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सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है रिपोर्ट - विभव पाठक   भोजपुरी कविताओं को पढ़ने की अपनी खास शैली से बनाई अलग पहचान, मिले कई पुरस्कार व सम्मान गोरखपुर- भोजपुरी व हिन्दी के सशक्त हस्ताक्षर साहित्यकार व आकाशवाणी के उद्घोषक रवींद्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई का 79 वर्ष की उम्र में निधन. आज सुबह 9 बजे ली अंतिम सांस. फेफड़े के संक्रमण के चलते कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. सोशल मीडिया पर सेहत की लगातार अपडेट दे रहे थे. 4 फरवरी को पोस्ट में मास्क पहनने में लापरवाही की वजह से फेफड़े में संक्रमण का जिक्र किये थे. 28 मई 1945 को जन्मे रविन्द्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई उम्र के आखिरी पड़ाव पर भी साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहे. 28 दिसम्बर 1973 से साल 2022 तक उन्होंने आकाशवाणी में सेवाएं दीं. गोरखपुर आकाशवाणी में पंचो जय जवान-जय किसान कार्यक्रम के जरिए जनमानस में लोकप्रिय हुए. भोजपुरी में कविताओं को पढ़ने की उनकी खास शैली ने उन्हें अलग पहचान दिलाई. उनकी कई भोजपुरी कविताओं ने उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाई. जीवनभर वो भोजपुरी को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय रहे. उन्हें राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी अकादमी भिखारी ठाकुर सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी अकादमी लोकभूषण सम्मान, विद्या निवास मिश्र सम्मान, सरयू रत्न, भोजपुरी रत्न सम्मान मिल चुका है. उनके निधन की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई. जुगानी भाई के नाम से प्रसिद्धि पाने वाले रविन्द्र श्रीवास्तव अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं.

भोजपुरी-हिन्दी के सशक्त हस्ताक्षर रविंद्र श्रीवास्तव जुगानी भाई का निधन

रिपोर्ट – विभव पाठक

 

भोजपुरी कविताओं को पढ़ने की अपनी खास शैली से बनाई अलग पहचान, मिले कई पुरस्कार व सम्मान

गोरखपुर- भोजपुरी व हिन्दी के सशक्त हस्ताक्षर साहित्यकार व आकाशवाणी के उद्घोषक रवींद्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई का 79 वर्ष की उम्र में निधन. आज सुबह 9 बजे ली अंतिम सांस. फेफड़े के संक्रमण के चलते कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. सोशल मीडिया पर सेहत की लगातार अपडेट दे रहे थे. 4 फरवरी को पोस्ट में मास्क पहनने में लापरवाही की वजह से फेफड़े में संक्रमण का जिक्र किये थे. 28 मई 1945 को जन्मे रविन्द्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी भाई उम्र के आखिरी पड़ाव पर भी साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय रहे. 28 दिसम्बर 1973 से साल 2022 तक उन्होंने आकाशवाणी में सेवाएं दीं. गोरखपुर आकाशवाणी में पंचो जय जवान-जय किसान कार्यक्रम के जरिए जनमानस में लोकप्रिय हुए. भोजपुरी में कविताओं को पढ़ने की उनकी खास शैली ने उन्हें अलग पहचान दिलाई. उनकी कई भोजपुरी कविताओं ने उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहचान दिलाई. जीवनभर वो भोजपुरी को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय रहे. उन्हें राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी अकादमी भिखारी ठाकुर सम्मान, उत्तर प्रदेश हिंदी अकादमी लोकभूषण सम्मान, विद्या निवास मिश्र सम्मान, सरयू रत्न, भोजपुरी रत्न सम्मान मिल चुका है. उनके निधन की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई. जुगानी भाई के नाम से प्रसिद्धि पाने वाले रविन्द्र श्रीवास्तव अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं.

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