कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं! ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका
मशहूर शायर फ़िराक़ गोरखपुरी की ये पंक्तियां आज सहसा उस वक्त मुझे याद गई जब सूचना विभाग में तैनात लेखाकार रत्नेश चौधरी की आसमायिक निधन की सूचना मिली।
संतकबीरनगर जिले के शहर कोतवाली क्षेत्र के खम्हरिया गांव निवासी रत्नेश चौधरी पुत्र जगदीश चौधरी उम्र 35 वर्ष का यूं अचानक दुनियां छोड़कर चले जाना सभी को दुखी कर गया। बीते शनिवार की रात हार्ट अटैक से रत्नेश का निधन हो गया जिसकी सूचना पर घर परिवार समेत पूरे मीडिया जगत में शोक की लहर दौड़ पड़ी। हर किसी ने उन्हे अपनी अपनी श्रद्धांजलि दी। ऐसे मौके पर “दिवंगत रत्नेश” की आत्मा की शांति के लिए हमने भी ईश्वर से कामना की, हम सबके बीच से अचानक अदृश्य हो गए रत्नेश चौधरी भले भी गोलोकवासी हो गए पर अपने व्यवहार और विनम्र स्वभाव के नाम पर वो सदैव सभी के दिलों में जिंदा रहेंगे।बताते चले कि जिले के सूचना विभाग मे लेखाकार के पोस्ट पर तैनात रत्नेश चौधरी बीते शनिवार की शाम दोस्त की शादी में शामिल होने बस्ती गए थे। द्वारपूजा के समय दोस्तों के साथ वो डांस कर रहे थे। इसी दौरान उनके सीने में दर्द उठा और बेचैनी होने लगी। आनन फानन में लोग उन्हें लेकर कैली मेडिकल कालेज लेकर पहुंचे। मौजूद डाक्टरों ने उनका उपचार शुरू कर दिया। लोगों ने इस बात की सूचना उनके परिजनों को भी दे दिया। परिजन अस्पताल पहुंचे तो वे पूरी तरह होश में थे ओर उन्होंने बताया कि दर्द में अब काफी आराम है। परिजनों के साथ अस्पताल के बेड पर बैठ कर वो बातचीत कर रहे थे कि इसी बीच उन्होंने अपने छोटे भाई से बेचैनी और चक्कर आने की शिकायत किया,अभी लोग कुछ समझ पाते कि रत्नेश चौधरी बेड पर गिरकर बेसुध हो गए। और कुछ ही मिनट में वो दुनियां छोड़ ईश्वरीय लोक पहुंच गए। उनके निधन पर उनकी पत्नी राधिका चौधरी का रो रो कर बुरा हाल रहा और बार बार चीख चीख कर बोल रही है की हर दिन मै अपने पति का शाम को इंतजार करती थी और कल भी फोन करके पूछी की शादी से कब आएंगे ? वो बोले थे कि अभी थोड़ी देर मे आ जाऊंगा पर मेरे पति नहीं आये उनका मृतक शरीर आया।मृतक रत्नेश चौधरी के मौत से पुरे गांव और कस्बे मे कोहराम मच गया है हर कोई उनका ही नाम ले रहा है लोग मृतक रत्नेश अपने गांव मे हर किसी के सूख दुःख मे मदद भी करते थे और हर किसी के साथ बहुत ही हसीं खुशी से रहते थे सभी लोग उनके हंसते चहरे को याद कर रहे है रत्नेश चौधरी दो भाइयों में सबसे बड़े थे। छोटे भाई को इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने के बाद वे उसे किसी अच्छी जगह स्थापित कराने की कोशिश में जुटे थे। माता-पिता, भाई, पत्नी और दो मासूम बच्चों का इकलौता सहारा छिन जाने से परिजनों पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है। मृतक के 7 वर्षीय एक बेटा एस और 4 वर्षीया एक बेटी गोलोरी हैं। मासूम बच्चे लोगों को रोते बिलखते देख सहमे हुए थे। उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं था कि आफिस से लौट कर उन्हें सीने से लगाकर दुलारने वाले पापा अब कभी वापस नहीं लौटेंगे।