सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है       एनआईसी मुड़ाडीहा बेग में मुशायरे का हुआ आयोजन ।   संतकबीरनगर- सेमरियावाँ ब्लाक के मुड़ाडीहा बेग में एक मुशायरे का आयोजन किया गया जिसका संचालन हारुन साहिल, अध्यछता वसीम खान वसीम जबकि मुख्य अतिथि के रूप में डॉ वसी रहे, इस अवसर पर एनआईसी मुड़ाडीहा बेग के प्रिंसिपल मास्टर मुजीबुल्लाह ने मुशायरे में शिरकत कर रहे लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि उर्दू को किसी एक वर्ग से जोडना अन्याय है क्योंकि उर्दू किसी एक वर्ग कि भाषा नही है वास्तव में उर्दू हिंदी में मात्र लिपि का अंतर है अन्यथा उर्दू और हिंदी में बुनियादी तौर पर कोई अंतर नही एक ही भाषा को देवनागरी में लिखकर हिंदी का और फारसी लिपि में लिखकर उर्दू का नाम दे दिया गया अध्यछता कर रहे वसीम खान वसीम ने कहा कि यदि उर्दू किसी खास वर्ग कि भाषा होती तो पंडित रतन नाथ सरसार, फराक गोरखपुरी रघुपति सहाय और दया शंकर नसीम जैसे लोग अपनी साहित्यिक यात्रा उर्दू में नहीं करते इसी प्रकार प्रसिद्ध कहानीकार प्रेमचन्द नवाब राय के नाम से उर्दू में नहीं लिखते प्रोग्राम का आरम्भ कारी अलिमुल्लाह ने नात पाक से किया डॉ वसी ने पढ़ा ये संग व खिस्त की दीवार भी है बेमानी, दिखाई देता है जिंदा के आर पर मुझे वसीम खान ने पढ़ा तुम्हारे शहर में अब किससे बात चीत करें दुआ सलाम भी जब सबका ताजिराना है इस अवसर पर डॉ वसी और अब्दुल हफीज को मोमेंटो भी दिया गया इस दौरान मास्टर अदील,खालिक कमाल,निसार अहमद,मनसाउल हक,फैयाज़ अहमद कुरैशी,मास्टर फैजान,वसी अहमद, मोहम्मद कामिल,डॉ मुनाजिर बारी,समीउल्लाह,मुदस्सिर हुसैन,हिफज़ुर्रहमान,जुनैद कुरैशी सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।     PUBLISH BY-MOHD ADNAN DURRANI

संतकबीरनगर-अगर समय रहते उर्दू भाषा पर ध्यान न दिया गया तो आने वाली पीढ़ी उर्दू का नाम भूल जाएँगी

 

 

 

एनआईसी मुड़ाडीहा बेग में मुशायरे का हुआ आयोजन ।

 

संतकबीरनगर- सेमरियावाँ ब्लाक के मुड़ाडीहा बेग में एक मुशायरे का आयोजन किया गया जिसका संचालन हारुन साहिल, अध्यछता वसीम खान वसीम जबकि मुख्य अतिथि के रूप में डॉ वसी रहे, इस अवसर पर एनआईसी मुड़ाडीहा बेग के प्रिंसिपल मास्टर मुजीबुल्लाह ने मुशायरे में शिरकत कर रहे लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि उर्दू को किसी एक वर्ग से जोडना अन्याय है क्योंकि उर्दू किसी एक वर्ग कि भाषा नही है वास्तव में उर्दू हिंदी में मात्र लिपि का अंतर है अन्यथा उर्दू और हिंदी में बुनियादी तौर पर कोई अंतर नही एक ही भाषा को देवनागरी में लिखकर हिंदी का और फारसी लिपि में लिखकर उर्दू का नाम दे दिया गया अध्यछता कर रहे वसीम खान वसीम ने कहा कि यदि उर्दू किसी खास वर्ग कि भाषा होती तो पंडित रतन नाथ सरसार, फराक गोरखपुरी रघुपति सहाय और दया शंकर नसीम जैसे लोग अपनी साहित्यिक यात्रा उर्दू में नहीं करते इसी प्रकार प्रसिद्ध कहानीकार प्रेमचन्द नवाब राय के नाम से उर्दू में नहीं लिखते प्रोग्राम का आरम्भ कारी अलिमुल्लाह ने नात पाक से किया डॉ वसी ने पढ़ा ये संग व खिस्त की दीवार भी है बेमानी, दिखाई देता है जिंदा के आर पर मुझे वसीम खान ने पढ़ा तुम्हारे शहर में अब किससे बात चीत करें दुआ सलाम भी जब सबका ताजिराना है इस अवसर पर डॉ वसी और अब्दुल हफीज को मोमेंटो भी दिया गया इस दौरान मास्टर अदील,खालिक कमाल,निसार अहमद,मनसाउल हक,फैयाज़ अहमद कुरैशी,मास्टर फैजान,वसी अहमद, मोहम्मद कामिल,डॉ मुनाजिर बारी,समीउल्लाह,मुदस्सिर हुसैन,हिफज़ुर्रहमान,जुनैद कुरैशी सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।

 

 

PUBLISH BY-MOHD ADNAN DURRANI

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