Time in United States now
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है
नई दिल्ली (विशेष रिपोर्ट_अजय श्रीवास्तव_संपादक_सत्यमेव टाइम्स)

"मंजिले उनको मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नही होता हौसलों से उड़ान होती है"!

किसी मशहूर शायर की इन्ही पंक्तियों को अपने जीवन का गाइड लाइन बना लेने वाले डॉक्टर रामचेत चौधरी ने आज पूर्वांचल वासियों को बड़ी खुशखबरी दी है जो पूर्वांचल के लोगों के लिए किसी गौरव के क्षण के समान ही है। मूलत: संतकबीरनगर जिले के झिंगुरा पार गांव के रहने वाले डॉक्टर रामचेत चौधरी देश के एक जाने माने कृषि वैज्ञानिक हैं जिन्हे भगवान गौतम बुद्ध के आशीर्वाद कहे जाने वाले काला नमक चावल के उन्नत शोध के नाम पर पद्मश्री सम्मान मिला है। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में देश के नामी गिरामी चेहरों के साथ जाने माने राजनैतिक हस्तियों की मौजूदगी में जब मंच से कृषि वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी के नाम की घोषणा हुई तब तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मंच पर पहुंचे डॉ रामचेत चौधरी ने महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू से पद्मश्री सम्मान प्राप्त कर देशवासियों को आश्वस्त किया कि आने वाले दिनों में मशहूर काला नमक धान की अन्य प्रजातियों को विकसित करने के लिए वो गहन शोध करेंगे। कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह से लेकर कई राजनैतिक हस्तियां भी मौजूद रही। आपको बता दें कि काला नमक चावल को वैश्विक पहचान दिलाने वाले कृषि वैज्ञानिक वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी को आज यानी 22 अप्रैल को देश की राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया। डॉक्टर रामचेत चौधरी बस्ती मंडल के ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्हे ये सम्मान मिला है। भगवान गौतम बुद्ध का प्रसाद कहे जाने वाले काला नमक धान पर वर्षों तक शोध कर इसे विश्व पटल पर लाने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी ने लगातार रिसर्च कर न सिर्फ काला नमक धान की गुणवत्ता में सुधार किया बल्कि उसे शुगर फ्री भी बनाया। उन्होंने इस धान की कई और प्रजातियां तैयार की हैं जिसमे काला नमक 101, 102, 103 और काला नमक किरन शामिल है। मीडिया से बातचीत के दौरान डॉ रामचेत चौधरी ने बताया कि आज महामाहिम के हाथों सम्मान पाकर बहुत ही अच्छा लग रहा है, ये खुशी सिर्फ मेरी नही बल्कि पूरे पूर्वांचल वासियों के लिए है। उन्होंने बताया कि काला नमक की खेती 3 हजार साल पुरानी खेती है जो विलुप्त के कगार पर थी जिसपर उन्होंने वर्षों तक अनुसंधान किया और इसकी चार नई प्रजातियां विकसित की। आगे और भी इस चावल पर अनुसंधान करने की बात भी उन्होंने कही। किसानों को गुणवत्ता पूर्ण बीज उपलब्धता के साथ उन्हे जैविक खेती के बारे में भी प्रशिक्षित किए जाने की बात करते हुए उन्होंने रासायनिक खेती से दूर रहने के लिए किसानों से अपील भी की। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती से कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो रही है, लोग सुगर आदि बीमारियों से ग्रस्त होते चले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि काला नमक चावल को सुगर रोगी भी खा सकते हैं। काला नमक की खेती को लेकर उन्होंने बताया कि पहले यह बहुत कम किया जाता था लेकिन अब इसकी खेती का रकबा बढ़ा है। इसकी खेती से किसानों की आय दोगुनी तीन गुनी बढ़ी है क्योंकि काला नमक चावल अब विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि बासमती चावल की तुलना में काला नमक में ज्यादे विटामिन, आयरन है जो सेहत के लिए बेहद ही लाभदायक है। वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि काला नमक को कोई पेटेंट नही करा सकता क्योंकि इसे प्रोटेक्शन प्लान के तहत फार्मर राइट एक्ट से सुरक्षित कर दिया गया है। गौरतलब हो कि कृषि वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी अपना दल एस व्यापार मंच के प्रदेश अध्यक्ष पुष्कर चौधरी के बड़े पिता जी है जिनकी इस उपलब्धि की खबर पाकर बीजेपी समेत एनडीए के सभी घटक दलों के नेताओं ने पुष्कर को फोन कर इस उपलब्धि की बधाई दी है।
 

पूर्वांचल के लिए गौरव के क्षण : पद्मश्री से सम्मानित हुए डॉ रामचेत

नई दिल्ली (विशेष रिपोर्ट_अजय श्रीवास्तव_संपादक_सत्यमेव टाइम्स)

“मंजिले उनको मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नही होता हौसलों से उड़ान होती है”!

