कभी भाजपा से संतकबीरनगर जिले से सांसद रहे अष्टभुजा शुक्ल और इंद्रजीत मिश्र की जीत मे अहम भूमिका अदा करने वाले विवेकाननंद वर्मा ने चुनावी ताल ठोंक खलीलाबाद से चेयरमैन पद के लिए पार्टी से टिकट की मांग कर दी है। खलीलाबाद की सीट पिछड़ा घोषित होते ही विवेकानंद ने अपनी मजबूत् दावेदारी पेश करते हुए हाईकमान को बायोडाटा प्रेषित कर दिया है।
साल 2022 के विधान सभा चुनाव मे CM योगी के गृह क्षेत्र के प्रभारी रहे विवेकानंद वर्मा लगातार 42 वर्षो से पार्टी की सेवा करते चले आ रहे हैँ, पार्टी के प्रति सेवा, समर्पण व निष्ठा के बदले उन्हे भी इनाम की चाहत है। और ये इनाम वो नगरपालिका के टिकट के रूप मे चाहते है। श्रीराम मंदिर आंदोलन मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर जेल गये विवेकानंद ने कश्मीर बचावो आंदोलन मे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। साल 2012 और 2017 में भी विवेकानंद ने दावेदारी पेश की थी, लेकिन पार्टी ने किन्ही कारणों से उन्हे टिकट नही दिया। विवेकानंद वर्मा की शहर के व्यापारियों में भी अच्छी पकड़ मानी जाती है, विवेकानंद वर्मा ने चीनी मिल को 1987 में सत्याग्रह आंदोलन करके पुनः चालू कराया था, जिसमें उन्होंने 12 दिनों तक जेल भी काटा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता विवेकानंद वर्मा ने बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्कारों के साथ पलते बढ़ते अब तक का जीवन गुजरा है। ये संस्कार और पार्टी की सेवा उनके जीवन का अंग बन चुका हैं।
आपको बता दें कि भाजपा के वरिष्ठ नेता विवेकानंद वर्मा ने 1983 में खलीलाबाद प्रमुख अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, 1984 में नगर अध्यक्ष भाजयुमो खलीलाबाद, 1992 में जिला महामंत्री भाजपा बस्ती, 1993 में संयोजक भाजपा बस्ती एवं जिला मीडिया प्रभारी,1999 में भाजयुमो का विभाग संयोजक बस्ती, 2017 में भाजपा व्यापारी सम्मेलन के संयोजक बस्ती, 2018 में क्षेत्रीय संयोजक भारतीय जनता पार्टी प्रचार प्रसार गोरखपुर, 2019 में क्षेत्रीय सह संयोजक पिछड़ा वर्ग सम्मेलन गोरखपुर, 2020 में जिला महामंत्री भारतीय जनता पार्टी रह चुके हैं।
खलीलाबाद नगर पालिका से टिकट की मांग कर रहे विवेकानंद वर्मा ने कहा कि संघ के संस्कारों ने हमें यह भली प्रकार सिखाया है कि देश और समाज मजबूत होगा तभी सबकी उन्नति हो सकेगी। खलीलाबाद हमारे लिए सिर्फ एक शहर नहीं हमारी पुरखों की भी जन्मभूमि है। इसका विकास हमारा संकल्प है। इस संकल्प की पूर्ति में अपना योगदान और प्रभावी हो सके इसलिए अपनी पार्टी से अपनी दावेदारी पेश कर दी है। बाकी का काम दल का है। टिकट मिले, न मिले यह अलग बात है लेकिन हम भाजपा और हिंदुत्व की विचारधारा के प्रति संकल्प बद्ध थे, हैैं और आजीवन रहेंगे भी।