मन की बात_
सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा प्रत्याशी हैं जयराम पांडेय
मेहनत न करने वालों के लिए किसी बड़े सबक से कम नही “जयराम”
संतकबीरनगर- जिन्होंने पूरा जीवन राजनीति में खपा दिया, जो अपनी पार्टी के प्रति निष्ठावान हैं, जिन्होने पार्टी के प्रति इसी निष्ठा और ईमानदारी के चलते जीवन में मिले अच्छे अवसरों को भी दरकिनार कर दिया। उम्र लगभग 60 साल, नाम है जयराम पांडेय, पार्टी समाजवादी पार्टी।
“मैं आ रहा हूं” का स्लोगन देकर पूरे प्रदेश की सियासत को विधानसभा चुनाव के ठीक पहले गर्म कर रख देने वाले जयराम पांडेय के नसीब में भले ही राजनैतिक कामयाबी नहीं मिली पर उनकी संगठन के प्रति दीवानगी आज भी बदस्तूर कायम है। 60 साल की उम्र के पड़ाव तक पहुंचे श्री पांडे जी को आज मैंने चलते देखा, उनके जुनून और जज्बे को देखा, मौजूदा समय नगर निकाय चुनाव का चल रहा है जिससे वो चाहते तो मुंह मोड़ कर घर पड़े रहते, किसी बीमारी का हवाला देकर इस चुनाव में प्रचार प्रसार के लिए नही निकलते क्योंकि ये कोई उनका तो चुनाव है नही ! पर ये तो निकले खांटी सपाई जिनके रगो में दिवंगत नेता स्व० मुलायम सिंह यादव का जोश भरा है, ये न तो झुकना सीखे न ही थकना। अपने आदर्श नेता के नक्शे कदम पर चलने वाले श्री पांडे आज जब खलीलाबाद नगर पालिका परिषद की सीट से सपा समर्थित उम्मीदवार जगत जायसवाल के पक्ष में पार्टी नेताओं के साथ जनता से वोट मांगने निकले तब इनके माथे पर गजब का ही तेज झलक रहा था, उनके साथ पूर्व विधायक जय चौबे जी भी थे, जनसंपर्क अभियान के अगुआ और जगत जायसवाल की जीत के राह में आ रहे हर कांटे को निकालने की कवायद में जुटे श्री पाण्डेय ने सीमा विस्तारित गांवो से लेकर शहर के विभिन्न वार्डों में जिस तरह एक ही दिन में जनसंपर्क कर जनता से जगत के पक्ष में वोट करने की अपील की उसे देख एक तरफ जहां लोग उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा और ईमानदारी बताने लगे वहीं जो अनुभव उनके साथ रहकर हमने महसूस किया वो कुछ रोमांचित कर देने वाला रहा, उनकी कवरेज के दौरान मेरे माथे पर पसीना था, और दिल बार बार यही कह रहा था कि “बाबा” मेरे रुक जाएं, जरा थम जाएं क्योंकि अब मैं नही चल सकता। वैसे मेरी भी उम्र लगभग ४४ की हो चुकी है, उनके साथ चलने में यदि मैं थक रहा था तो मुझसे भी कम उम्र वाले नौजवानों की हालत मुझसे भी पतली थी। श्री पांडे जी के द्वारा पार्टी के प्रति समर्पण उन नौजवानों के लिए एक सीख के समान है जो खुद संस्थान के प्रति जबाबदेह न बनकर संस्थान को ही दोषी ठहराते हैं, युवा वर्ग जिस संस्थान में कार्य करते हैं उसके एवज में वो सेलरी भी पाते हैं पर श्री पांडे जी तो मानदेय विहीन व्यक्ति हैं, वो तो एक राजनैतिक दल से जुड़े हैं जो पिछले 07 वर्षों से सत्ता से दूर है। फिर श्री पांडे इतनी मेहनत क्यों कर रहें हैं? ऐसी तस्वीरे सिर्फ यहीं बयां करने के लिए काफी हैं कि आप जहां जिस संस्थान जिस संगठन के लिए कार्य करो तो पूरे मनोयोग के साथ करो!सफलता एक न एक दिन मिलेगी ही।
श्री पांडे लगभग 60 साल के हो चुके हैं फिर भी पार्टी के प्रति उनकी लगन अभी किसी नौजवान कार्यकर्ता से कम नही जो किशोर वर्ग और युवा वर्ग के लिए किसी प्रेरणा से कम नही। आज की न्यूज कवरेज के दौरान मैंने पहली बार उन्हे बहुत ही नजदीक से पढ़ा, उनके हर पहलू पर ध्यान दिया, जनता से सलीके के साथ वोट मांगना फिर मीडिया के कैमरे पर बेखौफ होकर सत्तारूढ़ दल के खिलाफ खुला बयान देना, पार्टी से बगावत कर चुनाव लडने वाले शख्स के खिलाफ चुटकी लेकर उसे खरी खोटी सुनाना! उनका हर अंदाज आज मुझे बेहद पसंद आया। श्री पांडे जी का राजनैतिक भविष्य उज्ज्वल हो इसी कामना के साथ बस इतना ही।धन्यवाद।