संतकबीरनगर जनपद के सर्वांगीण विकास, इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट, सौंदर्यीकरण, स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने जिले के औद्योगिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और पर्यावरणीय महत्त्व को ध्यान में रखते हुए कबीरा-बखिरा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (KB-SADA) के गठन हेतु शासन को प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव पर शासन द्वारा मुहर लगना तय माना जा रहा है। अगर शासन ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई तो जिला का अकल्पनीय विकास होगा। शासन को भेज पत्र में जिलाधिकारी ने जिले के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को बताते हुए इसके संपूर्ण विकास कराए जाने की मांग की है। कौमी एकता के पैरोकार जिनके नाम पर वर्ष 1997 में इस जिले का सृजन हुआ उस महान सूफी संत कबीर जी के बारे में वृहद जानकारी देते हुए जिले के सभी तहसीलों और ब्लॉक क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए उन्होंने जनपदीय आधारभूत सरंचना के रूप में वर्तमान में कबीर धाम, जिला स्टेडियम, नर्सिंग कॉलेज, कपड़ा मंडी, बेहतर रेल/रोड कनेक्टिविटी सहित अन्य धार्मिक पर्यटन स्थल हैं तथा सेफ सिटी प्लान, केन्द्रीय विद्यालय, मेडिकल कॉलेज, टेक्सटाईल ट्रैडिंग हब, लिंक एक्स्प्रेसवे/राम जानकी मार्ग एवं नया बस अड्डा जैसे प्रोजेक्ट जो निकट भविष्य में प्रस्तावित हैं के संबंध में शासन को जानकारी भेजा है।
शासन को संबोधित पत्र में जिलाधिकारी ने महाकवि संत कबीर दास जी के ऐतिहासिक जुड़ाव को उल्लिखित करते हुए कहा है कि जनपद में मगहर क्षेत्र अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। मगहर वह स्थान है जहां प्रसिद्ध मध्ययुगीन संत और कवि, संत कबीर दास जी ने अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बिताया था और अंततः उनका निधन वर्ष 1517 में हो गया। पत्र में जनपद के औद्योगिक महत्व का उल्लेख करते हुए जिलाधिकारी ने शासन के ध्यानार्थ बताया है कि खलीलाबाद कस्बा अपने उत्कृष्ट होजरी उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है। जनपद मुख्यालय के रूप में खलीलाबाद को कपड़ा मंडी (वस्त्र/परिधान केंद्र) के रूप में जाना जाता है। बाजार का वार्षिक कारोबार सैकड़ों करोड़ रुपये है। होजरी को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (व्क्व्च्) के रूप में चिन्हित किया गया है। खलीलाबाद व्यापार और वाणिज्य के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। वहीं बखिरा पक्षी अभयारण्य पक्षी उत्साही और पक्षी विज्ञानियों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य है क्योंकि यह स्थान कई प्रवासी और निवासी पक्षी प्रजातियों के लिए एक निवास स्थान प्रदान करता है। मेहंदावल तहसील का बखिरा क्षेत्र पीतल का बर्तन एक प्राचीन शिल्प है। इसी औद्योगिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और पर्यावरणीय महत्व को ध्यान में रखते हुए संत कबीर नगर जनपद के कुछ क्षेत्र को विशेष क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए और इसके लिए विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण आवश्यक है जिसे कबीरा-बखिरा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (KB-SADA) के रूप में जाना जाएगा।
