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गोरखपुर - कुशीनगर से आई प्रसूता का गोरखपुर के एंबुलेंस में सुरक्षित प्रसव - Satyamev Times Media Network.
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है गोरखपुर - कुशीनगर के विशुनपुरा गांव में मायके में रह रही प्रसूता को गोरखपुर के एंबुलेंस से मदद मिली और एंबुलेंस में ही उनका सुरक्षित प्रसव हो गया । समय से निजी साधन न मिलने पर उनके पति उन्हें बाइक से लेकर चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आ रहे थे । इस बीच 102 नंबर पर काल की गयी और गोरखपुर में सिधावल चौराहे के पास एंबुलेंस मिल गयी और सरैया पहुंचते-पहुंचे प्रसव पीड़ा बढ़ने पर एंबुलेंस में ही प्रसव कराया गया । जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं । चरगांवा ब्लॉक के जंगल अयोध्या प्रसाद की रहने वाले जितेंद्र की शादी तीन साल पहले कुशीनगर के विशुनपुरा गांव की निर्मला से हुई । निर्मला का पहला बच्चा गर्भ में था । वह अपने मायके में थीं । बीते भोर में निर्मला को तेज प्रसव पीड़ा हुई तो उनके परिवार के लोग साधन की तलाश में लग गये । जब तक साधन का इंतजाम होता प्रसव पीड़ा और भी तेज हो गयी । जितेंद्र ने बताया कि उन्होंने पत्नी को बाइक पर बीच में बैठाया और पीछे साली को बैठा कर बाइक से ही चल पड़े । इस दौरान उनकी साली ने 102 नंबर लगाया । सूचना मिलने के बाद भोर के 3.28 बजे एंबुलेंस सिधावल चौराहे पर पहुंच गयी। एंबुलेंस के इमर्जेंसी मेडिकल टेक्निशियन (ईएमटी) राजेश कुमार ने बताया कि उन लोगों ने पिपराईच सीएचसी पर मरीज भर्ती कराने की सलाह दी लेकिन जितेंद्र चरगांवा में भर्ती करवाना चाहते थे । सरैया बाजार पहुंचे-पहुंचते प्रसव पीड़ा और बढ़ गयी और एंबुलेंस में प्रसव कराने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था । पायलट रामेंद्र प्रताप चौरसिया ने एंबुलेंस रोक दिया और पति व साली की मौजदूगी में उनके सहयोग से प्रसव करवाया गया । इसके बाद जच्चा-बच्चा को चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा दिया । जितेंद्र का कहना है कि उनकी पत्नी और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और वह एंबुलेंस सेवा से संतुष्ट हैं । उनका कहना है कि सही जानकारी के अभाव के कारण वह नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र की बजाय इतनी दूर पत्नी को लेकर निकल पड़े । उनका पहला बेटा हुआ है जो स्वस्थ है और वह खुश हैं । सुरक्षित हैं एंबुलेंस - एंबुलेस सेवा के जिला समन्वयक अजय उपाध्याय का कहना है कि 102 नंबर एंबुलेंस प्रसूताओं के लिए सुरक्षित है । ईएमटी और पायलट एंबुलेंस में प्रसव कराने के लिए प्रशिक्षित होते हैं और प्रसव संबंधित समस्त किट उपलब्ध रहती है । संस्थागत प्रसव के बाद एंबुलेंस घर तक छोड़ती भी है । जिले में 102 नंबर एंबुलेंस सेवा से इस साल जनवरी से लेकर अब तक लगभग 69000 महिलाओं को सेवा उपलब्ध करायी गयी है। अच्छा प्रयास - प्रसव पीड़ा होने पर प्रसूता को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में ही भर्ती कराया जाना चाहिए । इस मामले में एंबुलेंसकर्मियों की सक्रियता से जच्चा-बच्चा सुरक्षित हैं । प्रसव के बाद 48 से 72 घंटे तक चिकित्स की परामर्श के अनुसार जच्चा-बच्चा को स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती रखना चाहिए - डा. नंद कुमार, नोडल अधिकारी

