SP सत्यजीत गुप्ता के निर्देशन में शहर कोतवाली पुलिस को मिली सफलता!
कलेक्ट्रेट चौकी इंचार्ज दुर्विजय और उनकी टीम ने किया गिरफ्तार!
शहर कोतवाली क्षेत्र के बरदहिया तिराहे से हुई अभियुक्त की गिरफ्तारी
संतकबीरनगर – जिले के ग्राम प्रधानों, शिक्षकों, कर्मियों से आरटीआई के जरिए ब्लैकमेल कर धनऊगाही करने वाला, लोगों पर फर्जी मुकदमा कराकर सुलह के नाम पर उनसे मोटी रकम वसूलने वाला, न्यायिक मैजिस्ट्रेटों और कर्मियों के खिलाफ उच्च न्यायालय में फर्जी शिकायत करने वाला, दर्जनों मुकदमों में निरुद्ध पेशेवर अपराधी उमेश भट्ट पुत्र योगेंद्र भट्ट निवासी ग्राम धवरिया थाना कोतवाली आखिरकार अपने गुनाहों के चलते फिर से जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया। गत माह 21 मई को कोर्ट लॉबी में अधिवक्ता कुलदीप मिश्र के ऊपर साथियों और अपने सगे भाई रमेश भट्ट के साथ जानलेवा हमला कर कोर्ट और पुलिस के इकबाल को चुनौती देने वाले शातिर अभियुक्त उमेश भट्ट को आज कलेक्ट्रेट चौकी इंचार्ज दुर्विजय और उनकी टीम ने घेराबंदी कर शहर क्षेत्र के बरदहिया तिराहे से धर दबोचा। अब पुलिस उसके भाई तथा अन्य अभियुक्तों की तलाश में जुट गई है। पुलिस का दावा है कि मामले में अन्य अभियुक्त जल्द ही गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। पुलिस अधीक्षक सत्यजीत गुप्ता ने शेष अभियुक्तों की गिरफ्तारी हेतु सर्विलांस और अन्य टीमों को सक्रिय कर दिया है।
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आइए जानते हैं कौन है उमेश भट्ट ? और क्या है उसका आपराधिक इतिहास
शहर कोतवाली क्षेत्र के धवरिया गांव का रहने वाला यह शातिर अभियुक्त (उमेश भट्ट) के कैरियर की शुरुवात पत्रकारिता से हुई। पत्रकारिता के दौरान ही आरटीआई का उसे चस्का लगा। जिले के सभी ग्राम प्रधानों से सूचना मांग कर रुपए वसूलने की कला उसने आरटीआई से सीखा। पत्रकारिता के दौरान एक शिक्षक से वसूली करने के दौरान वो पीटा भी गया था। आरटीआई के जरिए रुपए कमाने की उसे ऐसी लत लगी कि वो भस्मासुर बन बैठा। पत्रकारिता क्षेत्र में स्थापित करने वाले अपने गुरु को उसने अपना पहला शिकार बनाया और उनके घर के प्रधान द्वारा कराए गए विकास कार्यों की सूचना मांग उनसे मोटी रकम वसूली। इसके बाद वो जिले के एक नामी शिक्षक के संबंध में जब आरटीआई से सूचना मांगी तब उसकी अच्छे तरह से धुनाई हुई। मामला कोतवाली तक पहुंचा जहां उसके द्वारा शिक्षक से माफ़ी मांगने पर मामला रफा दफा हुआ। इसके बाद भी उसकी आदत में कोई बदलाव नहीं आया और वो लगातार शैक्षणिक संस्थानों और शिक्षकों, ग्राम प्रधानों से सूचना के एवज में वसूली करने लगा। “रुपए” कमाने की जिद में उसने “ऐसा कोई सगा नही जिसको हमने ठगा नही” की नीति पर काम करना सिखाया। इसी स्लोगन पर काम करते हुए उमेश भट्ट ने उन पत्रकारों के ऊपर भी फर्जी मुकदमा दर्ज कराया जिन्होंने उसके गरीबी के दिनो में उसकी आर्थिक मदद की थी। इसके अलावा न जाने ऐसे कितने लोग है जिनकी हाय आज उसको ऐसी लगी कि वो जेल पहुंच गया।
जिले के विभिन्न थानों में जालसाजी समेत तमाम गंभीर धाराओं का आरोपी उमेश भट्ट उस वक्त लाइम लाइट में आया जब उसने आरटीआई के नाम पर वसूली करने तत्कालीन खलीलाबाद ब्लॉक की बीडीओ श्रीमती तारा देवी के केबिन में पहुंचा और मांगी गई सूचना को नॉट प्रेस करने के एवज में मोटी रकम की डिमांड की। उसके इस मांग को जब बीडीओ श्रीमती तारा देवी ने एक सिरे से खारिज कर दिया तब उमेश भट्ट ने महिला बीडीओ के साथ बदतमीजी करते हुए ऑफिस में तोड़ फोड़ किया और वहां रखे सरकारी अभिलेख फाड़ दिए। इस मामले में कोतवाली पुलिस ने बीडीओ श्रीमती तारा देवी की तहरीर पर केस दर्ज करते हुए उसे जेल भेजा था। बीते वर्ष एसपी आवास के सामने घेराव के मामले में भी पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था।
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कथित किसान संगठन से जुड़कर आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता है उमेश भट्ट!
अपने कारगुजारियों के चलते तमाम मुकदमों में खुद को फंसा देख उमेश भट्ट ने पहले किसान यूनियन की सदस्यता ली, वहां पर जब उसकी मंशा सफल नही हुई तो उसने किसान संगठन भानू ग्रुप से खुद को जोड़ा लेकिन उसकी गतिविधियों से रूबरू होने के बाद संगठन के जिम्मेदारों ने उसे संगठन से अलग कर दिया। इसी बीच उत्तर प्रदेश में अस्तित्व विहीन किसान संगठन चढूनी ग्रुप से सट कर वो इस यूनियन का जिलाध्यक्ष बना और भोले भाले ग्रामीणों को इससे जोड़ते हुए जब चाहा जहां चाहा खुद के स्वार्थ सिद्ध करने में इस्तेमाल किया। किसान संगठन चलाने वाले उमेश भट्ट को कभी किसानों की चिंता नही रही, उसने सिर्फ खुद के स्वार्थ सिद्धि के लिए भोले भाले मासूम लोगों का इस्तेमाल किया। अगर उसके कार्यकाल के दौरान प्रशासन को सौंपे गए ज्ञापनों पर नजर डाला जाए तो उसके ज्ञापनों में किसानों की समस्यायो से ज्यादे खुद की समस्याएं ज्यादे मिलेंगी।