संतकबीरनगर। आर्य समाज खलीलाबाद के 70 वें वार्षिकोत्सव के तीसरे/चौथे दिन प्रातः 8 बजे से वैदिक मन्त्र विधि से शिवदत्त पाण्डेय के ब्रहत्व में यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ यजवान दम्पत्ति सक्ल मिश्र शास्त्री प्रधान, अशोक कुमार आर्य मंत्री, सत्यप्रकाश आर्य उप प्रधान तथा उमाकान्त सिंह कोषाध्यक्ष सहित समस्त दम्पत्तियों को आर्शीवाद से अभिसिन्चित किया। इसके साथ ही बताया कि यज्ञ की पूर्णाहुति मानव की दृष्टि, विचार व्यवहार के अनुपात में होती है। आत्मनः प्रतिकूलाति परेषा न समाचरेत् के साथ बताया गया कि व्यवहार ही सुख शान्ति को हेतु है। भौतिक कैमरा अपनी शक्ति के अनुसार ही छोटा बड़ा/रंगीन फोटो खींच सकता है। जबकि ईश्वर ने हमारी ऑखो में जो कैमरा लगाया है उसमें सफेद और काले दो ही रंग है जिनसे बड़े से बड़े रंग विरंगी वस्तु को हम देख लेते है किन्तु हमारे संस्कार उन्हें सफेद अर्थात अच्छे शुभ दृष्टि और कालेज अर्थात बुरे और अशुभ रूप मे देखते है। यह प्रमाण है कि हमारी दृष्टि/विजन कैसी है। आत्मिक उन्नति के लिये परमात्मा द्वारा प्रदत्त में यदि हम सुखी और सन्तुष्ट होते है तो यही यज्ञ की पूर्णता है और यदि हम केवल नकारात्मक विचार रखते है तो हमारा यज्ञ अधूरा ही रह जायेगा। अतः हमें परमात्मा का धन्यवद करते हुये अपने जीवन में सुख और दूसरो के प्रति भी ईर्ष्या द्वेष रहित दृष्टि रखने से उसका फल उत्तम होगा और लोक परलोक दोनो में कल्याण होगा