सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है     सेमरियावां(संतकबीरनगर)। स्थानीय स्तर पर पशुओं की देखभाल और दवा इलाज मुहैया कराये जाने की सरकारी मंशा पर ग्रहण लग गया है। लोहरौली ठकुराई में दशकों पूर्व लाखों की लागत से बना पशु सेवा केन्द्र बदहाली का शिकार होकर रह गया है। जानकारी व मांग के बाद भी संबंधित जिम्मेदार अनजान बने हुए हैं। दशकों पूर्व लाखों की लागत से शासन ने स्थानीय स्तर पर पशुओं की देखभाल और समुचित चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से लोहरौली ठकुराई में पशु सेवा केन्द्र की स्थापना की गई थी। इससे पशुपालकों तथा क्षेत्रीय लोगों में आस जगी थी कि अब पशुओं के दवा इलाज के लिए इधर उधर नहीं भटकना पड़ेगा। शुरुआत में सब कुछ ठीक चला लेकिन वर्तमान में यह सुविधा खानापूर्ति तक सीमित होकर रह गई है। पशु सेवा केन्द्र का भवन मरम्मत और देखरेख के अभाव में जर्जर हालत में है। जहरीले जीव जन्तुओं की शरण स्थली बनकर रह गया है। परिसर में जलजमाव, टूटे दरवाजे व खिड़कियां, चारों तरफ गंदगी इस पशु सेवा केन्द्र की पहचान बन चुके हैं। वर्तमान में इसका कोई पुरसानेहाल नहीं है। जानकारी व मांग के बाद भी संबंधित जिम्मेदार अनजान बने हुए हैं। क्षेत्रीय ग्रामीण विनोद विश्वकर्मा, अहमद जमाल, नसीम अहमद, अफसर हुसैन, नियाज़ अहमद, गुड्डू विश्वकर्मा, अरूण देव सिंह सहित दर्जनों लोगों ने शासन-प्रशासन से उत्पन्न समस्या के समाधान की गुहार लगाये हैं।       PUBLISH BY-MOHD ADNAN DURRANI

संतकबीरनगर-पशु सेवा केन्द्र लोहरौली बदहाली का शिकार, जिम्मेदार बेखबर_रिपोर्ट-मुहम्मद परवेज अख्तर

 

 

सेमरियावां(संतकबीरनगर)। स्थानीय स्तर पर पशुओं की देखभाल और दवा इलाज मुहैया कराये जाने की सरकारी मंशा पर ग्रहण लग गया है। लोहरौली ठकुराई में दशकों पूर्व लाखों की लागत से बना पशु सेवा केन्द्र बदहाली का शिकार होकर रह गया है। जानकारी व मांग के बाद भी संबंधित जिम्मेदार अनजान बने हुए हैं।
दशकों पूर्व लाखों की लागत से शासन ने स्थानीय स्तर पर पशुओं की देखभाल और समुचित चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से लोहरौली ठकुराई में पशु सेवा केन्द्र की स्थापना की गई थी। इससे पशुपालकों तथा क्षेत्रीय लोगों में आस जगी थी कि अब पशुओं के दवा इलाज के लिए इधर उधर नहीं भटकना पड़ेगा। शुरुआत में सब कुछ ठीक चला लेकिन वर्तमान में यह सुविधा खानापूर्ति तक सीमित होकर रह गई है। पशु सेवा केन्द्र का भवन मरम्मत और देखरेख के अभाव में जर्जर हालत में है। जहरीले जीव जन्तुओं की शरण स्थली बनकर रह गया है। परिसर में जलजमाव, टूटे दरवाजे व खिड़कियां, चारों तरफ गंदगी इस पशु सेवा केन्द्र की पहचान बन चुके हैं। वर्तमान में इसका कोई पुरसानेहाल नहीं है। जानकारी व मांग के बाद भी संबंधित जिम्मेदार अनजान बने हुए हैं। क्षेत्रीय ग्रामीण विनोद विश्वकर्मा, अहमद जमाल, नसीम अहमद, अफसर हुसैन, नियाज़ अहमद, गुड्डू विश्वकर्मा, अरूण देव सिंह सहित दर्जनों लोगों ने शासन-प्रशासन से उत्पन्न समस्या के समाधान की गुहार लगाये हैं।

 

 

 

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