संत कबीर की तपोभूमि संतकबीरनगर आज भी विकास के दृष्टिकोण से काफी पीछे है।आज भी यह जिला किसी ऐसे भगीरथ को ढूंढ रहा है जिसके प्रयास से शायद जनपद की कुछ तस्वीर बदल जाए। कभी मिनी नोयडा के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले जनपद के अधिकांश उद्योग या तो बन्द हो चले हैं या तो अपनी अंतिम सांस गिन रहे हैं। बुनकरी और बर्तन उद्योग के हब के रूप में माने जाने वाले इस जिले की बदहाली की कहानी किसी से छिपी नही, अब सड़के भी इस जिले की बदहाली की सच्ची दास्तां बयां कर रही है। 2014 में जब प्रचंड बहुमत की मोदी सरकार आई तब बड़े बड़े वायदों के साथ यूपी की तत्कालीन अखिलेश सरकार को बदलने के साथ विकास के नाम पर डबल इंजन की सरकार भाजपा ने जनता से मांगा था, जनता ने भी भाजपा का साथ दिया और वर्ष 2017 में यूपी की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में सौंप विकास का इंतज़ार करने लगी। केंद्र और प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद जिलेवासियों को ये लगने लगा था 01 सांसद, 03 विधायक मिलकर जिले का उत्तरोत्तर विकास करेंगे पर भाजपा केंद्र और प्रदेश में सरकार बनाने के साथ जनता से एक वरदान नगर निकाय चुनाव में मांगते हुए यह तर्क दिया कि डबल इंजन की सरकार से काम नही चलेगा इसलिए निकाय चुनाव में भाजपा को जिताकर जनता ट्रिपल इंजन की यदि सरकार बना दे तो सब मंगल होगा, जनता ने फिर भाजपा का साथ दिया और नगर निकाय चुनाव में भी भाजपा को बड़ी जीत दिला दी, पर ट्रिपल इंजन वाली सरकार ने जनता को विकास की जगह झुनझुना थमा दिया। सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली बीजेपी की ट्रिपल इंजन वाली सरकार भी जिले का विकास नही करा सकी, जिले में नई रेल परियोजना जहां वर्षो से अटकी पड़ी है वहीं उद्योग धंधे भी चौपट है,वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट की योजना भी जिले में अबतक परवान नही चढ़ सकी है, यह योजना फिलहाल फेल ही साबित हुई है, बर्तन कारीगरों को सुविधाएं सिर्फ कागजों में मिल रही, वहीं लोगों के लिए कपड़े बुनने वाले बुनकर भी बदहाली का दंश झेल रहें हैं।बखिरा झील को पर्यटन स्थल बनाने की बात भी सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गयी है। शहर की सड़कों से लेकर ग्रामीण इलाकों की सड़कें जर्जर हैं, योगी सरकार की गड्ढा मुक्त सड़को के दावे भी यहां फेल है।भगवान श्रीराम के नाम पर राजनीति कर सत्ता में आई भाजपा को राम जानकी मार्ग का भी ख्याल नही आया। राम जानकी मार्ग समेत खलीलाबाद को सिद्धार्थनगर जिले को जोड़ने वाली सड़क,खलीलाबाद से अंबेडकर नगर को जोड़ने वाली सड़क इस कदर टूट चुकी है जिसपर चलना जान जोखिम में डालकर चलने जैसा हो गया है। जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग की हालत भी खराब है, राष्ट्रीय राजमार्ग 28 भी हिचकोले खा रहा है, बड़े बड़े गड्ढे रोजना हादसों की वजह बन रहे हैं।सीएम सिटी के करीबी जिला होने के बाबजूद जिले का विकास ठप्प है, वर्षों से चले आ रहे बस डिपो की मांग भी ठंडे बस्ते में हैं।अब फिर से चुनाव आने वाला है, अगले साल की शुरुआत में ही विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में सत्तारूढ़ दल भाजपा एक बार फिर से विकास के नाम पर जनता के दरबार मे हाज़िरी लगाने और उन्हें लुभावने वायदों की पोटली लिए निकल चुकी है।ट्रिपल इंजन की सरकार से विकास नही हो सका अब शायद एक्स्ट्रा बोगी ही बढ़ाने की बात को ही लेकर भाजपा लोगों से वोट मांगे।