संतकबीरनगर-उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ प्रदेश में भ्रष्टाचार तथा भ्रष्टाचारी के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं। कार्यकाल के अंत समय तक भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने वाले सीएम योगी की इस मंशा पर जिलाधिकारी दिव्या मित्तल पलीता लगा रही हैं। जी हां ये सही है, प्रमाण के साथ हम इस बात को प्रस्तुत कर रहें हैं। देखिए हमारी ये खास रिपोर्ट…..
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ आम तौर पर अपने कड़े फैसलों के लिए जाने जाते हैं। सीएम योगी ने किसी मुद्दे पर अगर एक बार कार्रवाई का मन बना लिया तो कार्रवाई होनी तय है। पर संतकबीरनगर जिले के जिम्मेदार अफ़सर सीएम की मंशा पर पलीता लगाते नज़र आ रहें हैं। ब्लॉकों में फैले भ्रष्टाचार के साम्राज्य के खात्मे को लेकर बीते दिनों आगे आये ग्राम पंचायत अधिकारी संघ के प्रार्थना पत्र पर अबतक जिले के जिम्मेदारों के द्वारा कोई कार्यवाही न किया जाना इस बात का संकेत देता है कि यहां सब गोलमाल है……
ग्राम पंचायत अधिकारी संघ की ये थी शिकायतें……..
1– ब्लाकों पर दलालों का कब्ज़ा
2-निजी लाभ के लिए BDO देते हैं दलालों को तबज्जो.……
3-आवास के नाम पर दलाली करते हैं दलाल…..
4-मनमाफिक रिपोर्ट के लिए सचिवों पर दलाल डालते हैं दबाव……काम न करने पर मारपीट पर आमादा हो जातें हैं दलाल
5-मनरेगा में बीडीओ करतें हैं धांधली…..
6-राजनैतिक और बीडीओ के दबाव में काम करने का दंड भोगते हैं सचिव….
7-घोटाले को बढ़ावा देने वाले बीडीओ खुद को पाक साफ बना लेते हैं….
8-दोष बीडीओ का और गड़बड़ी के आरोप में निलंबित हो जाते हैं बेकसूर सचिव….
उपरोक्त बिंदुओं समेत तमाम अन्य विन्दुओ से जुड़ी शिकायतों को लेकर संघ द्वारा की गई शिकायत फ़िलहाल ठंडे बस्ते में हैं, उच्चाधिकारियों को ग्राम पंचायत अधिकारियों को ये शिकायत जब पची नही तब आलाधिकारियों ने सचिवों को सबक सिखाने के लिए तबादला नीति चलाई, विकास की धुरी माने गए तमाम सचिव तास की पत्तों की तरह फेटें गए,कार्यक्षेत्र में फेरबदल स्वीकार कर गंतव्य जाने वाले सचिवों को आलाधिकारियों ने फिर परेशान करते हुए अनियमित समायोजन कर उनके माथे पर बल लाने की कोशिश की ताकि सचिव भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों को भूल जाए।पर आज भी ग्राम पंचायत सचिव संघ सीएम योगी की मंशा के साथ खड़ा रहकर ब्लॉक में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने की लड़ाई लड़ रहा है।ग़ौरतलब हो कि ब्लॉक मुख्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ जाने वाले तमाम सचिवों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ,बात हैंसर की और खलीलाबाद ब्लॉक की करते हैं, जहां जब कर्मियों ने अनैतिक कार्य करने से मना किया तब राजनैतिक दबाव के चलते उनपर मुकदमे की नौबत आ गयी, उन्हें मारा पीटा भी गया। अब सोंचने वाली बात है कि जिन सचिवों को भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा दोषी बताया जाता था,आज अगर वही सचिव भ्रष्टाचार के खात्मे को लेकर जंग लड़ रहे हैं तो उसपर डीएम चुप क्यों हैं…..???? क्यों नही वो कार्यवाही कर रही हैं.. ? क्या वो भी सत्ता के दबाव में हैं? खैर ये बाते हम डंके की चोट पर इसलिए कह रहें हैं क्योंकि हमें ग्राम पंचायत अधिकारियों द्वारा डीएम को दिया गया पत्र गोपनीय तरीके से हाथ लगा है, यह पत्र जिले के जिम्मेदार डीएम की मंशा को भी उजागर करता है जो इतने महीने बाद भी कोई कार्यवाही करने के लिए खुद को तैयार नही कर पाई,डीएम साहिबा स्वयं मुख्यमंत्री की मंशा पर पलीता लगा रहीं हैं….. खबर के साथ हम ग्राम पंचायत सचिव संघ के उस पत्र को भी संलग्न कर रहें है और ये आशा कर रहें हैं कि सचिवों की इस परेशानी को स्वयं सीएम योगी खत्म करें, क्योकि इन सचिवों को सिर्फ उन्ही का सहारा है।