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गोरखपुर-प्राथमिक विद्यालय इलाहीबाग पर बाढ़ राहत के नाम पर जिला प्रशासन ने किया कब्जा_रिपोर्ट-विभव पाठक - Satyamev Times Media Network.
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है   विद्यालय के पांच कक्षाओं में 3 पर बाढ़ राहत चौकी के नाम पर प्रशासन का लटका ताला तिगुनी क्षमता के साथ कक्षाओं में पढ़ रहे छात्र     प्राथमिक विद्यालय इलाहीबाग में बाढ़ राहत चौकी बनाए जाने से विद्यालय में बच्चों को पठन-पाठन में खासा दिक्कतों का सामना उठाना पड़ रहा है। विद्यालय के पांच कक्षाओं में 3 पर बाढ़ राहत चौकी का ताला लटक गया है।सिर्फ दो कक्षाओं में तिगुनी क्षमता के साथ छात्रों को पढ़ाया जा रहा है। बताते चलें, प्राथमिक विद्यालय इलाहीबाग में पांच कक्षाएं छात्रों के पठन-पाठन हेतु बनाई गई। हैं जिनमें 21 अगस्त से बाढ़ राहत चौकी जिला प्रशासन द्वारा बना दी गई है। बाढ़ राहत के नाम पर विद्यालय के पांच कक्षाओं में से तीन कक्षाओं पर राहत सामग्री वितरण के लिए सुरक्षित कर लिया गया।गौरतलब है कि 1 सितंबर से जिले में सभी विद्यालय पठन-पाठन के लिए खोले जा चुके हैं।इस बीच विद्यालय के 168 छात्रों को पढ़ने के लिए मात्र 2 कक्षाएं ही बची रह गई है। जिन में क्षमता के 3 गुने छात्रों को पढ़ाया जा रहा है।विद्यालय की इंचार्ज प्रधान अध्यापिका सायमा इख़लाक़ ने बताया कि विद्यालय के 19 पैरामीटर बनाए गए हैं जिनका बाढ़ राहत चौकी बनने से खुला उल्लंघन हो रहा है। बाढ़ राहत सामग्री वितरण के दिन हजारों की संख्या में लाभार्थी विद्यालय परिसर में भर जाते हैं।जिससे कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरा उल्लंघन होता है। साथ ही पठन-पाठन कार्य भी बाधित होता है। इतना ही नहीं अत्यधिक भीड़ हो जाने से विद्यालय के तमाम सामानों की भी क्षति होती है। इस विद्यालय में एक इंचार्ज प्रधान अध्यापिका व दो शिक्षामित्र तैनात हैं।यह विद्यालय इंग्लिश मीडियम के तहत छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है। विद्यालय को शिक्षिकाओं ने अपनी और सरकारी मदद से काफी सुंदर बनाया था जो कि अब बाढ़ राहत चौकी बन जाने के बाद से काफी बिगड़ चुका है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका बताती है कि विद्यालय का समय सुबह 8:00 से दोपहर 2:00 बजे तक होता है और 10:00 बजे सुबह से बाढ़ राहत लाभार्थियों की भीड़ इकट्ठा हो जाती है।जिससे अफरा तफरी का माहौल बन जाता है। इतना ही नहीं कभी स्वास्थ विभाग भी टीकाकरण के नाम पर विद्यालय को स्वास्थ्य केंद्र में बदल देता है तो कभी बाढ़ राहत के नाम पर सरकारी तालाब विद्यालय के कक्षाओं में लटक जाता है। बच्चों के पठन-पाठन पर असर पड़ता है। जहां एक तरफ कोविड-19 महामारी से पिछले डेढ़ सालों से विद्यालय बंद चल रहे थे वही अब बाढ़ राहत चौकी व कोविड-19 टीकाकरण केंद्र के नाम पर इन विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

