पार्टी को 2014 से ही मिल रहा हार पर हार !
मन की बात……सम्पादकीय
जनहित के मुद्दे पर शासन प्रशासन से लड़ बैठने वाले लठबाज किस्म के सपाइयों का दौर अब नही रहा, जनता के हित की खातिर प्रशासन से टकराने वाले वो सपाई अब नही रहे, नई पौध महज सेल्फी तक सिमट कर रह गयी है। जी हाँ हम बात कर रहें हैं अखिलेश युग के सपाइयों की जो जमीन पर कम सोशल मीडिया मे लड़ते नजर आते हैं। नए युग के सपाई सड़को पर नही बल्कि सोशल मीडिया के जरिये सत्तापक्ष की ताबूत मे आखिरी कील ठोंकने का दिवास्वप्न खुद भी देखते हैं और उम्मीद लगाई जनता को भी दिखाते हैं।
बात संतकबीरनगर जिले की करते हैं जहाँ सेल्फी स्टार सपाइयों के बीच मौजूदा नेतृत्वकर्ता यानी जिलाध्यक्ष गौहर अली खान के लगातार बदतर प्रदर्शन के बाबजूद पार्टी आलाकमान जिला इकाई मे परिवर्तन क्यों नही कर रही है यह एक अबूझ पहेली हैं, मन की बात लिखते समय मुझे अचानक ही पूर्व जिलाध्यक्ष राम प्रकाश यादव याद गये, विनम्र – मृदुभाषी स्वभाव के धनी पूर्व जिलाध्यक्ष राम प्रकाश यादव चमत्कारिक व करिश्माई नेतृत्व कर्ता थे जिनकी अगुआई मे पार्टी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के “कानून के राज” के चुनावी एजेंडे पर पानी फेर पार्टी को जिले मे जबरदस्त फायदा पहुंचाया था, बात वर्ष 2012 की है जब राम प्रकाश यादव जिलाध्यक्ष बने थे, उनके जिलाध्यक्ष बनने के पीछे भी एक सच्ची कहानी ये है कि उस वक्त राम प्रकाश यादव खलीलाबाद विधान सभा सीट से टिकट के प्रबल दावेदार थे, पार्टी आलाकमान यानी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री स्व0 मुलायम सिंह यादव ने डेमेज् कंट्रोल करने के लिए खुद राम प्रकाश यादव को अपने पास बुलाकर उन्हे जिलाध्यक्ष बनाते हुए ये वादा किया था कि तुम योग्य हो, मेहनत कर सरकार बनवावो, विधायकी मत लड़ो, हम किसी से वादा कर चुके है इसलिए तुम्हे जिलाध्यक्ष बना रहे हैं और ये वादा कर रहें हैं कि यदि पार्टी की सरकार बन जायेगी तब तुम्हे मंत्री या एमएलसी बनवा दूंगा। शीर्ष नेतृत्व के इस आश्वासन पर माने राम प्रकाश् यादव ने जिलाध्यक्ष पद स्वीकार करते हुए संगठन को जमीनी स्तर पर इस कदर मजबूत किया कि उसका नतीजा विधानसभा चुनाव परिणाम मे साफ साफ नजर आया, जिले की दो विधान सभा सीटों क्रमशः मेंहदावल व धनघटा की सीट पर पार्टी ने कब्जा जमाया। साल 2012 मे अखिलेश की क्रांति रथ यात्रा को सफल बनाकर अतुलनीय योगदान देने वाले राम प्रकाश यादव अचानक ही सरकार बनने के बाद पार्टी की नजर मे “विलेन” बन गये, बिना समीक्षा अथवा आंतरिक जांच किये ही अखिलेश जी ने उन्हे पार्टी से बर्खास्त कर गौहर को जिलाध्यक्ष बना दिया, एम – वाई फैक्टर को साधने के लिए एक ऐसे काठ के उल्लू को जिलाध्यक्ष बनवा दिए जो लगातार पार्टी की रीढ़ को कमजोर करता चला आ रहा है, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से लेकर 2017 के विधानसभा चुनाव, फिर 2019 लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव मे पार्टी को गर्त मे डुबोने वाला मौजूदा जिलाध्यक्ष आज भी अपनी चापलूसी चाल की बजह से सरदार बना हुआ है। पार्टी का वजूद जिले मे एक डरे हुए मेमने जैसा दिखाई दे रहा है, जनहित के मुद्दों को लेकर कहीं कोई बड़ी लड़ाई 2014 से अबतक नही देखने को मिली, शुक्र ये है कि इस बीच पार्टी और जनहित के लिए लड़ने वाले जयराम पांडेय सक्रिय रहें, जिनके और पूर्व BJP विधायक की जुगलबंदी से पार्टी को जिले की सबसे बड़ी कुर्सी यानी जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी मिली, लड़ाकू किस्म के पूर्व बीजेपी