यूपी का संतकबीरनगर जिला इन दिनों भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा मे है। ये चर्चा उन अफसरों से जुड़ी है जो विकास विभाग के अगुआ हैँ, जिनके कंधे पर जिले के विकास की जिम्मेदारी है वही अफसर भ्रष्टाचार मे लिप्त पाए गये। भ्रष्टाचार के आकंठ मे डूबे इन अफसरों की काली करतूत वायरल ऑडियो ने खोली। यूँ तो जिले के विकास भवन से जुड़े 02 ऑडियो वायरल हुए जिनमे सर्वाधिक चर्चा मे रहा सांसद निधि से हुए कार्य के एवज मे परियोजना निदेशक सुरेंद्र गुप्ता का नाथनगर ब्लॉक के एकाउंटेंट से कमीशन माँगना। दोनो के बीच मोबाईल पर हुई बातचीत जब सोशल मीडिया मे वायरल हुई तब हमने सबसे पहले सबसे तेज इस खबर का प्रकाशन किया जिसके बाद हरकत मे आये शासन ने तत्काल प्रभाव से परियोजना निदेशक यानी PD को सस्पेंड कर दिया, मुख्य विकास अधिकारी (CDO) को शोकाज नोटिस भेज उन्हे तलब किया। किसी अफसर द्वारा घूस/कमीशन माँगना एक गंभीर अपराध की श्रेणी मे आता है यह जानबूझकर भी सरकार की कार्यवाई PD के खिलाफ सिर्फ निलंबन तक क्यों रही ये बात समझ मे नही आ रही है। भूमाफियाओं के खिलाफ बुलडोजर चलाने वाली यूपी की योगी सरकार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ भी बुलडोजर चलाने की बात कभी कही थी लेकिन उसपर अभी तक कोई अमल नही की लिहाजन ऐसे भ्रष्टाचारियों के हौसलें बढ़ते रहे है। कभी मेज के नीचे से रिश्वत लेने वाले अफसर अब खुलेआम रिश्वत मांग रहें हैं जिनपर बाबा का बुलडोजर कब चलेगा? ये तो ईमानदारी का पिटारा बजाने वाले योगी सरकार ही बता सकती है। सांसद निधि के द्वारा कराये गये कार्य के एवज मे PD द्वारा एकाउंटेंट से मोबाईल पर कमीशन माँगने के इस वायरल ऑडियो पर ध्यान दिया जाय तो इसमे एकाउंटेंट ने कई और जिम्मेदारों का नाम लिया है जिनमे CDO अतुल मिश्र और लेखाकार प्रवीण यादव के नाम प्रमुख रूप से सामने आये। सांसद निधि द्वारा कराये गये विकास कार्यों के एवज मे अपना कमीशन माँगने वाले PD साहब तो नप गये पर CDO को शोकाज नोटिस ही मिला, वहीं लेखाकार प्रवीण के खिलाफ अबतक कोई कार्यवाई नही हुई। न्याय सबके लिए एक है तो ऐसे मे CDO को शासन क्यों बचा रहा है? लेखाकार को खुला क्यों छोड़ रखा है?……. कमीशन के इस खेल मे सरकार की जमकर बदनामी भी कराई है, CM योगी के जीरो टॉलरेंस की नीति यहाँ फेल साबित हुई है। भ्रष्टाचार अपराध मुक्त प्रदेश बनाने की योगी जी कवायद को यहाँ तगड़ा झटका लगा है, एकाउंटेंट से PD हक के साथ अपने हिस्से की मांग करते दिखाई दिये जिनकी खबर जब हमने प्रमुखता से दिखाई तब शासन ने आनन फानन मे उन्हे निलंबित कर दिया, निलंबन की कार्यवाई से हर कोई वाकिफ है कि आज निलंबन कल बहाली। सब कुछ सही होने के बाद शासन को जिस PD के खिलाफ FIR दर्ज करवाकर उन्हे जेल भेजना चाहिए था वो हुआ नही जो ये साबित करता है कि सरकार की कथनी और करनी मे बहुत अंतर है। इसके अलावा अन्य दोषियों खासकर CDO अतुल मिश्र पर शोकाज नोटिस की कार्यवाई भी ये साबित करती है कि “हे CDO आओ और दक्षिणा चढ़ा कर बच निकलो, सूत्रों के