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बरसात में मुर्गियों को सी.आर.डी बीमारी से बचाएं किसान:डा.ओपी वर्मा_रिपोर्ट-मनोज शुक्ला - Satyamev Times Media Network.
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है &कृषि विज्ञान केंद्र सोहना में मुर्गी पालकों को दी गयी जानकारी व दवाएं।       सिद्धार्थनगर।सी.आर.डी बीमारी एक जीवाणु जनित रोग है ,जो कि बरसात के दिनों में मुर्गियों में अधिक देखने को मिलता है । इस बीमारी में मुर्गियों को जुकाम एवं बुखार हो जाता है जिसके कारण फार्म में मृत्यु दर बढ़ जाती है जिससे मुर्गी पालक को आर्थिक नुकसान अधिक उठाना पड़ता है। उक्त बातें सोमवार को कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉक्टर ओम प्रकाश ने मुर्गी पालकों को सीआईडी बीमारी से बचाव हेतु प्रदर्शन के अंतर्गत दवाइयां वितरण के दौरान कहीं। इस अवसर पर डा डी पी सिंह ने मुर्गिपालको को केंद्र पर संबोधित कार्यक्रम में कहा। डा सिंह ने बताया कि बरसात के मौसम में यहां वातावरण में बहुत अधिक आद्रता एवम तापमान में उतार चढाव बहुत होने के कारण मुर्गियों में इस बीमारी का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है। मुर्गी फार्म में जब ये बीमारी लग जाती है तो जल्दी ठीक नही होती और मुर्गी फार्म में बहुत नुकसान होने की संभावना हो जाती है। इस बीमारी से बचाव हेतु मुर्गिपालको को बताया कि बाजार में इससे बचाव हेतु कई तरह के एंटीबायोटिक्स मौजूद हैं जिनका मुर्गीपालक अपने फार्म में इस बीमारी के इलाज में प्रयोग करते हैं,लेकिन उन्हें उचित फायदा नहीं होता है और मुर्गी फार्म में बहुत अधिक नुकसान हो चुका होता है। इस बीमारी से बचाव हेतु केंद्र पर बीते 4 वर्षो से परीक्षण किए जा रहे हैं जिनका परिणाम बहुत अच्छे आए हैं। परीक्षण में मुर्गी फार्म में जब चूजों की उम्र 17 दिन हो जाय उस समय 3 दिन अमोक्सिसिलिन एंटीबायोटिक 10 एमजी प्रति किलो वजन एवम लिवर टॉनिक 25 एमएल प्रति 100 किलो वजन के हिसाब से मुर्गी फार्म में एक से डेढ़ घंटे में जितना पानी मुर्गिया पीएं उतने पानी में मिलाकर सुबह दे ,फार्म में मौजूद सभी मुर्गियां दवा का पानी पिए यह सुनिश्चित करने के लिए फार्म में प्रत्येक 15 मिनट के अंतराल पर चक्कर लगाए।जब दवा मिला पूरा पानी मुर्गियां पी ले तब पूरे दिन के लिए साफ पानी बर्तनों में रख दें।ऐसा करने से आप अपनी मुर्गियों को इस जानलेवा बीमारी से बचाव कर सकते हैं । इस अवसर पर मुर्गिपालको में हरिश्चंद्र, नूरुलहाक, पूजाराम चौधरी ,फैजल सईद, जाकिर हुसैन आदि मौजूद रहे।

बरसात में मुर्गियों को सी.आर.डी बीमारी से बचाएं किसान:डा.ओपी वर्मा_रिपोर्ट-मनोज शुक्ला

&कृषि विज्ञान केंद्र सोहना में मुर्गी पालकों को दी गयी जानकारी व दवाएं।

 

 

 

सिद्धार्थनगर।सी.आर.डी बीमारी एक जीवाणु जनित रोग है ,जो कि बरसात के दिनों में मुर्गियों में अधिक देखने को मिलता है । इस बीमारी में मुर्गियों को जुकाम एवं बुखार हो जाता है जिसके कारण फार्म में मृत्यु दर बढ़ जाती है जिससे मुर्गी पालक को आर्थिक नुकसान अधिक उठाना पड़ता है।
उक्त बातें सोमवार को कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉक्टर ओम प्रकाश ने मुर्गी पालकों को सीआईडी बीमारी से बचाव हेतु प्रदर्शन के अंतर्गत दवाइयां वितरण के दौरान कहीं। इस अवसर पर डा डी पी सिंह ने मुर्गिपालको को केंद्र पर संबोधित कार्यक्रम में कहा। डा सिंह ने बताया कि बरसात के मौसम में यहां वातावरण में बहुत अधिक आद्रता एवम तापमान में उतार चढाव बहुत होने के कारण मुर्गियों में इस बीमारी का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है। मुर्गी फार्म में जब ये बीमारी लग जाती है तो जल्दी ठीक नही होती और मुर्गी फार्म में बहुत नुकसान होने की संभावना हो जाती है। इस बीमारी से बचाव हेतु मुर्गिपालको को बताया कि बाजार में इससे बचाव हेतु कई तरह के एंटीबायोटिक्स मौजूद हैं जिनका मुर्गीपालक अपने फार्म में इस बीमारी के इलाज में प्रयोग करते हैं,लेकिन उन्हें उचित फायदा नहीं होता है और मुर्गी फार्म में बहुत अधिक नुकसान हो चुका होता है। इस बीमारी से बचाव हेतु केंद्र पर बीते 4 वर्षो से परीक्षण किए जा रहे हैं जिनका परिणाम बहुत अच्छे आए हैं। परीक्षण में मुर्गी फार्म में जब चूजों की उम्र 17 दिन हो जाय उस समय 3 दिन अमोक्सिसिलिन एंटीबायोटिक 10 एमजी प्रति किलो वजन एवम लिवर टॉनिक 25 एमएल प्रति 100 किलो वजन के हिसाब से मुर्गी फार्म में एक से डेढ़ घंटे में जितना पानी मुर्गिया पीएं उतने पानी में मिलाकर सुबह दे ,फार्म में मौजूद सभी मुर्गियां दवा का पानी पिए यह सुनिश्चित करने के लिए फार्म में प्रत्येक 15 मिनट के अंतराल पर चक्कर लगाए।जब दवा मिला पूरा पानी मुर्गियां पी ले तब पूरे दिन के लिए साफ पानी बर्तनों में रख दें।ऐसा करने से आप अपनी मुर्गियों को इस जानलेवा बीमारी से बचाव कर सकते हैं । इस अवसर पर मुर्गिपालको में हरिश्चंद्र, नूरुलहाक, पूजाराम चौधरी ,फैजल सईद, जाकिर हुसैन आदि मौजूद रहे।

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