लाखों के गबन के अभियुक्त “अरविंद” की जमानत याचिका खारिज
खबर सार…..
जिस थाली में खाया उसी में छेद करने वाले जालसाज की जमानत अर्जी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने खारिज कर दिया है। यानी अब इस जालसाज को जेल की सलाखों के पीछे कई दिन रहना पड़ सकता है। मामला संतकबीरनगर जिले के शहर कोतवाली क्षेत्र से जुड़ा है।
खबर विस्तार…..
गरीब ब्राह्मणों के ऐसे लड़के जो उच्च शिक्षा के साथ तकनीकी दक्षता रखतें हों उनकी बेहतरी के लिए संतकबीरनगर जिले के एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान ने अरविंद भट्ट नाम के ऐसे युवक को संस्थान में नौकरी दी जिसने संस्थान में ऐसी जालसाजी की जिसके चलते संस्थान के मालिक को अपना वसूल बदलते हुए उसके खिलाफ कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया। जालसाजी के धन से जमीन खरीद कर उसपर एक दो नहीं बल्कि चार तल भवन का निर्माण करने वाला अरविंद भट्ट शहर कोतवाली क्षेत्र के धवरिया गांव का रहने वाला है जिसने नौकरी के दौरान 60 लाख का गबन कर अपने सपनो को पूरा करने की अनुचित कोशिश की। अभियुक्त अरविंद भट्ट की काबिलियत देख ही संस्थान के जिम्मेदारों ने उसे संस्थान के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों का धन संग्रह एवं लेखा जोखा की जिम्मेदारी दी थी लेकिन उसने संस्थान के मालिक के साथ विश्वासघात करते हुए लाखों रुपयों की हेराफेरी कर डाली। उसकी ये चोरी जब पकड़ी गई तब उसने अपनी भूल को स्वीकार करते हुए गबन किए गए धन को तय सीमा में अदा करने का वादा संस्थान के मालिक से किया। तय समय सीमा अवधि के अंदर गबन किए धन की अदायगी में बार बार मुकरने और संस्थान मालिक को घुड़की धमकी दिए जाने के चलते संस्थान मालिक के एक जिम्मेदार की तहरीर पर उसके खिलाफ कोतवाली में विभिन्न गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। जानकर बताते है कि खुद के बचाव में अभियुक्त ने कोई कोर कसर नही छोड़ी थी, मामले को लिंगर करने की नियत से उसने सीजेएम कोर्ट में उस वक्त के आसपास 156(3) के तहत संस्थान के जिम्मेदारों पर मुकदमा दर्ज कराना चाहा जब वो इस बात का वादा संस्थान मालिक से कर चुका था कि वो जल्द ही गबन किए गए रुपयों की अदायगी कर देगा।कोतवाली पुलिस ने उक्त आरोपी के विरुद्ध मुकदमा अपराध संख्या 467/2024 अन्तर्गत धारा 143.504.506.409.420 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही किया।
ग़बन और जालसाज़ी के आरोपी अरविंद कुमार भट्ट पुत्र राम उजागीर भट्ट ने न्यायालय में अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया था, जिसके क्रम में आज 18 जुलाई को सुनवाई के दौरान सत्र न्यायाधीश ने प्रार्थना पत्र के निस्तारण के समय अपराध की गम्भीरता एवं समाज पर पडने वाले प्रभाव तथा निष्पक्ष और स्वतंत्र जाँच की आवश्यकता पर विचार करने तथा अन्य तथ्यों एवं अभियुक्त द्वारा किये गये अपराध की गम्भीरता को दुष्टिगत देखते हुए आरोपी की जमानत याचिका निरस्त कर दिया। जिसमें जिला शासकीय अधिवक्ता ( फौजदारी( विशाल श्रीवास्तव एवं विद्वान अधिवक्ता सुभद्र नाथ राय के द्वारा किये गये तार्किक बहस व पत्रावली अवलोकन के पश्चात जनपद न्यायाधीश प्रथम ने उक्त आरोपी के प्रार्थना पत्र को खारिज़ किया।
अब आरोपी की पुलिस विभाग द्वारा कार्यवाई के तहत जल्द गिरफ़्तारी हो सकती है।