उत्तरप्रदेश की योगी सरकार लगातार लापरवाही और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर कार्य कर रही है। जीरो टॉलरेंस नीति के तहत एक बार फिर सरकार ने सख्त कार्रवाई दिखाते हुए जेडीसी बस्ती संत कुमार को पद से हटाते हुए लखनऊ मुख्यालय अटैच करने की कार्यवाही की। यह महत्वपूर्ण कार्रवाई संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल विधायक अनिल त्रिपाठी के पत्र पर हुई है।
विधायक अनिल त्रिपाठी की क्या थी शिकायत ?
निषाद पार्टी से चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र के समग्र विकास को लेकर लगातार प्रयास करने वाले मेंहदावल विधायक अनिल त्रिपाठी अपने चुनावी एजेंडे की प्राथमिकता यानी जीरो टॉलरेंस को लेकर काफी सख्त है। भ्रष्टाचार के खिलाफ यंग एंग्री मैंन की भूमिका अदा करने वाले विधायक अनिल त्रिपाठी ने बीते 29 सितंबर 2024 को उपमुख्यमंत्री ग्राम्य विकास विभाग को पत्र भेज कर JDC संत कुमार के खिलाफ शिकायत कर कार्रवाई की मांग की थी।
कुल 07 बिंदुओं पर शासन को भेजे गए पत्र में विधायक अनिल त्रिपाठी ने लिखा था कि बस्ती मंडल के जेडीसी संत कुमार इस जिले के पूर्व सीडीओ रह चुके हैं। उनकी यहां टीम है। वह यहां पर आकर कुछ गांव में जाते हैं और वसूली करते हैं। अभी तक किसी भी ग्राम पंचायत में जांच की रिपोर्ट उन्होंने किसी को नहीं सौंपी है और पैसे लेकर पूरे मामले को मैनेज कर देते हैं। इसलिए तत्काल जिले में आने से इनको रोका जाए। इसके बाद से संत कुमार के खिलाफ जांच शुरू की गई थी। जांचोपरांत शासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए JDC संत कुमार को संयुक्त विकास आयुक्त, बस्ती मण्डल के पद से हटाते हुए उन्हे कार्यालय आयुक्त, ग्राम्य विकास लखनऊ से सम्बद्ध कर दिया है। साथ ही ये आदेश दिया है कि संत कुमार यथाशीघ्र अपनी नवीन तैनाती स्थल पर तत्काल कार्यभार ग्रहण कर लें।
विभागीय कर्मी और ग्राम प्रधान भी JDC से संत कुमार से चल रहे थे नाराज
जिले में सीडीओ रहे बस्ती मंडल के जेडीसी संत कुमार की शिकायत जहां विधायक ने की थी वहीं विकास विभाग में बैठे अधिकारी और कर्मी भी उनके कार्यप्रणाली से परेशान चल रहे थे। चूंकि संत कुमार बड़े पद पर थे इसलिए डर बस कोई अधिकारी और कर्मी उनके विरुद्ध मुखर नहीं हो पा रहा था। यही हाल तमाम ग्राम पंचायतों के प्रधानों का भी था जो जल में रहकर मगरमच्छ से बैर लेना नहीं चाहते थे। और अब जब जेडीसी का स्थानांतरण लखनऊ हो गया तब कई कर्मियों और प्रधानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जेडीसी लगातार उनपर अनुचित दबाव बनाते थे। एक सचिव ने बताया कि संत कुमार भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे थे, उन्हें सिर्फ रुपयों से मतलब रहता था इसलिए वो जब भी जिले में आते थे हम सब पर इसके लिए दबाव बनाते थे। जो नहीं देते थे उन्हें प्रताड़ित करते थे और जो दे देते थे उन्हें तमाम अधिकार दे देते थे। जेडीसी के स्थानांतरण होने पर उनसे नाराज प्रधानों और कर्मियों ने राहत की सांस लेते हुए विधायक अनिल त्रिपाठी के प्रति आभार जताया है।