बताते चले कि विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण SADA आम तौर पर एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के विकास की देखरेख (विशेषकर आर्थिक विकास में तेजी लाने) और प्रबंधन करने के लिए स्थापित किया जाता है। उत्तर प्रदेश में SADA प्रदेश विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम-1986 के तहत शासित होते हैं। अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कुशीनगर, कपिलवस्तु, चित्रकूट तथा शक्तिनगर SADA के रूप में अधिसूचित किए जा चुके हैं। इस प्रस्ताव के माध्यम से जनपद संत कबीर नगर में पाँचवा SADA प्रस्तावित किया जा रहा है।
जनपद संतकबीरनगर में SADA की आवश्यकता क्यों है, इस संबंध में जिलाधिकारी के पत्र में उल्लेख किया गया है। शहरी आबादी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। वर्तमान में जनपद में भवन संचालन विनियमन (आरबीओ) अधिनियम-1958 लागू है जो केवल विनियमित क्षेत्र में भवन संचालन को विनियमित करने के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है लेकिन इस अधिनियम के तहत नियोजित विकास कार्य नहीं किए जा सकते हैं। सामान्यतः गोरखपुर और विशेष रूप से GIDA (गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण) का विकास गोरखपुर और संत कबीर नगर की सीमाओं पर किया गया है। यह बिल्कुल स्पष्ट है कि संत कबीर नगर के कुछ हिस्सों में अनियोजित विकास होगा, इसलिए जनपद के नियोजित विकास के लिए KB-SADA आवश्यक है। अयोध्या से निकटता के दृष्टिगत संत कबीर नगर अयोध्या और गोरखपुर के बीच सेतु बन सकता है। अयोध्या-संत कबीर नगर-गोरखपुर-कुशीनगर सर्किट धार्मिक पर्यटन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। यह बखिरा झील पक्षी अभयारण्य और उसके आसपास इको-पर्यटन और कृषि-पर्यटन को नए पंख देगा। इससे अव्यवस्थित खलीलाबाद कपड़ा बाजार को भी बढ़ावा मिलेगा।
जनपद संत कबीर नगर में KB-SADA आने से जनपद में होने वाले विकासगत बदलाव को उद्धृत करते हुए जिलाधिकारी द्वारा शासन को अवगत कराया गया है कि यदि KB-SADA घोषित हो जाए तो यह गोरखपुर का प्रवेश द्वार बन सकता है। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण के पूर्वी दिशा में भी नियोजित विकास आ सकता है। अयोध्या-संत कबीर नगर-गोरखपुर-कुशीनगर धार्मिक पर्यटन सर्किट का निर्माण हो सकता है। SADA के माध्यम से एक “इंडस्ट्रियल पार्क” बनाकर न केवल होजरी मैन्यूफैक्चरिंग को संगठित किया जा सकता है बल्कि जनपद में एक “आधुनिक टैक्सटाइल ट्रेडिंग हब” भी बनाया जा सकता है। इको-टुरिज़म की दृष्टि से बखिरा के सतत विकास हेतु कुछ बजट को उपरोक्त टाउनशिप में भारित किया जा सकता है।
जिलाधिकारी द्वारा शासन को प्रस्तावित कबीरा-बखिरा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (KB-SADA) में सम्पूर्ण अधिसूचित मगहर-खलीलाबाद विनियमित क्षेत्र, सम्पूर्ण अधिसूचित नगर पालिका क्षेत्र (खलीलाबाद), सम्पूर्ण अधिसूचित नगर पंचायत क्षेत्र (मगहर, मेहंदावल एवं बाघनगर उर्फ बखिरा) तथा 218 राजस्व ग्रामों (बखिरा झील के ज़ोन ऑफ इन्फ्लूअन्स – ZOI में होने के कारण 22 राजस्व ग्राम तहसील सहजनवां, जनपद गोरखपुर सहित) के सम्पूर्ण क्षेत्रफल को सम्मिलित किया जा रहा है।
प्रस्तावित कबीरा-बखिरा विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का क्षेत्रफल 297 वर्ग किलोमीटर होगा जो जनपद के कुल क्षेत्रफल का 18 प्रतिशत होगा तथा यह क्षेत्र विकास के माध्यम से जनपद की 4 लाख से अधिक जनसंख्या को सीधे प्रभावित करेगा। साथ ही KB-SADA 1 ट्रिलियन-डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के राज्य के दृष्टिकोण में बड़े पैमाने पर योगदान दे सकता है।