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डॉ. संजय‌ निषाद के ज्ञान को ग्यारह तोपों से सलामी_मन की बात - Satyamev Times Media Network.
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आरक्षण की लडाई लड़ने वाले कैबिनेट मंत्री को नहीं है जाति की जानकारी, अनुसूचित जातियों पासी, शिल्पकार, तुरैहा को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग, मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
अजय श्रीवास्तव
संतकबीरनगर- हमेशा विवादित बयानो को लेकर चर्चा में रहने वाले बीजेपी के सहयोगी कैबिनेट मंत्री, निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश के कतिपय पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए केन्द्र को प्रस्ताव भेजने की मांग किया है।  09 सितम्बर को सूबे के मुख्यमंत्री को दो पेज में लिखे पत्र में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डाक्टर संजय निषाद ने अनुसूचित जातियों को ही अनुसूचित जाति में सम्मिलित करने की मांग करना चर्चा का विषय बना हुआ है। उत्तर प्रदेश व भारत सरकार के अनुसूचित जाति के शासनादेश की सूची में क्रम संख्या:59 पर पासी 65 पर शिल्पकार एवं 66 पर तुरैहा अंकित है जो अनुसूचित जाति में आते हैं। बावजूद इसके प्रदेश के मत्स्य मंत्री डाक्टर संजय निषाद इन जातियों को जो जबसे आरक्षण लागू है तबसे अनुसूचित जाति में सम्मिलत है। उन्हें इस जाति का लाभ भी मिल रहा है। बावजूद इसके संजय निषाद द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पासी शिल्पकार तुरैहा जो अनुसूचित जाति में सम्मिलित है को अनुसूचित जाति में शामिल करने  की सोच के उनके ज्ञान को ग्यारह हजार तोपों से सलाम।
     डाक्टर संजय निषाद को छह साल पहले तक निषाद समुदाय और इनके लिए काम करने वाले कुछ ही लोग जानते थे। वह तब चर्चा में आए जब उन्होंने योगी आदित्यनाथ की सीट पर बीजेपी को हराने के लिए काम किया। संजय निषाद ने 2013 में निषाद पार्टी बनाई संजय निषाद गोरखपुर में गीता वाटिका रोड पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी क्लीनिक चलाते थे। 2002 में उन्होंने पूर्वांचल मेडिकल इलेक्ट्रो होम्योपैथी एसोसिएशन बनाया। संजय कैम्पियरगंज विधानसभा से पहली बार चुनाव लड़े और इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद बनाई।‌इसमें मछुआ समुदाय की 553 जातियों को एक मंच पर लाने की मुहिम शुरू की। इस घटना के बाद पॉप्युलर हो गए थे। संजय संजय निषाद ने 7 जून 2015 को गोरखपुर के सहजनवा में कसरवल गांव के पास निषादों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर रेलवे ट्रैक जाम कर दिया। 2017 में बनाई निषाद पार्टी  गोरखपुर की घटना से चर्चा में आने के बाद डॉ. संजय निषाद ने अपनी निषाद पार्टी बनाई। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने पीस पार्टी के साथ गठबंधन किया और 72 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन पार्टी को सिर्फ ज्ञानपुर सीट पर ही जीत मिली।‌संजय निषाद खुद गोरखपुर ग्रामीण सीट से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें सिर्फ 34,869 वोट मिले और वह हार गये। डाक्टर संजय निषाद अपने समुदाय के मीटिंग में दहाडते है कि उन्हें संविधान नियम कानून व आरक्षण की अच्छी जानकारी है लेकिन उनके पत्र से लगता है उन्हें अनुसूचित जातियों के बारे में ही नहीं पता है उनके अध कचरा ज्ञान को‌ हम ग्यारह तोपों से सलामी देते हैं।

डॉ. संजय‌ निषाद के ज्ञान को ग्यारह तोपों से सलामी_मन की बात

आरक्षण की लडाई लड़ने वाले कैबिनेट मंत्री को नहीं है जाति की जानकारी, अनुसूचित जातियों पासी, शिल्पकार, तुरैहा को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग, मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
अजय श्रीवास्तव
संतकबीरनगर– हमेशा विवादित बयानो को लेकर चर्चा में रहने वाले बीजेपी के सहयोगी कैबिनेट मंत्री, निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश के कतिपय पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के लिए केन्द्र को प्रस्ताव भेजने की मांग किया है।  09 सितम्बर को सूबे के मुख्यमंत्री को दो पेज में लिखे पत्र में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डाक्टर संजय निषाद ने अनुसूचित जातियों को ही अनुसूचित जाति में सम्मिलित करने की मांग करना चर्चा का विषय बना हुआ है। उत्तर प्रदेश व भारत सरकार के अनुसूचित जाति के शासनादेश की सूची में क्रम संख्या:59 पर पासी 65 पर शिल्पकार एवं 66 पर तुरैहा अंकित है जो अनुसूचित जाति में आते हैं। बावजूद इसके प्रदेश के मत्स्य मंत्री डाक्टर संजय निषाद इन जातियों को जो जबसे आरक्षण लागू है तबसे अनुसूचित जाति में सम्मिलत है। उन्हें इस जाति का लाभ भी मिल रहा है। बावजूद इसके संजय निषाद द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पासी शिल्पकार तुरैहा जो अनुसूचित जाति में सम्मिलित है को अनुसूचित जाति में शामिल करने  की सोच के उनके ज्ञान को ग्यारह हजार तोपों से सलाम।
     डाक्टर संजय निषाद को छह साल पहले तक निषाद समुदाय और इनके लिए काम करने वाले कुछ ही लोग जानते थे। वह तब चर्चा में आए जब उन्होंने योगी आदित्यनाथ की सीट पर बीजेपी को हराने के लिए काम किया। संजय निषाद ने 2013 में निषाद पार्टी बनाई संजय निषाद गोरखपुर में गीता वाटिका रोड पर इलेक्ट्रो होम्योपैथी क्लीनिक चलाते थे। 2002 में उन्होंने पूर्वांचल मेडिकल इलेक्ट्रो होम्योपैथी एसोसिएशन बनाया। संजय कैम्पियरगंज विधानसभा से पहली बार चुनाव लड़े और इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद बनाई।‌इसमें मछुआ समुदाय की 553 जातियों को एक मंच पर लाने की मुहिम शुरू की। इस घटना के बाद पॉप्युलर हो गए थे। संजय संजय निषाद ने 7 जून 2015 को गोरखपुर के सहजनवा में कसरवल गांव के पास निषादों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग को लेकर रेलवे ट्रैक जाम कर दिया। 2017 में बनाई निषाद पार्टी  गोरखपुर की घटना से चर्चा में आने के बाद डॉ. संजय निषाद ने अपनी निषाद पार्टी बनाई। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने पीस पार्टी के साथ गठबंधन किया और 72 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन पार्टी को सिर्फ ज्ञानपुर सीट पर ही जीत मिली।‌संजय निषाद खुद गोरखपुर ग्रामीण सीट से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें सिर्फ 34,869 वोट मिले और वह हार गये। डाक्टर संजय निषाद अपने समुदाय के मीटिंग में दहाडते है कि उन्हें संविधान नियम कानून व आरक्षण की अच्छी जानकारी है लेकिन उनके पत्र से लगता है उन्हें अनुसूचित जातियों के बारे में ही नहीं पता है उनके अध कचरा ज्ञान को‌ हम ग्यारह तोपों से सलामी देते हैं।

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