मुताबिक CDO पहले मंडलायुक्त के दरबार मे चढ़ावा चढ़ाये फिर शासन मे बैठे विशेष सचिवों को भेंट पेशगी कर खुद के रिटायर्मेंट को बेदाग करने मे जुटे हुए हैं। वायरल ऑडियो की माने तो जितना दोष PD का है उतना ही दोष CDO का भी है पर दोनो के खिलाफ हुई कार्यवाई ये दर्शाती है कि सत्ता मे बैठे लोग दोनो अफसरों को बचाने मे जुटे है। PD CDO कांड के बाद AR कॉपरेटिव हरि प्रसाद का अपने सचिव से हिस्सेदारी यानी कमीशन की मांग पर भी कोई कार्यवाई नही हुई, हर तरफ सिर्फ सन्नाटा, DM भी मौन, ये साबित करने के लिए काफी है की कि यार तु भी कमा मुझे भी कमवा। भ्रष्टाचार कर दल दल मे समाये जिन अफसरों को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए था वो या तो निलंबन की कार्यवाई से खुस है या तो शोकाज नोटिस से खुस हैं क्योकि उन्हे ये लगता है कि ये सब चंद दिनों की बात है, आगे चलकर सब मैनेज हो जाएगा। पर सत्यमेव टाइम्स भी इस जिद पर अडा है कि जब तक PD और CDO तथा लेखाकार और ®️AR कॉपरेटिव के खिलाफ सख्त कार्यवाई नही होती तब तक खबर प्रकाशित होती रहेगी।
भ्रष्टाचार को लेकर जिले के माननीय भी लापरवाह
कड़ी कार्यवाई के लिए किसी ने भी शासन को नही लिखा पत्र
संतकबीरनगर जिले की तीनो सीटों पर काबिज भाजपा व सहयोगी दल के विधायक तथा सांसद ने कभी इस तरफ गौर नही किया, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री की मंशा को सफल बनाने की जिनपर जिम्मेदारी थी वो खामोश है, सांसद प्रवीण निषाद, खलीलाबाद के विधायक अंकुर राज तिवारी, निषाद पार्टी व भाजपा के गठबंधन से मेंहदावल के विधायक बने अनिल ट्रिपाठी तथा धनघटा से भाजपा विधायक गणेश चौहान भ्रष्टाचार के इस मुद्दे पर शासन स्तर पर कोई पत्राचार नही किये जो ये साबित करता है कि ये सब भी अपना चुनावी खर्च को भ्रष्टाचार की रकम से निकालना चाहते हैं।
सारा कसूर बड़े अफसरों का पर बदनाम होतें हैं छोटे कर्मचारी
कभी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि अगर सरकार 01 रु0 जनता के हित के लिए भेजती है तो वो जनता के पास 25 पैसे ही पहुंचती हैं क्योंकि अफसर भ्रष्ट है जो जनता के हक पर डाका डालते है, सत्ता रूढ़ भाजपा ने इसे अपना हथियार बनाकर देश व प्रदेश की सत्ता पर कब्जा जमाया पर कभी पूर्व PM राजीव के इस कथन पर अमल नही किया जिसका ये नतीजा संतकबीरनगर जिले मे देखने को मिला, बड़ा अफसर अपने मातहत से कमीशन मांग रहा है ! अब छोटा अधिकारी अथवा कर्मचारी क्या करे? क्या वो चोरी करे, काम को शत प्रतिशत पूरा न कर वो PD और CDO की जेब गर्म करे। जनता की निगाह मे चोर कहे जाने वाले पंचायत सचिव का भला इसमे क्या दोष? जब अधिकारी ही भ्रष्टाचार के आकंठ मे डूबे हो तो तब छोटे कर्मचारी भले क्या करे जिनसे साहब लोग हिस्सा मांगते हैं। नाथनगर ब्लॉक एकाउंटेंट से अपने हिस्से की रिश्वत माँगने वाले PD कल को अपना निलंबन बहाल करा ले जाएंगे, CDO साहब भी लखनऊ मे बैठे लोगों को रिश्वत खिलाकर बच निकलेंगे, पर बदनामी का दाग़ जो योगी सरकार पर लगेगा उसे कौन मिटाएगा? यह एक यक्ष प्रश्न है।