संतकबीरनगर- सूचना विभाग में तैनात लेखाकार की हृदयाघात से मृत्यु_रिपोर्ट-प्रदीप अग्रहरी
कांटे / संत कबीर नगर – जिले के कोतवाली खलीलाबाद क्षेत्र के ग्राम खम्हरिया गांव निवासी रत्नेश चौधरी पुत्र जगदीश चौधरी उम्र 35 वर्ष का शनिवार की रात हार्ट अटैक से मौत हो गई रत्नेश चौधरी संत कबीर नगर जिले जनसम्पर्क सूचना बिभाग मे लेखाकार के पोस्ट पे तैनात थे मौत की सूचना सुनकर सुचना बिभाग व सभी पत्रकारों मे शोक की लहर दौड़ गई सुचना बिभाग के सभी अधिकारी परिजनों को ढांढस बंधाने में जुटे रत्नेश चौधरी के पिता ने बताया की शनिवार की शाम दोस्त की शादी में शामिल होने बस्ती गए थे। द्वारपूजा के समय दोस्तों के साथ डांस कर रहे थे। इसी दौरान उनके सीने में दर्द उठा और बेचैनी होने लगी। आनन फानन में लोग उन्हें लेकर कैली मेडिकल कालेज लेकर पहुंचे। मौजूद डाक्टरों ने उनका उपचार शुरू कर दिया। लोगों ने इस बात की सूचना उनके परिजनों को भी दे दिया। परिजन अस्पताल पहुंचे तो वे पूरी तरह होश में थे ओर उन्होंने बताया कि दर्द में अब काफी आराम है। परिजनों के साथ अस्पताल के बेड पर बैठ कर बातचीत कर रहे थे कि इसी बीच उन्होंने अपने छोटे भाई से बेचैनी और चक्कर आने की शिकायत किया। अभी लोग कुछ समझ पाते कि रत्नेश चौधरी बेड पर गिरकर बेसुध हो गए। रत्नेश के पत्नी राधिका चौधरी का रो रो कर बुरा हाल है और बार बार चीख चीख कर बोल रही है की हर दिन मै अपने पति का शाम को इंतजार करती थी और कल भी फोन करके पूछी की शादी से कब आएंगे घर बोले अभी थोड़ी देर मे आ जाऊंगा मेरे पति नहीं आये उनका मृतक शरीर आया।
मृतक रत्नेश की मौत से मचा कोहराम परिजनों पर टूटा विपत्ति का पहाड़
मृतक रत्नेश चौधरी के मौत से पुरे गांव और कस्बे मे कोहराम मच गया है हर कोई उनका ही नाम ले रहा है लोग मृतक रत्नेश अपने गांव मे हर किसी के सूख दुःख मे मदद भी करते थे और हर किसी के साथ बहुत ही हसीं खुशी से रहते थे सभी लोग उनके हस्ते चहरे को याद कर रहे है रत्नेश चौधरी दो भाइयों में सबसे बड़े थे। छोटे भाई को इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने के बाद वे उसे किसी अच्छी जगह स्थापित कराने की कोशिश में जुटे थे। माता-पिता, भाई, पत्नी और दो मासूम बच्चों का इकलौता सहारा छिन जाने से परिजनों पर विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है। मृतक के 7 वर्षीय एक बेटा एस और 4 वर्षीया एक बेटी गोलोरी हैं। मासूम बच्चे लोगों को रोते बिलखते देख सहमे हुए थे। उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं था कि आफिस से लौट कर उन्हें सीने से लगाकर दुलारने वाले पापा अब कभी वापस नहीं लौटेंगे।