अपने जीवन से सभी को मोह होता है, परंतु महर्षि दधीचि ने त्रिलोक की रक्षा के लिए अपने शरीर का मोह किये बिना अपनी सारी अस्थियां दान में दे डाली थी, इस त्याग ने महर्षि दधीचि को अमर बना दिया! जिसका जिक्र पौराणिक कथाओं में मिलता है। ऐसा ही कुछ इस युग यानी कलयुग में भी समय समय पर देखने को मिलता रहता है। मानव कल्याण के लिए खुद का देहदान करने वालों का नाम सामने आता ही रहता है। देहदान करने वालों की लिस्ट में नया नाम जुड़ा है “नीलमणि” का! जो कि उत्तरप्रदेश के संतकबीरनगर जिले के रहने वाले है। धनघटा विधान सभा क्षेत्र से दो बार विधान सभा का चुनाव लड़ चुके नीलमणि मौजूदा समय में नगर पंचायत हैंसर की अध्यक्षा के प्रतिनिधि है।
मानव सेवा की दिशा में अंगदान कर नीलमणि ने एक ऐसी पहल है जिससे लोगों को नया जीवन मिलेगा। बीजेपी के वरिष्ठ नेता नीलमणि ने मरणोपरांत देहदान का ऐलान कर जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तवंर को इस आशय का पत्र सौंपा है।
समाजसेवा की भट्ठी से तपकर सक्रिय राजनीति में एंट्री करने वाले नीलमणि द्वारा जनसेवा से जुड़े इस महत्वपूर्ण ऐलान की बात जब लोगों को पता चली तब लोगों ने जहां उनकी मुक्तकंठ से प्रशंसा की है वहीं उनके इस ऐलान को एक मिसाल बताया।
हाल ही में ऐतिहासिक द्वाबा महोत्सव का सफल आयोजन कराने वाले बीजेपी नेता नीलमणि बेहद सरल और मृदुभाषी स्वभाव वाले नेता के रूप में जाने जाते है। गौ सेवा से लेकर नगर क्षेत्र के सभी वार्डों के साफ सफाई की कमान स्वयं संभालने वाले नीलमणि के समाजिक कार्यों की गूंज अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती है। आज उनके देहदान की खबर जैसे ही सोशल मीडिया में वायरल हुई वैसे ही इस खबर की गूंज प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक पहुंची। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से लेकर कई बड़े नेताओं ने उन्हें फोन कर उनके इस नेक कार्य की प्रशंसा की। स्थानीय युवा नेता तथा RSS कार्यकर्ता अनुभव शुक्ल ने नीलमणि के इस प्रयास की सराहना करते हुए बताया कि हर समय हर परिस्थिति में आमजन के साथ खड़ा रहकर उनकी मदद करने वाले नीलमणि जी का यही सेवा भाव उन्हें एक अलग ही पहचान दे रखा है। वहीं खुद के देहदान करने का ऐलान करने वाले बीजेपी नेता नीलमणि ने सत्यमेव टाइम्स के संपादक अजय कुमार श्रीवास्तव से टेलीफोनिक बातचीत के दौरान बताया कि आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मन की बात” कार्यक्रम के 99वें संस्करण को सुनने के बाद मेरे अंदर यह विचार आया कि मैं देहदान करूं। नीलमणि ने बताया कि जीते जी तो मेरी कोशिश यही रहती है कि मैं अधिक से अधिक परोपकार के कार्य कर सकूं। लेकिन यदि मरणोपरांत भी मैं लोगों के काम आ सकूं तो यही मेरे जीवन का सबसे बड़ा पुण्य कार्य होगा।
नीलमणि ने कहा कि मन की बात के 99वें संस्करण में प्रधानमंत्री जी का यह कथन था कि ‘आपका एक फैसला कई लोगों की जिंदगी बचा सकता है, जिंदगी बना सकता है.” उनकी यह बात मेरे दिल में उतर गई थी इसलिए आज मैने देहदान का निर्णय लिया।