिससे यह सम्भव हो पाया कि एक सुरक्षित शल्य क्रिया बिना किसी पीड़ा के हो सकती है। उन्होंने बताया कि आज 175 साल बीत जाने के बाद लगातार निरंतर इस क्षेत्र मे विकास होता रहा और आज हम आधुनिक विधि से एनस्थिसिया दे कर शल्य क्रिया कराते है मगर इसके बाबजूद आज भी विश्व भर मे लाखों की संख्या मे एक सुरक्षित एनस्थिसिया के ना उपलब्ध होने का जोखिम कभी कभार उठाना पड़ता है। ऐसी स्थित में वर्ल्ड एनस्थिसिया दिवस एक जागरूकता अभियान की तरह इस्तेमाल किया जाता है।प्रत्येक मरीज़ जो कि शल्य क्रिया के लिए जाता है उसे अपने एनस्थिसिया डॉक्टर से मिलना चाहिए और अपने एनस्थिसिया डॉक्टर के अनुभव और योग्यता को जानना चाहिए, लोगों को यह पूछने का भी अधिकार है कि अमुक शल्य क्रिया में किस एनस्थिसिया विधा का इस्तेमाल किया जाएगा और इस विधा के क्या क्या लाभ और जटिलताएं है अथवा सुरक्षित एनस्थिसिया के लिए उसके पास कौन कौन से विकल्प मौजूद है इसमे एनस्थिसिया चिकित्सक को भी लाभ होता है क्योंकि इससे एनस्थिसिया चिकित्सक और मरीज़ में एक विश्वास उत्पन होता है जिसका सीधा-सीधा लाभ शल्य क्रिया के दौरान होता है शल्य क्रिया के दौरान मरीज़ के एनस्थिसिया स्तर, BP और हृदय गति पर एनस्थिसिया चिकित्सक की पैनी निगाह रहती है तथा किसी भी जटिलता के उत्पन्न होने पर वह फौरन इलाज करते है जिला संयुक्त चिकित्सालय संत कबीर नगर में योग्य और अनुभवी एनस्थिसिया डॉक्टर संतोष त्रिपाठी बीमाऱ लोगों के लिए हमेशा उपलब्ध है जो सुरक्षित एनस्थिसिया के बारे मे व सभी उपचार के संबंध मे जिला अस्पताल आने वाले रोगियों और उनके परिजनो को सही परामर्श देते हैं।

विश्व एनस्थिसिया दिवस पर जाने माने एनस्थिसिया डॉ संतोष त्रिपाठी से खास बातचीत

 

 

ऑपरेशन के दौरान अपनी जिम्मेदारी निभाते डॉ संतोष

संतकबीरनगर -कल यानी 16 अक्टूबर को मनाये जाने वाले विश्व एनस्थिसिया दिवस के अवसर पर उत्तरप्रदेश के विख्यात एनस्थिसिया विशेषज्ञ डॉ संतोष त्रिपाठी से सत्यमेव टाइम्स के सम्पादक अजय श्रीवास्तव ने खास बातचीत की। बातचीत के दौरान डॉ संतोष त्रिपाठी ने सभी को विश्व एनस्थिसिया दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष 16 अक्टूबर को यह दिवस मनाया जाता है, उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि सन 1846 में एनस्थिसिया में ईथर के प्रथम उपयोग के उपलक्ष में यह दिवस मनाया जाता हैं जिससे यह सम्भव हो पाया कि एक सुरक्षित शल्य क्रिया बिना किसी पीड़ा के हो सकती है। उन्होंने बताया कि आज 175 साल बीत जाने के बाद लगातार निरंतर इस क्षेत्र मे विकास होता रहा और आज हम आधुनिक विधि से एनस्थिसिया दे कर शल्य क्रिया कराते है मगर इसके बाबजूद आज भी विश्व भर मे लाखों की संख्या मे एक सुरक्षित एनस्थिसिया के ना उपलब्ध होने का जोखिम कभी कभार उठाना पड़ता है। ऐसी स्थित में वर्ल्ड एनस्थिसिया दिवस एक जागरूकता अभियान की तरह इस्तेमाल किया जाता है।प्रत्येक मरीज़ जो कि शल्य क्रिया के लिए जाता है उसे अपने एनस्थिसिया डॉक्टर से मिलना चाहिए और अपने एनस्थिसिया डॉक्टर के अनुभव और योग्यता को जानना चाहिए, लोगों को यह पूछने का भी अधिकार है कि अमुक शल्य क्रिया में किस एनस्थिसिया विधा का इस्तेमाल किया जाएगा और इस विधा के क्या क्या लाभ और जटिलताएं है अथवा सुरक्षित एनस्थिसिया के लिए उसके पास कौन कौन से विकल्प मौजूद है इसमे एनस्थिसिया चिकित्सक को भी लाभ होता है क्योंकि इससे एनस्थिसिया चिकित्सक और मरीज़ में एक विश्वास उत्पन होता है जिसका सीधा-सीधा लाभ शल्य क्रिया के दौरान होता है
शल्य क्रिया के दौरान मरीज़ के एनस्थिसिया स्तर, BP और हृदय गति पर एनस्थिसिया चिकित्सक की पैनी निगाह रहती है तथा किसी भी जटिलता के उत्पन्न होने पर वह फौरन इलाज करते है
जिला संयुक्त चिकित्सालय संत कबीर नगर में योग्य और अनुभवी एनस्थिसिया डॉक्टर संतोष त्रिपाठी बीमाऱ लोगों के लिए हमेशा उपलब्ध है जो सुरक्षित एनस्थिसिया के बारे मे व सभी उपचार के संबंध मे जिला अस्पताल आने वाले रोगियों और उनके परिजनो को सही परामर्श देते हैं।

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