विधायक को पार्टी मे शामिल कराने के बाद मजबूती से खुद चुनाव लड़े और सदर सीट से चुनाव लड़े पूर्व विधायक जय चौबे मामूली अंतरो से भले ही चुनाव हार गये पर ये संदेश दे गये कि हम मिलकर पार्टी को आगे बढ़ाएंगे। पर इन दोनो की मेहनत पर कोई और नही निवर्तमान जिलाध्यक्ष गौहर ही पानी फेर पार्टी को गर्त तक पहुंचा दिए हैं, पार्टी मे एका की भावना कमजोर हुई है, कार्यकर्ताओं का मनोबल लगातार टूट रहा है, कहतें कि एक अच्छे सेनानायक की कमी से बड़ी फ़ौज भी लड़ाई हार जाती है वही कुछ संतकबीरनगर जिले मे भी विगत 08 वर्षो से देखने को मिल रहा है, 2014 मे पार्टी ने जो जिम्मेदारी गौहर को दी उसपर वो खरा नही उतरे जिसका नतीजा ये देखने को मिला कि 2014 हारे, 2015 जिला पंचायत अध्यक्ष बीजेपी के खेमे मे चला गया, 2017 विधानसभा मे पार्टी की दुर्गति हो गयी, 2017 मे पार्टी को किसी भी सीट पर बोहनी तक नही हुई, और इस बीच नगर निकाय चुनाव मे पार्टी को मुंह की खानी पड़ी, फिर 2019 मे गठबंधन प्रत्याशी की बुरी और हालिया 2022 के विधान सभा चुनाव मे पार्टी को चारो खाने चित होना पड़ा जिसके पीछे एक कुशल नेतृत्व का आभाव ही माना जाएगा। खैर बीतते वक्त के साथ शीर्ष नेतृत्व ने कभी हार के कारणों की कभी समीक्षा की होती तो शायद मौजूदा जिलाध्यक्ष आज मौजूदा जिलाध्यक्ष के पद पर नही बने रहते। अब यदि पार्टी 2024 मे मजबूती के साथ सत्तारूढ़ दल यानी बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने और लड़कर जीतना चाहती है तो वो संतकबीरनगर जिले समेत यूपी के हर जिलों की समीक्षा कर नए व ऊर्जावान तथा पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ताओं को जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाए। जिले मे ऐसे कई चेहरे हैं जो किसी परिचय के मोहताज नही, ऐसे चेहरे वर्षो से पार्टी की सेवा करते चले आ रहें हैं। संतकबीरनगर जिले मे ऐसे कुछ चेहरे हैं जो जिलाध्यक्ष बने तो पार्टी को निश्चित तौर पर फायदा होगा। पार्टी यदि एम वाई समीकरण पर ही कायम रहना चाहती है तो कुछ ऐसे नाम मेरे जेहन मे आते हैं जिनको मौका मिलना चाहिए, आप भी मेरी राय से होंगे सहमत
M यानी मुस्लिम लिस्ट पर यदि नजर डाली जाय तो तीन बार लगातार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़कर जीतने वाले पढ़े लिखे योग्य जमीनी नेता मोहम्मद अहमद का नाम पहले आता है, फिर युवजन सभा के पूर्व प्रदेश सचिव व आंटा कला प्रधान एखलाक अहमद जिनकी गिनती उन चुनिंदा ग्राम प्रधानों मे होती है जिनकी कथनी करनी मे कोई अंतर नही होता, हाल ही मे अकल्पनीय वादा निभाकर अखबारों और चैनलों की सुर्खियाँ बनने वाले एखलाक अहमद मे गजब की नेतृत्व क्षमता हैं, इसके अलावा पूर्व जिला पंचायत सदस्य शोएब अहमद नदवी और इशहाक अंसारी भी जिलाध्यक्ष पद के लिए योग्य चेहरें हैं जो गौहर से लाख बेहतर हैं। अब बात वाई यानी यादव चेहरों की करें तो पहला नाम मौजूदा जिला उपाध्यक्ष केडी यादव, पूर्व जिलाध्यक्ष लोरिक यादव, पूर्व महासचिव नित्यानंद यादव, वरिष्ठ नेता कोमल यादव, खलीलाबाद विधानसभा अध्यक्ष रमेश चंद यादव हैं जो बेहतर तरीके से पार्टी को जिले मे मजबूत बनाकर पार्टी का पुराना रुतबा वापस ला सकतें हैं। खैर ये सब मेरे मन की बात है, मेरे मन की बात अखिलेश जी तक पहुंचे या न पहुंचे पर मुझे ये विश्वास है कि पार्टी का हर एक समर्पित कार्यकर्ता मेरी बात से सहमत होगा। इस कड़ी मे बस इतना ही, आगे हम एक नई लेख के साथ हाजिर होंगे आप सभी सपाइयों के पास और बताएंगे आपके निवर्तमान फ्लॉप जिलाध्यक्ष गौहर अली खान की नाक़ामयाबी की कहानी।