दीन दयाल उपाध्याय जी बताये मार्ग पर चल रही हैं सरकार: राकेश मिश्र
दीन दयाल जी राष्ट्रसेवा में समर्पित उनका सम्पूर्ण जीवन हम सभी के लिए प्रेरणीय है: कुलदीप मिश्र
संतकबीरनगर: एकात्म मानववाद व अन्तयोदय के प्रेणता व भाजपा के पितृ पुरूष पं दीनदयाल उपाध्याय की 55 वीं पुण्यतिथि शनिवार को नगर पंचायत मगहर के गाँधी आश्रम वार्ड में स्थित संतकबीर विद्यापीठ स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भाजपा के वार्ड प्रभरी कुलदीप मिश्र व वार्ड सह प्रभारी प्रवीण गुप्त “राजन” एवं रवि कुमार की उपस्थिति में मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश कार्य समिति सदस्य वरिष्ठ भाजपा नेता राकेश मिश्र ने दीप प्रज्वलन एवं पं दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पुष्प अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया गया।
पण्डित दीन दयाल उपाध्याय के 55 वीं पुण्य तिथि पर आयोजित समर्पण दिवस को सम्बोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश कार्य समिति सदस्य वरिष्ठ भाजपा नेता राकेश मिश्र ने कहा कि पण्डित दीन दयाल उपाध्याय जी ने कहा था कि हम अतीत की गौरवमयी परम्परा से अनु प्रमाणित हैं किन्तु उसको भारत के उत्कर्ष का सर्वोच्च बिन्दु नहीं मानते, हम वर्तमान के प्रति यथार्थवादी हैं किन्तु उससे बधे नहीं है हमारी आँखों में भविष्य के स्वर्णिम सपने हैं किन्तु हम निद्रालु नहीं, बल्कि उन सपनों को साकार करने वाले कर्मयोगी हैं। अनादि-अतीत, अस्थिर-वर्तमान तथा चिरंतन भविष्य की, कालजयी सनातन संस्कृति के हम पुजारी हैं। उन्होंने कहा कि जब हम पण्डित दीन दयाल उपाध्याय जी के शकों पर जब हम मनन करते हैं तो लगता है कि किस प्रकार के वे भविष्य द्रष्टा थे उन्होंने यह ठीक प्रकार से समझ लिया था कि संघर्षों के सागर मंथन से ही भारत का भविष्य उज्जवल होगा और उसमें से जो अमृत निकलेगा वह भारत को विश्व गुरु के पद पर पुनः प्रतिष्ठापित करेगी। श्री मिश्र ने कहा कि पण्डित जी ने हमे तत्कालीन साम्यवाद समाजवाद और पूंजीवाद की प्रचलित विचारधाराओं के बीच एकात्म मानववाद की सर्वग्राही और सर्व समावेशी भारतीयता के अनुकूल जो विचारधारा दी उसी के आलोक में आज हमारा देश प्रगति के सोपान पर निरन्तर आगे बढ़ रहा है और उनके दिखाये मार्ग पर चल रहा है। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उनकी अन्तयोदय की दृष्टि को पूरा करने के लिए आज हमारी सरकार प्रयत्नशील है। गाँधी आश्रम वार्ड के प्रभारी कुलदीप मिश्र ने पंडित दीनदयाल को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय की भावना से संगठन को पोषित करने वाले भारतीय जनसंघ के संस्थापक, राष्ट्र चिंतक, करोड़ों कार्यकर्ताओं के प्रेरणास्रोत श्रद्धेय पं दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत् शत् नमन।राष्ट्रसेवा में समर्पित उनका संपूर्ण जीवन हम सभी के लिए प्रेरणीय है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारत के सबसे तेजस्वी, तपस्वी एवं यशस्वी चिंतक रहे हैं। उनके चिंतन के मूल में लोकमंगल एवं राष्ट्र-कल्याण का भाव समाहित है। उन्होंने राष्ट्र को धर्म, अध्यात्म एवं संस्कृति का सनातन पुंज बताते हुए राजनीति की नयी व्याख्या की। वह गाँधी, तिलक एवं सुभाष की परंपरा के वाहक थे। वह दलगत एवं सत्ता की राजनीति से ऊपर उठकर वास्तव में एक ऐसे राजनीतिक दर्शन को विकसित करना चाहते थे जो भारत की प्रकृति एवं परंपरा के अनुकूल हो एवं राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति करने में समर्थ हो। अपनी व्याख्या को उन्होंने ‘एकात्म मानववाद’ का नाम दियाI एक ओर उन्होंने जहाँ समाजवाद, मार्क्सवाद एवं पूँजीवाद सरीखे अभारतीय विचारधाराओं को भारतीय चिंतन-परंपरा, भारतीय दृष्टिकोण एवं भारतीय जीवन-शैली के सर्वथा प्रतिकूल माना है। उन्हें अस्वीकार किया है। वहीं, दूसरी ओर भारतीय मानस के अनुकूल ‘एकात्म मानव-दर्शन’ व ‘अन्त्योदय’ की संकल्पना प्रस्तुत कर ‘भारत को भारत की दृष्टि से’ देखने-समझने का एक सार्थक सूत्र भी दिया है। पंडित जी का यह दर्शन अपनी संपूर्णता में मानव-जीवन को संतुलित, सुखी, संपन्न व आनंदमय बनाने का सूत्र प्रस्तुत करता है। इसमें संयमित उपभोग,अर्थायाम, अन्त्योदय, सृष्टि, व्यष्टि, समष्टि, परमेष्टि एवं ‘पुरुषार्थ चतुष्ट्य’ जैसे सूत्रों का प्रणयन किया गया है। ये सर्वथा दुर्लभ एवं अनिवार्य सूत्र हैं। ये सूत्र हमें मानव-मात्र के सम्यक मूल्याङ्कन की दिशा प्रदान करते हैं। कदाचित् अभारतीय विचारधाराओं के अनुशीलन से हमें यह दिशा प्राप्त नहीं हो सकती। इस अवसर पर डाक्टर रत्नेश मिश्र शिव नारायण वर्मा सिद्दीक मुस्तफा रवि कुमार राजन गुप्त अनिल कुमार जितेन्द्र साहनी सहित काँलेज के समस्त स्टाफ सहित तमाम छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।