किसी मशहूर शायर की इन्ही पंक्तियों को अपने जीवन का गाइड लाइन बना लेने वाले डॉक्टर रामचेत चौधरी ने आज पूर्वांचल वासियों को बड़ी खुशखबरी दी है जो पूर्वांचल के लोगों के लिए किसी गौरव के क्षण के समान ही है। मूलत: संतकबीरनगर जिले के झिंगुरा पार गांव के रहने वाले डॉक्टर रामचेत चौधरी देश के एक जाने माने कृषि वैज्ञानिक हैं जिन्हे भगवान गौतम बुद्ध के आशीर्वाद कहे जाने वाले काला नमक चावल के उन्नत शोध के नाम पर पद्मश्री सम्मान मिला है। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में देश के नामी गिरामी चेहरों के साथ जाने माने राजनैतिक हस्तियों की मौजूदगी में जब मंच से कृषि वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी के नाम की घोषणा हुई तब तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मंच पर पहुंचे डॉ रामचेत चौधरी ने महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू से पद्मश्री सम्मान प्राप्त कर देशवासियों को आश्वस्त किया कि आने वाले दिनों में मशहूर काला नमक धान की अन्य प्रजातियों को विकसित करने के लिए वो गहन शोध करेंगे। कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह से लेकर कई राजनैतिक हस्तियां भी मौजूद रही।

आपको बता दें कि काला नमक चावल को वैश्विक पहचान दिलाने वाले कृषि वैज्ञानिक वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी को आज यानी 22 अप्रैल को देश की राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती द्रोपदी मुर्मू ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया। डॉक्टर रामचेत चौधरी बस्ती मंडल के ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्हे ये सम्मान मिला है। भगवान गौतम बुद्ध का प्रसाद कहे जाने वाले काला नमक धान पर वर्षों तक शोध कर इसे विश्व पटल पर लाने वाले कृषि वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी ने लगातार रिसर्च कर न सिर्फ काला नमक धान की गुणवत्ता में सुधार किया बल्कि उसे शुगर फ्री भी बनाया। उन्होंने इस धान की कई और प्रजातियां तैयार की हैं जिसमे काला नमक 101, 102, 103 और काला नमक किरन शामिल है। मीडिया से बातचीत के दौरान डॉ रामचेत चौधरी ने बताया कि आज महामाहिम के हाथों सम्मान पाकर बहुत ही अच्छा लग रहा है, ये खुशी सिर्फ मेरी नही बल्कि पूरे पूर्वांचल वासियों के लिए है। उन्होंने बताया कि काला नमक की खेती 3 हजार साल पुरानी खेती है जो विलुप्त के कगार पर थी जिसपर उन्होंने वर्षों तक अनुसंधान किया और इसकी चार नई प्रजातियां विकसित की। आगे और भी इस चावल पर अनुसंधान करने की बात भी उन्होंने कही। किसानों को गुणवत्ता पूर्ण बीज उपलब्धता के साथ उन्हे जैविक खेती के बारे में भी प्रशिक्षित किए जाने की बात करते हुए उन्होंने रासायनिक खेती से दूर रहने के लिए किसानों से अपील भी की। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती से कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो रही है, लोग सुगर आदि बीमारियों से ग्रस्त होते चले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि काला नमक चावल को सुगर रोगी भी खा सकते हैं। काला नमक की खेती को लेकर उन्होंने बताया कि पहले यह बहुत कम किया जाता था लेकिन अब इसकी खेती का रकबा बढ़ा है। इसकी खेती से किसानों की आय दोगुनी तीन गुनी बढ़ी है क्योंकि काला नमक चावल अब विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि बासमती चावल की तुलना में काला नमक में ज्यादे विटामिन, आयरन है जो सेहत के लिए बेहद ही लाभदायक है। वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी ने जानकारी देते हुए बताया कि काला नमक को कोई पेटेंट नही करा सकता क्योंकि इसे प्रोटेक्शन प्लान के तहत फार्मर राइट एक्ट से सुरक्षित कर दिया गया है। गौरतलब हो कि कृषि वैज्ञानिक डॉ रामचेत चौधरी अपना दल एस व्यापार मंच के प्रदेश अध्यक्ष पुष्कर चौधरी के बड़े पिता जी है जिनकी इस उपलब्धि की खबर पाकर बीजेपी समेत एनडीए के सभी घटक दलों के नेताओं ने पुष्कर को फोन कर इस उपलब्धि की बधाई दी है।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!