आज जब पूरी दुनियां में धर्म और मज़हब के नाम पर नफरत के बीज बोये जा रहे हैं और कट्टरपंथी ताकतें इसको हवा देने में जुटी हुई हैं। देश विरोधी और कट्टरपंथी ताकतें नफरत की आग फैलाकर इस देश की एकता और अखंडता को खंडित करने की जहां शाजिश रच रही हैं वहीं कुछ ऐसे भी लोग है जो “मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना के मर्म को समझने और समझाने में जुटे हुए है। ऐसे लोग धर्म जाति मजहब से ऊपर उठकर हिंदुस्तान में गंगा जमुनी तहजीब को जिंदा रखने के साथ कौमी एकता की मिसाल कायम करते चले आ रहे हैं। ऐसा ही एक नाम यूथ आइकॉन एवार्डी प्रदीप सिंह सिसौदिया और कैथवलिया गांव निवासी हाजी इलियास का हैं जिन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की जो बानगी पेश की है उसकी लोग तारीफ करते नही थक रहे है। दरअसल दोनो लोगो ने एक दूसरे को गीता और कुरान की प्रतियां देकर लोगों को साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की जो अपील की है वो अपने आप में किसी नजीर से कम नहीं।
“मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना इसी मर्म को लोगो को समझाने में लगे यूपी के संतकबीरनगर जिले के सदर तहसील क्षेत्र के कोनी गांव निवासी प्रदीप सिंह सिसौदिया और कैथवलिया गांव के हाजी इलियास। दोनो ने जिस तरह एक दूसरे को पवित्र गीता और कुरान की पुस्तक भेंट की वो गंगा जमुनी तहजीब को और अधिक मजबूत करती नजर आई।
संतकबीरनगर जिले में प्रदीप सिंह सिसौदिया की पहचान एक अच्छे समाजसेवी के रूप में होती है जो पिछले 22 वर्षों से गरीबों की सेवा खातिर लगातार निशुल्क स्वास्थ्य मेला का आयोजन करते चले आ रहें है। नौजवानों को सही राह दिखाने के साथ समाज के प्रति उनकी इसी लगन की गूंज जब पिछली योगी सरकार के कानो तक पहुंची तब योगी सरकार ने उन्हें प्रतिष्ठित यूथ आइकॉन एवार्ड से सम्मानित किया।
समाजसेवा के साथ राजनीति क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान रखने वाले प्रदीप सिंह सिसौदिया ने एक बार फिर नफरत की राजनीति करने वालों के मंसूबों पर पानी फेर कौमी एकता को बढ़ावा देते नजर आए। प्रखर वक्ता होने के नाते आतंकवाद पर चोट करने वाले प्रदीप सिंह सिसौदिया “देश प्रथम” का ही हमेशा नारा देते है। किसानों के साथ बुनकर समुदाय के हितों के लिए लड़ाई लड़ने वाले प्रदीप सिंह सिसौदिया युवाओं के लिए किसी प्रेरणा स्त्रोत से कम नहीं।