प्रतियोगिता के माध्यम से छात्र-छात्राओं में वैचारिक प्रखरता बढ़ती है और मन की झिझक दूर होती है जिससे काफी आत्म बल मिलता है वाद-विवाद एक औपचारिक चर्चा है जिससे तार्किक सुसंगती, तथ्यात्मक परिशुद्धता एवं भावनात्मक जुड़ाव मुख्य अंग होते हैं और यह व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होता है- डॉ. उदय प्रताप चतुर्वेदी (प्रबंध निदेशक)
सूर्या इंटरनेशनल सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रांगण में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में निजीकरण विषय पर चारों हाउस रेड, ग्रीन, येलो एवं ब्लू हाउस की कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक के छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग कर अपने-अपने तर्कों के माध्यम से अपना विचार रखा।
इस प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल द्वारा छात्र-छात्राओं की प्रस्तुति में समय, विचार और प्रदर्शन की प्रत्येक बिंदु की जांच करते हुए अंक देकर परिणाम घोषित किया। सभी विजयी प्रतिभागियों को विद्यालय के प्रबंध निदेशक डॉ उदय प्रताप चतुर्वेदी ने पुरस्कार राशि देकर सम्मानित किया। इस प्रतियोगिता में चारों हाउस से रेड हाउस की प्रभारी श्रीमती प्रतिभा श्रीवास्तव ने प्रथम स्थान, ब्लू हाउस के प्रभारी श्री अष्टभुजा त्रिपाठी ने द्वितीय स्थान एवं ग्रीन हाउस की प्रभारी श्रीमती अनामिका ने तृतीय स्थान तथा येलो हाउस के प्रभारी श्री राकेश चौधरी ने चतुर्थ स्थान प्राप्त किया। विद्यालय के प्रबंध निदेशक डॉ उदय प्रताप चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा कि प्रतियोगिता के माध्यम से छात्र-छात्राओं में वैचारिक प्रखरता बढ़ती है और मन की झिझक दूर होती है जिससे काफी आत्मबल मिलता है। वाद-विवाद एक औपचारिक चर्चा है जिससे तार्किक सुसंगती, तथ्यात्मक परिशुद्धता एवं भावनात्मक जुड़ाव मुख्य अंग होते हैं और यह व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होता है। साथ ही साथ विद्यालय के प्रबंध निदेशिका श्रीमती सविता चतुर्वेदी ने विद्यार्थियों के वाद-विवाद प्रतियोगिता के विषय ‘निजीकरण’ के संदर्भ में कुछ मुख्य बिंदुओं पर चर्चा की और कहा कि अवसर छोटा हो या बड़ा कभी गवाना नहीं चाहिए। इसी क्रम में विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री रविनेश श्रीवास्तव ने कहा कि वाद-विवाद प्रतियोगिता से मिलने वाला ज्ञान वर्तमान परिवेश के साथ-साथ भविष्य में भी काम आता है।
इस कार्यक्रम में मंच का सफल संचालन विद्यालय के उपप्रधानाचार्य श्री शरद त्रिपाठी ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ शिक्षक श्री अशोक चौबे, श्री नितेश द्विवेदी, श्री घनश्याम त्रिपाठी, श्री बलराम उपाध्याय का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा।