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लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम ने दहेज हत्यारोपित पति को कराया बरी

  • छह साल छह माह 25 दिन तक रहा जिला जेल में निरुद्ध
  • नौ वर्ष पहले सास ने देवर व ननद समेत आठ लोगों के खिलाफ दर्ज कराया था दहेज हत्या का मुकदमा
    संतकबीरनगर : जनपद में लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम की टीम जिला कारागार में निरुद्ध फर्जी तरीके से आरोपित किए गए कैदियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करते हुए लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के चीफ अन्जय कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में डिप्टी संजीव कुमार पांडेय व असिस्टेंट मो. दानिश व प्रज्ञा श्रीवास्तव जमानत व विचारण में अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर न्याय दिलाने का कार्य कर रहे हैं। इसी के चलते बस्ती जिला जेल से लेकर संतकबीरनगर के जिला कारागार में निरुद्ध रहे एक बेकसूर हत्यारोपित पति को न्याय दिलाने में कामयाबी हासिल की है। जेल से छूटकर आए आरोपित पति के आखों से आंसू छलक गए, जब उसने सास के द्वारा स्वयं व परिवार के लोगों को फर्जी तरीके से फंसाने तथा स्वयं को जिला कारागार में छह साल छह माह 25 दिन तक निरुद्ध रहने की बात दुहराई।
    चीफ डिफेंस काउंसिल अन्जय कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बरेली जिले के बहेड़ी थानाक्षेत्र के माथुर रोड, रामलीला बहेड़ी गांव निवासिनी विमलेश ने कोतवाली खलीलाबाद में दिनांक 22 दिसंबर 2015 को मुकदमा दर्ज कराते हुए कहा कि उन्होंने अपनी बेटी का विवाह चार जुलाई 2014 को गोला बाजार खलीलाबाद निवासी श्याम सुंदर गुप्ता के साथ किया था। उनका आरोप था कि विवाह के कुछ दिन के बाद से ससुराल के लोग दहेज की मांग को लेकर उसे बात-बात पर मारते-पीटते रहते थे। उसके एक पुत्र भी पैदा हुआ, जिसकी बाद में मृत्यु हो गई। दिनांक 14 दिसंबर 2015 को उन्हे एक अज्ञात व्यक्ति ने फोन कर बताया कि उसके दामाद श्यामसुंदर उर्फ मक्के, ससुर बालकिशन गुप्ता, ससुर के भाई रामकिशन, देवर राम सुंदर, ननद अन्नू, साधना, आराधना तथा साधना के पति विनोद मिलकर दहेज की मांग को लेकर जलाकर मार डाले और मेडिकल कालेज गोरखपुर लेकर गए हैं वहां से रेफर होने पर लखनऊ गए, जहां दिनांक 18 दिसंबर 2015 को उसकी मृत्यु हो गई। सास द्वारा सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया। आरोपित पति को 29 दिसंबर 2015 व उसके पिता बालकिशन गुप्ता को दो जनवरी 2016 को गिरफ्तार कर जिला कारागार बस्ती भेज दिया गया। विवेचना के उपरांत केवल पति और ससुर के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित हुआ। दौरान मुकदमा ससुर की मृत्यु हो गई।
    अपर जिला व सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक द्वितीय देवेंद्र नाथ गोस्वामी ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता अन्जय कुमार श्रीवास्तव के दलीलों को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के उपरांत अभियोजन पक्ष द्वारा दाखिल साक्ष्य साबित न हो पाने के कारण संदेह का लाभ देते हुए आरोपित को बरी कर दिया है।

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