Time in United States now
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है  
संतकबीरनगर जिले के भिटहां गांव में आयोजित श्रीराम कथा के पांचवे दिन भगवान राम के जन्मदिन की कथा सुनाई गई। कथा के पूर्व संगीत टीम द्वारा प्रस्तुत भजनों पर श्रोता भक्ति रस में गोते लगाते हुए दिखे। अपने पिता स्वर्गीय पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी की स्मृति में श्रीराम कथा का आयोजन कराने वाले जिले के वरिष्ठ समाजसेवी तथा सूर्या ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन डॉ उदय प्रताप चतुर्वेदी अपने पूरे परिवार के साथ कथा में उपस्थित रहे। संगीतमय श्रीराम कथा के पांचवे दिन भक्तों की भारी भीड़ भी जुटी रही। पांचवें दिन की कथा की शुरुआत कथा व्यास पंडित विनय ओझा बाल ब्यास की आरती के साथ शुरू हुआ। कथा वाचक ने अपने मधुर कंठ से प्रभु श्री राम के बाल लीला का सुंदर चित्रण करते हुए कहा कि जब श्रीराम ने दशरथ नंदन के रूप में कौशिल्या की कोख से जन्म लिया तो, दासियां दौड़ पड़ी, अयोध्या सजने लगी, जन-जन में उत्साह छा गया। भगवान के 16 संस्कार के साथ मुनि वशिष्ठ ने चारों भाइयों का नामकरण संस्कार कराया। श्रीरामलला के दर्शन के लिए भोले भंडारी सहित विभिन्न देवता अवध में आए। उन्होंने बताया कि ब्रह्मा आदि देवता तो भगवान का दर्शन. स्तुति कर वापस लौट गए, किंतु शंकर जी का मन अपने आराध्य श्रीराम की शिशु क्रीड़ा की झांकी में ऐसा उलझा कि वे अवध की गलियों में विविध वेष बनाकर घूमने लगे।कभी वे राजा दशरथ के राजद्वार पर भिक्षा मांगने वाले साधु के रूप में उपस्थित हो जाते थे। कभी भगवान के अवतारों की कथा सुनाने के बहाने प्रकांड विद्वान बनकर राजमहल में पहुंच जाते। वे कागभुशुंडि के साथ बहुत समय तक अयोध्या की गलियों में घूमते हुए  एक दिन शंकर जी कागभुशुंडि को बालक बनाकर और स्वयं त्रिकालदर्शी वृद्ध ज्योतिषी का वेष धारणकर शिशुओं का फलादेश बताने के बहाने अयोध्या के निवास में प्रवेश कर गए। माता कौशल्या ने जैसे ही शिशु श्रीराम को ज्योतिषी की गोद में बिठाया तो शंकरजी का रोम-रोम पुलकित हो उठा।
वे बालक का हाथ देखने के बहाने कभी उनके कोमल कर कमलों को सहलाते तो कभी अपनी जटाओं से उनके रक्ताभ तलवों को थपथपाते और देवताओं के लिए भी दुर्लभ उन चरण कमलों का दर्शन कर परमानंद में निमग्न हो जाते। इस दौरान परिवार के सभी सदस्यों के अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष बलिराम यादव, वरिष्ठ सपा नेता नित्यानंद यादव आदि मौजूद रहे।

भिटहां में श्रीराम कथा का 5वाँ दिन! भगवान का दर्शन करने ज्योतिष बनकर पहुंचे महादेव

 

संतकबीरनगर जिले के भिटहां गांव में आयोजित श्रीराम कथा के पांचवे दिन भगवान राम के जन्मदिन की कथा सुनाई गई। कथा के पूर्व संगीत टीम द्वारा प्रस्तुत भजनों पर श्रोता भक्ति रस में गोते लगाते हुए दिखे। अपने पिता स्वर्गीय पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी की स्मृति में श्रीराम कथा का आयोजन कराने वाले जिले के वरिष्ठ समाजसेवी तथा सूर्या ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन डॉ उदय प्रताप चतुर्वेदी अपने पूरे परिवार के साथ कथा में उपस्थित रहे। संगीतमय श्रीराम कथा के पांचवे दिन भक्तों की भारी भीड़ भी जुटी रही। पांचवें दिन की कथा की शुरुआत कथा व्यास पंडित विनय ओझा बाल ब्यास की आरती के साथ शुरू हुआ। कथा वाचक ने अपने मधुर कंठ से प्रभु श्री राम के बाल लीला का सुंदर चित्रण करते हुए कहा कि जब श्रीराम ने दशरथ नंदन के रूप में कौशिल्या की कोख से जन्म लिया तो, दासियां दौड़ पड़ी, अयोध्या सजने लगी, जन-जन में उत्साह छा गया। भगवान के 16 संस्कार के साथ मुनि वशिष्ठ ने चारों भाइयों का नामकरण संस्कार कराया। श्रीरामलला के दर्शन के लिए भोले भंडारी सहित विभिन्न देवता अवध में आए। उन्होंने बताया कि ब्रह्मा आदि देवता तो भगवान का दर्शन. स्तुति कर वापस लौट गए, किंतु शंकर जी का मन अपने आराध्य श्रीराम की शिशु क्रीड़ा की झांकी में ऐसा उलझा कि वे अवध की गलियों में विविध वेष बनाकर घूमने लगे।कभी वे राजा दशरथ के राजद्वार पर भिक्षा मांगने वाले साधु के रूप में उपस्थित हो जाते थे। कभी भगवान के अवतारों की कथा सुनाने के बहाने प्रकांड विद्वान बनकर राजमहल में पहुंच जाते। वे कागभुशुंडि के साथ बहुत समय तक अयोध्या की गलियों में घूमते हुए  एक दिन शंकर जी कागभुशुंडि को बालक बनाकर और स्वयं त्रिकालदर्शी वृद्ध ज्योतिषी का वेष धारणकर शिशुओं का फलादेश बताने के बहाने अयोध्या के निवास में प्रवेश कर गए। माता कौशल्या ने जैसे ही शिशु श्रीराम को ज्योतिषी की गोद में बिठाया तो शंकरजी का रोम-रोम पुलकित हो उठा।
वे बालक का हाथ देखने के बहाने कभी उनके कोमल कर कमलों को सहलाते तो कभी अपनी जटाओं से उनके रक्ताभ तलवों को थपथपाते और देवताओं के लिए भी दुर्लभ उन चरण कमलों का दर्शन कर परमानंद में निमग्न हो जाते। इस दौरान परिवार के सभी सदस्यों के अलावा जिला पंचायत अध्यक्ष बलिराम यादव, वरिष्ठ सपा नेता नित्यानंद यादव आदि मौजूद रहे।

Leave a Reply

error: Content is protected !!