- न्यायालय सभागार में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ प्रारंभ
संतकबीरनगर : राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशन में शुक्रवार को जनपद न्यायालय के सभागार में मानसिक बीमारी व बौद्धिक अक्षमता वाले व्यक्तियों के अधिकारों के बावत दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जनपद न्यायाधीश महेंद्र प्रसाद चौधरी के कहा कि वर्तमान परिवेश में मानसिक रोगियों के मानवीय अधिकार व मौलिक स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करने की जरुरत है। इसका दायित्व विधिक सेवा प्रदान करने वाले व्यक्तियों का बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि मानसिक बीमारी और बौद्धिक अक्षमता दोनों अलग-अलग शब्द हैं, उनके अंतर को समझते हुए ही सक्रिय योगदान दिया जाना चाहिए। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव व अपर जिला जज महेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत ऐसे व्यक्तियों के लिए समुचित प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्य पर विस्तार से चर्चा किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिनव त्रिपाठी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के रुपरेखा बताते हुए उसके विभिन्न पहलुओं की जानकारी दिया।अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राम रतन ने जिला चिकित्सालय में उपलब्ध सेवाओं के बारे में विस्तार से बताया। डा. तवांगी मणि शुक्ला ने मानसिक बीमारी व बौद्धिक अक्षमता के सूक्ष्म अंतर को बताते हुए उनके इलाज तथा उनके निमित्त बने कानूनों की व्याख्या किया। इस दौरान प्रशिक्षुओं के द्वारा विभिन्न सवाल भी किया गया, जिनका सहजता से उन्होंने जवाब भी दिया। चीफ डिफेंस काउंसिल अन्जय कुमार श्रीवास्तव ने केंद्र सरकार द्वारा मानसिक रोगियों के लिए बनाए गए विभिन्न कानूनों के बारे में बताते हुए उनके मानवीय मूल्यों व मौलिक अधिकारों को प्रोत्साहित करने के बाबत विस्तार से बताया। बाल कल्याण समित के अध्यक्ष राकेश कुमार श्रीवास्तव व डिप्टी डिफेंस काउंसिल संजीव कुमार पांडेय ने अशक्त व्यक्तियों को विधि के अधीन किए गए प्रावधानों व उनके अधिकारों की चर्चा किया। इस दौरान अपर जिला जज रमेश दुबे, कृष्ण कुमार, भूपेंद्र राय, मिमोह यादव, निधि मिश्रा, जिला समाज कल्याण अधिकारी महेंद्र कुमार, पैनल अधिवक्ता इमरान खान, देवेंद्र लाल श्रीवास्तव, रंजू देवी, सुरेश चंद्र पांडेय, पैरा लीगल वालंटियर्स अरविंद राय, त्रिलोकी सिंह, कार्यालय सहायक रामभवन चौधरी, वीरेंद्र कुमार समेत अनेक पैनल अधिवक्ता व पराविधिक स्वयं सेवक उपस्थित रहे।