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गोरखपुर-चार चिकित्सा संस्थानों के स्वास्थ्य कर्मियों को पोषण के गुर सिखा रहा एम्स गोरखपुर_रिपोर्ट-विभव पाठक - Satyamev Times Media Network.
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है       दो अलग-अलग बैच में करीब 300 चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को किया जा रहा प्रशिक्षित। मातृ और शिशु पोषण के प्रमुख संदेशों के बारे में दी जा रही जानकारी। गोरखपुर, 18 नवम्बर 2021 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर प्रदेश के चार चिकित्सा संस्थानों के चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को मेडिकल संस्थानों में दिशा-निर्देशों के साथ गुणवत्तायुक्त पोषण के जरूरी टिप्स देने में जुटा है । इसके लिए दो अलग-अलग बैच में करीब 300 चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है । स्वयंसेवी संस्था अलाइव एंड थ्राइव के सहयोग से वर्चुअल माध्यम से मातृ और शिशु पोषण से संबंधित प्रमुख संदेशों और दिशा-निर्देशों के बारे में स्वास्थ्य कर्मियों को जानकारी दी जा रही है । पहले बैच का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है जबकि दूसरे बैच का प्रशिक्षण 25 और 26 नवम्बर को होगा । एम्स गोरखपुर के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. हरिशंकर जोशी ने बताया कि एम्स रायबरेली, एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा, एमएलबी मेडिकल कॉलेज झांसी और एमआर मेडिकल कॉलेज अंबेडकर नगर के चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है । प्रशिक्षण का उद्देश्य मातृ एवं शिशु पोषण को बेहतर बनाने के लिए दिशा-निर्देशों के अनुसार इन संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण सेवा उपलब्ध कराना है । प्रशिक्षण में बताया जा रहा है कि जन्म के तुरंत बाद शिशु को मां का दूध पिलाया जाए और छह महीने तक शिशु को सिर्फ मां का दूध ही दिया जाना चाहिए । छह माह तक पानी या अन्य कोई पेय पदार्थ या खाने की चीज कदापि नहीं देना है । मां का दूध सुपाच्य होता है और इससे पेट की गड़बड़ियों की आशंका नहीं होती है और इससे मां-बच्चे के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है । छह महीने से दो साल की उम्र तक के बच्चे को मां के दूध के साथ-साथ घर का बना ऊपरी आहार भी देना है । बच्चे के पोषण स्तर के लिए उसे बाहर की कोई चीज नहीं देनी है । प्रशिक्षण में गर्भावस्था के दौरान पोषण आहार के महत्व के बारे में भी जानकारी दी जा रही है । बताया जा रहा है कि गर्भवती का आहार ऐसा होना चाहिए कि जिसमें सभी पोषक तत्व मौजूद हों। मसलन हरी साग-सब्जियां, फल, दूध, पनीर, अंडा आदि। आहार में कच्चे फल व सब्जियों के अलावा नट्स एवं सीड्स भी होने चाहिए । गर्भवती को पर्याप्त आहार मिलना चाहिए और उसे सामान्य दिनों की तुलना में आहार की बारम्बरता बढ़ानी होगी । यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज दिल्ली के सामुदायिक चिकित्सा विभाग से डॉ. अनिता गुप्ता, संजय गांधी मेमोरियल चिकित्सा संस्थान दिल्ली से वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मुकेश यादव और अलाइव एंड थ्राइव संस्था से डॉ. प्रवीण शर्मा ने पहले बैच को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया है । अलाइव एंड थ्राइव संस्था के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. राजेंद्र प्रसाद, एम्स गोरखपुर के बाल रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. महिमा मित्तल, डॉ. मनीष कुमार, डॉ. निशा, स्त्री और प्रसूति रोग विभाग से डॉ. प्रीति बाला, डॉ. प्रीति प्रियदर्शिनी, डॉ. प्रीति डिडवानिया, सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग से डॉ. अनिल कोपकर, डॉ. प्रदीप खरया और डॉ. रमाशंकर रथ प्रशिक्षण में सहयोगी हैं ।   PUBLISH BY MOHD ADNAN DURRANI

