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करवा चौथ - चांद का दीदार कर चमक उठे चांद - Satyamev Times Media Network.
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है चांद का दीदार कर चमक उठे चांदआज यानी 24 अक्टूबर को देश भर में करवाचौथ का त्योहार मनाया गया। करवाचौथ पर सुहागिन महिलाएं अपनी पति की दीर्घायु की कामना की और चांद ‌निकलने के बाद छल्नी में पहले चांद को देखने के बाद फिर पति को देखकर व्रत पूर्ण किया। करवाचौथ के इस व्रत को करक चतुर्थी, दशरथ चतुर्थी, संकष्टि चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन करवा माता के साथ मां पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने का भी विधान है। करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास पर्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करवा माता की पूजा अर्चना पूरी श्रद्धा भाव से करती हैं। ऐसी मान्यता हैं, कि करवा माता प्रसन्न होकर पति की दीर्घायु करती है। इस बार यह पर्व 24 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया गया। इस साल इस पर्व का बहुत अच्छा संयोग बना था। आपको बता दें करवा चौथ इस बार रोहिणी नक्षत्र में पूजा गया। शास्त्र के अनुसार रोहिणी नक्षत्र यानी रविवार का दिन सूर्य देवता का दिन होता है और यह व्रत करने से महिलाओं को सूर्य देवता का भी आशीर्वाद प्राप्त हुआ। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रख कर चांद देखने के बाद अपने अपने व्रत पूर्ण किए।

करवा चौथ – चांद का दीदार कर चमक उठे चांद

चांद का दीदार कर चमक उठे चांदआज यानी 24 अक्टूबर को देश भर में करवाचौथ का त्योहार मनाया गया। करवाचौथ पर सुहागिन महिलाएं अपनी पति की दीर्घायु की कामना की और चांद ‌निकलने के बाद छल्नी में पहले चांद को देखने के बाद फिर पति को देखकर व्रत पूर्ण किया। करवाचौथ के इस व्रत को करक चतुर्थी, दशरथ चतुर्थी, संकष्टि चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन करवा माता के साथ मां पार्वती, भगवान शिव और गणेश जी की पूजा करने का भी विधान है।

करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास पर्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करवा माता की पूजा अर्चना पूरी श्रद्धा भाव से करती हैं। ऐसी मान्यता हैं, कि करवा माता प्रसन्न होकर पति की दीर्घायु करती है। इस बार यह पर्व 24 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया गया। इस साल इस पर्व का बहुत अच्छा संयोग बना था।

आपको बता दें करवा चौथ इस बार रोहिणी नक्षत्र में पूजा गया। शास्त्र के अनुसार रोहिणी नक्षत्र यानी रविवार का दिन सूर्य देवता का दिन होता है और यह व्रत करने से महिलाओं को सूर्य देवता का भी आशीर्वाद प्राप्त हुआ। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रख कर चांद देखने के बाद अपने अपने व्रत पूर्ण किए।

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