गोरखपुर – कुशीनगर से आई प्रसूता का गोरखपुर के एंबुलेंस में सुरक्षित प्रसव

गोरखपुर – कुशीनगर के विशुनपुरा गांव में मायके में रह रही प्रसूता को गोरखपुर के एंबुलेंस से मदद मिली और एंबुलेंस में ही उनका सुरक्षित प्रसव हो गया । समय से निजी साधन न मिलने पर उनके पति उन्हें बाइक से लेकर चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आ रहे थे । इस बीच 102 नंबर पर काल की गयी और गोरखपुर में सिधावल चौराहे के पास एंबुलेंस मिल गयी और सरैया पहुंचते-पहुंचे प्रसव पीड़ा बढ़ने पर एंबुलेंस में ही प्रसव कराया गया । जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं ।

चरगांवा ब्लॉक के जंगल अयोध्या प्रसाद की रहने वाले जितेंद्र की शादी तीन साल पहले कुशीनगर के विशुनपुरा गांव की निर्मला से हुई । निर्मला का पहला बच्चा गर्भ में था । वह अपने मायके में थीं । बीते भोर में निर्मला को तेज प्रसव पीड़ा हुई तो उनके परिवार के लोग साधन की तलाश में लग गये । जब तक साधन का इंतजाम होता प्रसव पीड़ा और भी तेज हो गयी । जितेंद्र ने बताया कि उन्होंने पत्नी को बाइक पर बीच में बैठाया और पीछे साली को बैठा कर बाइक से ही चल पड़े । इस दौरान उनकी साली ने 102 नंबर लगाया । सूचना मिलने के बाद भोर के 3.28 बजे एंबुलेंस सिधावल चौराहे पर पहुंच गयी। एंबुलेंस के इमर्जेंसी मेडिकल टेक्निशियन (ईएमटी) राजेश कुमार ने बताया कि उन लोगों ने पिपराईच सीएचसी पर मरीज भर्ती कराने की सलाह दी लेकिन जितेंद्र चरगांवा में भर्ती करवाना चाहते थे ।

सरैया बाजार पहुंचे-पहुंचते प्रसव पीड़ा और बढ़ गयी और एंबुलेंस में प्रसव कराने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था । पायलट रामेंद्र प्रताप चौरसिया ने एंबुलेंस रोक दिया और पति व साली की मौजदूगी में उनके सहयोग से प्रसव करवाया गया । इसके बाद जच्चा-बच्चा को चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा दिया । जितेंद्र का कहना है कि उनकी पत्नी और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और वह एंबुलेंस सेवा से संतुष्ट हैं । उनका कहना है कि सही जानकारी के अभाव के कारण वह नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र की बजाय इतनी दूर पत्नी को लेकर निकल पड़े । उनका पहला बेटा हुआ है जो स्वस्थ है और वह खुश हैं ।

सुरक्षित हैं एंबुलेंस –

एंबुलेस सेवा के जिला समन्वयक अजय उपाध्याय का कहना है कि 102 नंबर एंबुलेंस प्रसूताओं के लिए सुरक्षित है । ईएमटी और पायलट एंबुलेंस में प्रसव कराने के लिए प्रशिक्षित होते हैं और प्रसव संबंधित समस्त किट उपलब्ध रहती है । संस्थागत प्रसव के बाद एंबुलेंस घर तक छोड़ती भी है । जिले में 102 नंबर एंबुलेंस सेवा से इस साल जनवरी से लेकर अब तक लगभग 69000 महिलाओं को सेवा उपलब्ध करायी गयी है।

अच्छा प्रयास –

प्रसव पीड़ा होने पर प्रसूता को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में ही भर्ती कराया जाना चाहिए । इस मामले में एंबुलेंसकर्मियों की सक्रियता से जच्चा-बच्चा सुरक्षित हैं । प्रसव के बाद 48 से 72 घंटे तक चिकित्स की परामर्श के अनुसार जच्चा-बच्चा को स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती रखना चाहिए – डा. नंद कुमार, नोडल अधिकारी

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