संतकबीरनगर। विधिक सेवा दिवस के अवसर पर जिला कारागार में हक़ हमारा भी तो है अभियान के तहत जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, हरीश त्रिपाठी के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव/न्यायिक अधिकारी मीनाक्षी सोनकर द्वारा विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। बंदियों के अधिकारों के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि बंदियों को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 12 जी के तहत विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार है। जिसका तात्पर्य है किसी भी प्रकार के विवाद में निशुल्क रूप से विधिक सलाह, न्यायालय की अनुदेशिकाओं, निर्णयों की प्रतिलिपियां प्राप्त करना, निशुल्क अधिवक्ता की, किसी विचाराधीन मामले अथवा अपील या मामला दायर किए जाने अथवा बचाव करने के लिए पैरवी के लिए सेवा प्राप्त करने से है। बंदियों को वांछित चिकित्सा उपचार, निर्धारित मात्रा गुणवता का नाश्ता भोजन एवं बिस्तर बर्तन प्राप्त करने का अधिकार है। बंदी परिजनों से 15 दिन में एक बार मुलाकात कर सकते हैं। खेलकूद एवं मनोरंजन के साधनों का हक है। बंदी को आपात पैरोल का भी अधिकार है। न्यायाधीश द्वारा बंदियों की जिम्मेदारियों एवं कर्तव्यों के बारे में जानकारी दी गई एवं बताया कि बंदियों को जेल नियमों अधिकारियों के आदेशों की पालना करना चाहिए, साफ स्वच्छ रहना अर्थात अपने शरीर, कपड़ों, बिस्तरों, रहने के स्थान यथा बैरिक वार्ड को स्वच्छ रखना चाहिए। यदि बंदी का व्यवहार शालीन नियमानुकूल रहता है तो ऐसे बंदी को उसके व्यवहार को देखते हुए पैरोल एवं अन्य लाभ जेल प्रशासन द्वारा दिए जा सकते हैं। बंदियों को उनके अधिकारों तथा उनके कल्याण हेतु शासन द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान की गयी। ऐसे बन्दी जिनकी पैरवी करने वाला कोई नहीं है तथा जिनकी जमानते स्वीकृत हो चुकी है किन्तु जमानतनामा दाखिल ना हो पाने के कारण अभी तक रिहा नहीं हुए हैं तथा ऐसे बन्दी जो कथित अपराध की तिथि पर 18 वर्ष से कम थे उनके द्वारा किशोर घोषित किये जाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किये जाने के अधिकार के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी। इस अवसर पर जेलर जी आर वर्मा, उपकारापाल कमल नयन सिंह, फार्मासिस्ट डी पी सिंह, सिद्धार्थ सिंह, पराविधिक स्वयं सेवक अमरजीत सिंह, बलदेव प्रसाद, जय शंकर समेत तमाम बंदीजन उपस्थित रहे।