


संतकबीरनगर जिले के महुली थाना क्षेत्र के भिठहां गांव में धर्म भक्ति और समाजसेवा का महासंगम देखने को मिला। पूर्व विधायक जय चौबे और जिले के सर्वाधिक चर्चित समाजसेवी तथा सूर्या ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन डॉ उदय प्रताप चतुर्वेदी के पैतृक गांव स्थित उनके घर पर आयोजित संगीतमयी श्रीमद भागवत कथा के आठवें दिन सैकड़ों गरीबों में कंबल और नकदी बांट इस परिवार ने धर्म/भक्ति और समाजसेवा की पराकाष्ठा को स्थापित करने का अनुपम उदाहरण पेश किया। कथा आयोजन पूर्व सूर्या ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन डॉ उदय प्रताप चतुर्वेदी ने अपनी माता श्रीमती चंद्रावती देवी, पत्नी श्रीमती सविता चतुर्वेदी, भाई व SR समूह के सीईओ राकेश चतुर्वेदी तथा उनकी पत्नी श्रीमती शिखा चतुर्वेदी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सैकड़ों गरीबों में कंबल वितरण कर मानवता की मिसाल प्रस्तुत किया। कंबल वितरण कार्यक्रम के बाद शुरू हुए श्रीमद भागवत कथा के आठवें दिन के अवसर पर कथा की मुख्य यजमान श्रीमती चंद्रावती देवी और उनके परिजनों में शामिल पूर्व विधायक जय चौबे, सूर्या ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन डॉ उदय प्रताप चतुर्वेदी, SR समूह के सीईओ राकेश चतुर्वेदी, जनार्दन चतुर्वेदी, रत्नेश चतुर्वेदी, आदि समेत सभी ने भगवान की आरती करने के साथ कथा वाचक पंडित ज्ञान चंद्र द्विवेदी का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए उन्हे और उनकी संगीतमयी टीम को दान दक्षिणा भेंट कर परिवार के अग्रज रहे पूर्वांचल के मालवीय कहे जाने वाले स्वर्गीय पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी जी की भी आरती की। कथा के आठवें दिन यानी शुक्रवार को भिठहां गांव में भक्ति रस की ऐसी बयार बही कि लोग भगवान कृष्ण की भक्ति में पूरी तरह से डूब गए। अयोध्या से आए कथा में पं. ज्ञान चंद्र द्विवेदी ने कथा को आगे बढ़ाते हुए प्रद्युम्न जन्म का वर्णन किया। बृहस्पतिवार को जहां उन्होंने रुक्मणी विवाह का वृतांत सुनाया था वहीं शुक्रवार को प्रद्युम्न के जन्म का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि जब भगवान कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का जन्म हुआ तो द्वारिका नगरी में चहुंओर जश्न मनाया जाने लगा। इसी बीच जरासंध के इशारे पर शंबासुर प्रद्युम्न को उठा ले गया और समुद्र में फेंक दिया। समुद्र के अंदर एक मछली ने जैसे ही मुंह खोला वैसे ही प्रद्युम्न उसके मुंह में प्रवेश कर उदरस्थ हो गए। उस मछली को एक मछवारे ने पकड़ा और फिर उसे शंबासुर को भेंट कर दिया। शंबासुर के रसोइये ने जब मछली को काटा तो उसके अंदर से प्रद्युम्न बाहर निकल आए। यह देखकर शंबासुर ने प्रद्युम्न को विद्यावती नामक सेविका को दे दिया। विद्यावती जो कि पूर्व जन्म में कामदेव की पत्नी रति थी, ने प्रद्युम्न को बेटे की तरह पालने लगी। बाद में देवर्षि नारद ने उसे बताया कि जिसे तुम बेटा बनाकर पाल रही हो वह तुम्हारा पूर्व जन्म का पति कामदेव है। प्रद्युम्न बड़े होने पर विद्यावती के साथ द्वारिका पहुंचे। इसके बाद शास्त्री जी ने भगवान श्रीकृष्ण व जामवंत युद्ध का वर्णन करते हुए कृष्ण व जामवंती के विवाह का व्याख्यान किया। भागवत कथा प्रारंभ होने से पूर्व शास्त्री जी के शिष्यों ने भजनों की प्रस्तुति की। वहीं कथा पूर्व गरीबों में कंबल वितरण करने वाले डॉक्टर उदय प्रताप चतुर्वेदी ने कहा कि ‘अपनी धरती एवं अपने लोगों की सामर्थ्य भर परवाह और मदद मेरी नियति में शामिल है। उन्होंने कहा कि यह मेरा निश्चय और संकल्प है कि जितना हो सकेगा उतनी गरीबो की मदद तब तक करता रहूंगा जब तक मेरा जीवन है। ईश्वर ने जितना मुझे सौभाग्य दिया है और जिन कार्यों का हमें निमित्त बनाया है वो कार्य हम करते रहेंगे। वहीं इस अवसर पर उनके छोटे भाई तथा नाथनगर ब्लॉक के पूर्व प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने कहा कि मनुष्य के जीवन की सार्थकता तब है, जब वह गरीब और असहायों की सेवा करे।