गोरखपुर-प्राथमिक विद्यालय इलाहीबाग पर बाढ़ राहत के नाम पर जिला प्रशासन ने किया कब्जा_रिपोर्ट-विभव पाठक

 

विद्यालय के पांच कक्षाओं में 3 पर बाढ़ राहत चौकी के नाम पर प्रशासन का लटका ताला

तिगुनी क्षमता के साथ कक्षाओं में पढ़ रहे छात्र

 

 

प्राथमिक विद्यालय इलाहीबाग में बाढ़ राहत चौकी बनाए जाने से विद्यालय में बच्चों को पठन-पाठन में खासा दिक्कतों का सामना उठाना पड़ रहा है। विद्यालय के पांच कक्षाओं में 3 पर बाढ़ राहत चौकी का ताला लटक गया है।सिर्फ दो कक्षाओं में तिगुनी क्षमता के साथ छात्रों को पढ़ाया जा रहा है।

बताते चलें, प्राथमिक विद्यालय इलाहीबाग में पांच कक्षाएं छात्रों के पठन-पाठन हेतु बनाई गई। हैं जिनमें 21 अगस्त से बाढ़ राहत चौकी जिला प्रशासन द्वारा बना दी गई है। बाढ़ राहत के नाम पर विद्यालय के पांच कक्षाओं में से तीन कक्षाओं पर राहत सामग्री वितरण के लिए सुरक्षित कर लिया गया।गौरतलब है कि 1 सितंबर से जिले में सभी विद्यालय पठन-पाठन के लिए खोले जा चुके हैं।इस बीच विद्यालय के 168 छात्रों को पढ़ने के लिए मात्र 2 कक्षाएं ही बची रह गई है। जिन में क्षमता के 3 गुने छात्रों को पढ़ाया जा रहा है।विद्यालय की इंचार्ज प्रधान अध्यापिका सायमा इख़लाक़ ने बताया कि विद्यालय के 19 पैरामीटर बनाए गए हैं जिनका बाढ़ राहत चौकी बनने से खुला उल्लंघन हो रहा है। बाढ़ राहत सामग्री वितरण के दिन हजारों की संख्या में लाभार्थी विद्यालय परिसर में भर जाते हैं।जिससे कोविड-19 प्रोटोकॉल का पूरा उल्लंघन होता है। साथ ही पठन-पाठन कार्य भी बाधित होता है। इतना ही नहीं अत्यधिक भीड़ हो जाने से विद्यालय के तमाम सामानों की भी क्षति होती है। इस विद्यालय में एक इंचार्ज प्रधान अध्यापिका व दो शिक्षामित्र तैनात हैं।यह विद्यालय इंग्लिश मीडियम के तहत छात्रों को शिक्षा प्रदान करता है। विद्यालय को शिक्षिकाओं ने अपनी और सरकारी मदद से काफी सुंदर बनाया था जो कि अब बाढ़ राहत चौकी बन जाने के बाद से काफी बिगड़ चुका है।

विद्यालय की प्रधानाध्यापिका बताती है कि विद्यालय का समय सुबह 8:00 से दोपहर 2:00 बजे तक होता है और 10:00 बजे सुबह से बाढ़ राहत लाभार्थियों की भीड़ इकट्ठा हो जाती है।जिससे अफरा तफरी का माहौल बन जाता है। इतना ही नहीं कभी स्वास्थ विभाग भी टीकाकरण के नाम पर विद्यालय को स्वास्थ्य केंद्र में बदल देता है तो कभी बाढ़ राहत के नाम पर सरकारी तालाब विद्यालय के कक्षाओं में लटक जाता है। बच्चों के पठन-पाठन पर असर पड़ता है।

जहां एक तरफ कोविड-19 महामारी से पिछले डेढ़ सालों से विद्यालय बंद चल रहे थे वही अब बाढ़ राहत चौकी व कोविड-19 टीकाकरण केंद्र के नाम पर इन विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

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