&क्षेत्रीयकौशल विकास पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण केंद्र (सीआरसी )के सभागार में हुआ सम्पन्न।
समदृष्टि क्षमता विकास एवं अनुसंधान मंडल (सक्षम ) एक सामाजिक एवं राष्ट्रीय संगठन है, जो दिव्यांग जनों के उत्थान पुनर्वास एवं सर्वांगीण विकास हेतु सतत क्रियाशील है. सक्षम द्वारा गोरक्षप्रान्त के सभी 10 जिलों में सक्रिय इकाइयां हैं।
पूरे देश में 25 अगस्त से लेकर 8 सितंबर तक नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है ,सक्षम गोरक्ष प्रांत में भी नेत्रदान पखवाड़ा मनाया गया,जिसमें दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति डॉ राजेश सिंह ने नेत्रदान का संकल्प पत्र भरकर इसकी शुरुआत की ,इन दिनों में कुल 450 लोगों ने नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा ।
आज सक्षम गोरखपुर ने नेत्रदान पखवाड़े का समापन समारोह व संकल्प पत्र वितरण कार्यक्रम ,क्षेत्रीय कौशल विकास पुनर्वास एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण केंद्र (सीआरसी )के सभागार में सम्पन्न किया गया,जिसमें मुख्य अतिथि श्रीमती साधना सिंह ,अति विशिष्ट अतिथि ग्रामीण विधायक श्री विपिन सिंह जी तथा विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक चिल्लू पार तथा पूर्व मंत्री राजेश त्रिपाठी जी उपस्थित थे ।इस कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने अपना उद्बोधन दिया माननीय ग्रामीण विधायक विपिन सिंह ने कहां की पहले जिसे विकलांग कहा जाता था उसे आज दिव्यांग नाम दिया गया। भारतवर्ष की सरकार तथा उत्तर प्रदेश के यशस्वी ऊर्जावान प्रदेश को तीब्र विकास की गति देने वाले तथा अपराध जगत को जड़ से उखाड़ देने वाले मुख्यमंत्री ने भी इन दिव्यांग जनों के विकास, पुनर्वास तथा सशक्तिकरण को अच्छी गति दी है। चिल्लू पार के पूर्व विधायक श्री राजेश त्रिपाठी जी ने जो खुद पूरा शरीर दान दे चुके हैं अपने उद्बोधन में बोला इस तरह का दान देना तो आसान है लेकिन इसको अमलीजामा पहनाना बहुत मुश्किल है ,क्योंकि यह वादा हम करते हैं लेकिन हमारे मरने के बाद हमारे घर वाले निभाते हैं इसलिए अपने बच्चों, पत्नी तथा घर के लोगों को यह संकल्प करना चाहिए कि मेरा शरीर दान मेरे जीवन का लक्ष्य है और मेरे जाने के बाद इसे अगर आप लोग दान नहीं करने देंगे तो मेरी आत्मा को संतुष्टि नहीं होगी ।प्रांत अध्यक्ष डॉक्टर शिव शंकर शाही ने अपने उद्बोधन में कहा कि पिछले साल मैं गोरक्ष प्रांत का अध्यक्ष बना तो 10 जिलों में हमारी सक्रिय इकाइयां नहीं थी, आज दसों जिलों में हमारी अति सक्रीय इकाइयां है। दिव्यांग जनों के पुनर्वास स्वावलंबन कथा विकास के लिए हम लोग सतत प्रयास कर रहे हैं तथा कई क्षेत्र में सफलता भी पाई है ।मेरा मानना है कि अगर इन दिव्यांग जनों को अच्छा प्रशिक्षण देकर लघु उद्योग खोलकर इन्हें स्वावलंबन दिया जाए तो चीन जो हमारे देश में रक्षाबंधन झालर खिलौना आदि चीजें लेकर एकछत्र राज कर रहा है उसको मुंह तोड़ जवाब दे सकते हैं, तथा यह दिव्यांगजन पूरे विश्व में भारत का औद्योगिक जगत में वर्चस्व स्थापित करने के साथ-साथ भारत बर्ष को पुनः विश्व गुरु बनाने में मदद कर सकते हैं ।दिव्यांग जनों को भगवान ने कुछ कमियां दी तो हम लोग से ज्यादा शक्ति तथा कुछ कर गुजरने का समर्थ भी दिया। बस हम लोगों को देश के बहुमुखी विकास में सभी के साथ साथ दिव्यांग जनों को भागीदारी बनाकर भारतवर्ष को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करना होगा।
कार्निया अंधत्व मुक्त भारत के प्रभारी डॉ यादवेंद्र सिंह ने इस नेत्रदान पखवाड़े का संचालन किया तथा सफल 450 लोगों श्री नेत्रदान संकल्प पत्र भरवाया डॉ यादवेंद्र सिंह ने बताया कि नेत्रदान में पूरी आंख नहीं निकाली जाती है केवल एक पतली सी झिल्ली जिसे कार्निया कहते हैं उसे निकाला जाता है और आंख सुरक्षित रहती है।