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झांसी-नई पद्धतियों और तकनीकों के समावेश से बड़ रही आईवीएफ की सफलता दर-डाॅ दिव्या अग्रवाल_रिपोर्ट -विवेक राजपूत - Satyamev Times Media Network.
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है झांसी। मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर ने इलेक्ट्रॉनिक विटनेस तकनीक को अपनाया है। यह बुंदेलखंड का पहला आईवीएफ सेंटर है जो आईवीएफ विटनेश सिस्टम तथा आईवीएफ प्रयोगशाला में सभी गतिविधियों का पता लगाता है और उनकी निगरानी करता है। यह बात मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर की आईवीएफ स्पेशलिस्ट तथा वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ दिव्या अग्रवाल ने पत्रकारवार्ता के दौरान कही। मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर की आईवीएफ स्पेशलिस्ट तथा वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ दिव्या अग्रवाल ने पत्रकारवार्ता के दौरान बताया कि हमारी सफलता दर इसलिए अधिक होती है क्योंकि हमारे सेन्टर में सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली विश्वस्तरीय यूएस एफडीए से स्वीकृत वाली दवाई तथा इन्जेक्शन का प्रयोग किया जाता है तथा गुणवत्ता नियंत्रण का ध्यान रखा जाता है। डाॅ दिव्या अग्रवाल ने कहा कि यह सिस्टम मानवीय त्रुटि के जोखिम को कम करने में मदद करता है तथा हर बार जब नमूने एक डिश या ट्यूब से दूसरे में ले जाए जाते हैं, और आईवीएफ चक्र के हर चरण को सुरक्षित करते हैं। मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर ने अपने क्लीनिकों में एक नई तकनीक, स्पोवम विटनेस प्रणाली पेश की है। यह रोगी के विश्वास को सुनिश्चित करता है कि उपचार के दौरान उनके नमूने सुरक्षित हैं। मानवीय त्रुटियों के लिए कुछ जगह हो सकती है। इसलिए मानवीय भूल के इस दायरे को खत्म करने के लिए मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर आईवीएफ इलेक्ट्रॉनिक विटनिंग सिस्टम को अपनाती है। इलेक्ट्रॉनिक साक्षी तकनीक यह सुनिश्चित करने के लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी आईडी तकनीक का उपयोग करती है कि आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान उपयोग किए गए नमूने पूरी तरह से सुरक्षित हैं। यह कंपनियों को शून्य त्रुटि के साथ उपचार करने पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है। इलेक्ट्रॉनिक विटनेसिंग मरीजों को आश्वस्त करता है कि प्रक्रिया बेहद सुरक्षित है और अगर प्रत्येक जोड़े के आरएफआईडी टैग मेल नहीं खाते हैं तो मशीन खुद को लॉक कर लेती है। यह आईवीएफ उपचार की शुरुआत से काम करता है जब रोगी को एक गवाह आईडी कार्ड सौंपा जाता है, जिसमें उनकी पहचान होती है, शुक्राणु, अंडे और भ्रुण को फ्रीज करने और अंत में भ्रुण स्थानांतरण के लिए। नई तकनीक को लाने पर टिप्पणी करते हुए मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर के लैब निदेशक धीरज सिंह राणावत ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक साक्षीकरण हमारे द्वारा लागू किया जा रहा है और यह मानव हस्तक्षेप को कम करने, समय बचाने और भ्रुण विज्ञान प्रयोगशाला में दक्षता में सुधार करने में मदद करता है। यह आईवीएफ प्रयोगशाला प्रक्रिया में डिजिटलीकरण की दिशा में एक नया कदम है।   PUBLISH BY MOHD ADNAN DURRANI

झांसी-नई पद्धतियों और तकनीकों के समावेश से बड़ रही आईवीएफ की सफलता दर-डाॅ दिव्या अग्रवाल_रिपोर्ट -विवेक राजपूत

झांसी। मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर ने इलेक्ट्रॉनिक विटनेस तकनीक को अपनाया है। यह बुंदेलखंड का पहला आईवीएफ सेंटर है जो आईवीएफ विटनेश सिस्टम तथा आईवीएफ प्रयोगशाला में सभी गतिविधियों का पता लगाता है और उनकी निगरानी करता है। यह बात मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर की आईवीएफ स्पेशलिस्ट तथा वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ दिव्या अग्रवाल ने पत्रकारवार्ता के दौरान कही।
मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर की आईवीएफ स्पेशलिस्ट तथा वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डाॅ दिव्या अग्रवाल ने पत्रकारवार्ता के दौरान बताया कि हमारी सफलता दर इसलिए अधिक होती है क्योंकि हमारे सेन्टर में सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली विश्वस्तरीय यूएस एफडीए से स्वीकृत वाली दवाई तथा इन्जेक्शन का प्रयोग किया जाता है तथा गुणवत्ता नियंत्रण का ध्यान रखा जाता है। डाॅ दिव्या अग्रवाल ने कहा कि यह सिस्टम मानवीय त्रुटि के जोखिम को कम करने में मदद करता है तथा हर बार जब नमूने एक डिश या ट्यूब से दूसरे में ले जाए जाते हैं, और आईवीएफ चक्र के हर चरण को सुरक्षित करते हैं। मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर ने अपने क्लीनिकों में एक नई तकनीक, स्पोवम विटनेस प्रणाली पेश की है। यह रोगी के विश्वास को सुनिश्चित करता है कि उपचार के दौरान उनके नमूने सुरक्षित हैं। मानवीय त्रुटियों के लिए कुछ जगह हो सकती है। इसलिए मानवीय भूल के इस दायरे को खत्म करने के लिए मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर आईवीएफ इलेक्ट्रॉनिक विटनिंग सिस्टम को अपनाती है। इलेक्ट्रॉनिक साक्षी तकनीक यह सुनिश्चित करने के लिए रेडियोफ्रीक्वेंसी आईडी तकनीक का उपयोग करती है कि आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान उपयोग किए गए नमूने पूरी तरह से सुरक्षित हैं। यह कंपनियों को शून्य त्रुटि के साथ उपचार करने पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है। इलेक्ट्रॉनिक विटनेसिंग मरीजों को आश्वस्त करता है कि प्रक्रिया बेहद सुरक्षित है और अगर प्रत्येक जोड़े के आरएफआईडी टैग मेल नहीं खाते हैं तो मशीन खुद को लॉक कर लेती है। यह आईवीएफ उपचार की शुरुआत से काम करता है जब रोगी को एक गवाह आईडी कार्ड सौंपा जाता है, जिसमें उनकी पहचान होती है, शुक्राणु, अंडे और भ्रुण को फ्रीज करने और अंत में भ्रुण स्थानांतरण के लिए। नई तकनीक को लाने पर टिप्पणी करते हुए मेवा चौधरी धीरज टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर के लैब निदेशक धीरज सिंह राणावत ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक साक्षीकरण हमारे द्वारा लागू किया जा रहा है और यह मानव हस्तक्षेप को कम करने, समय बचाने और भ्रुण विज्ञान प्रयोगशाला में दक्षता में सुधार करने में मदद करता है। यह आईवीएफ प्रयोगशाला प्रक्रिया में डिजिटलीकरण की दिशा में एक नया कदम है।

 

PUBLISH BY MOHD ADNAN DURRANI

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