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सुदामा चरित्र का वर्णन सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु, जयकारे से गूंजा पंडाल_रिपोर्ट: मनोज शुक्ला - Satyamev Times Media Network.
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सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है   डुमरियागंज क्षेत्र के भुईगांवा में श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन आलोकानंद शास्त्री ने किया सुदामा चरित्र का वर्णन   सिद्धार्थनगर ।डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के भुईगांवा में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान कार्यक्रम के अंतिम दिन बुधवार की रात कथावाचक आलोकानंद शास्त्री ने सुदामा चरित्र का वर्णन किया। जिसे सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गये और भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे लगाने लगे। कथावाचक ने श्रीकृष्ण-सुदामा प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जीवन मे मित्रता में बड़ा छोटा का भाव एवं ऊंच नीच का भाव नहीं होना चाहिए, मित्रता का भाव एक समान होता है। द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण की तरह जैसा उन्होंने श्री सुदामा के साथ मित्रता का व्यवहार निभाया। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत संपूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष है। भागवत कथा को सुनने से जन्म-मृत्यु के भय का नाश होता है। यह ग्रंथ भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है। यही नहीं भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का यह प्रधान साधन है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। भक्ति, ज्ञान, वैराग्य तथा से त्याग की प्राप्ति होती। भगवान कृष्ण की लोक मानस को गौ पालन की प्रेरणा के संदेश के परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि गौ दुग्ध, दही, मक्खन शरीर बुद्धि को पुष्ट करते हैं, जिसके बल पर ही भगवान श्रीकृष्ण शत्रुओं का संहार करने में सफल रहे। इस दौरान ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के डुमरियागंज तहसील अध्यक्ष राजेश पाण्डेय, दिनेश अग्रहरि, कमला देवी, उमेश, राकेश पाल, संजय, शालू आदि मौजूद रहे।

सुदामा चरित्र का वर्णन सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु, जयकारे से गूंजा पंडाल_रिपोर्ट: मनोज शुक्ला

 

डुमरियागंज क्षेत्र के भुईगांवा में श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन आलोकानंद शास्त्री ने किया सुदामा चरित्र का वर्णन

 

सिद्धार्थनगर ।डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के भुईगांवा में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान कार्यक्रम के अंतिम दिन बुधवार की रात कथावाचक आलोकानंद शास्त्री ने सुदामा चरित्र का वर्णन किया। जिसे सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गये और भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे लगाने लगे।
कथावाचक ने श्रीकृष्ण-सुदामा प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि जीवन मे मित्रता में बड़ा छोटा का भाव एवं ऊंच नीच का भाव नहीं होना चाहिए, मित्रता का भाव एक समान होता है। द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण की तरह जैसा उन्होंने श्री सुदामा के साथ मित्रता का व्यवहार निभाया। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत संपूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष है। भागवत कथा को सुनने से जन्म-मृत्यु के भय का नाश होता है। यह ग्रंथ भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है। यही नहीं भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने का यह प्रधान साधन है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। भक्ति, ज्ञान, वैराग्य तथा से त्याग की प्राप्ति होती। भगवान कृष्ण की लोक मानस को गौ पालन की प्रेरणा के संदेश के परिभाषित करते हुए उन्होंने कहा कि गौ दुग्ध, दही, मक्खन शरीर बुद्धि को पुष्ट करते हैं, जिसके बल पर ही भगवान श्रीकृष्ण शत्रुओं का संहार करने में सफल रहे। इस दौरान ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के डुमरियागंज तहसील अध्यक्ष राजेश पाण्डेय, दिनेश अग्रहरि, कमला देवी, उमेश, राकेश पाल, संजय, शालू आदि मौजूद रहे।

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