गोरखपुर-चार चिकित्सा संस्थानों के स्वास्थ्य कर्मियों को पोषण के गुर सिखा रहा एम्स गोरखपुर_रिपोर्ट-विभव पाठक

 

 

 

दो अलग-अलग बैच में करीब 300 चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को किया जा रहा प्रशिक्षित।

मातृ और शिशु पोषण के प्रमुख संदेशों के बारे में दी जा रही जानकारी।

गोरखपुर, 18 नवम्बर 2021

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर प्रदेश के चार चिकित्सा संस्थानों के चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों को मेडिकल संस्थानों में दिशा-निर्देशों के साथ गुणवत्तायुक्त पोषण के जरूरी टिप्स देने में जुटा है । इसके लिए दो अलग-अलग बैच में करीब 300 चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है । स्वयंसेवी संस्था अलाइव एंड थ्राइव के सहयोग से वर्चुअल माध्यम से मातृ और शिशु पोषण से संबंधित प्रमुख संदेशों और दिशा-निर्देशों के बारे में स्वास्थ्य कर्मियों को जानकारी दी जा रही है । पहले बैच का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है जबकि दूसरे बैच का प्रशिक्षण 25 और 26 नवम्बर को होगा ।

एम्स गोरखपुर के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष डॉ. हरिशंकर जोशी ने बताया कि एम्स रायबरेली, एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा, एमएलबी मेडिकल कॉलेज झांसी और एमआर मेडिकल कॉलेज अंबेडकर नगर के चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है । प्रशिक्षण का उद्देश्य मातृ एवं शिशु पोषण को बेहतर बनाने के लिए दिशा-निर्देशों के अनुसार इन संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण सेवा उपलब्ध कराना है ।

प्रशिक्षण में बताया जा रहा है कि जन्म के तुरंत बाद शिशु को मां का दूध पिलाया जाए और छह महीने तक शिशु को सिर्फ मां का दूध ही दिया जाना चाहिए । छह माह तक पानी या अन्य कोई पेय पदार्थ या खाने की चीज कदापि नहीं देना है । मां का दूध सुपाच्य होता है और इससे पेट की गड़बड़ियों की आशंका नहीं होती है और इससे मां-बच्चे के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है । छह महीने से दो साल की उम्र तक के बच्चे को मां के दूध के साथ-साथ घर का बना ऊपरी आहार भी देना है । बच्चे के पोषण स्तर के लिए उसे बाहर की कोई चीज नहीं देनी है ।

प्रशिक्षण में गर्भावस्था के दौरान पोषण आहार के महत्व के बारे में भी जानकारी दी जा रही है । बताया जा रहा है कि गर्भवती का आहार ऐसा होना चाहिए कि जिसमें सभी पोषक तत्व मौजूद हों। मसलन हरी साग-सब्जियां, फल, दूध, पनीर, अंडा आदि। आहार में कच्चे फल व सब्जियों के अलावा नट्स एवं सीड्स भी होने चाहिए । गर्भवती को पर्याप्त आहार मिलना चाहिए और उसे सामान्य दिनों की तुलना में आहार की बारम्बरता बढ़ानी होगी ।

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज दिल्ली के सामुदायिक चिकित्सा विभाग से डॉ. अनिता गुप्ता, संजय गांधी मेमोरियल चिकित्सा संस्थान दिल्ली से वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मुकेश यादव और अलाइव एंड थ्राइव संस्था से डॉ. प्रवीण शर्मा ने पहले बैच को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया है । अलाइव एंड थ्राइव संस्था के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. राजेंद्र प्रसाद, एम्स गोरखपुर के बाल रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. महिमा मित्तल, डॉ. मनीष कुमार, डॉ. निशा, स्त्री और प्रसूति रोग विभाग से डॉ. प्रीति बाला, डॉ. प्रीति प्रियदर्शिनी, डॉ. प्रीति डिडवानिया, सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग से डॉ. अनिल कोपकर, डॉ. प्रदीप खरया और डॉ. रमाशंकर रथ प्रशिक्षण में सहयोगी हैं ।

 

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