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गोरखपुर-पत्रकार समाज का आईना:-:राजा बुंदेला_रिपोर्ट-विभव पाठक - Satyamev Times Media Network.
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है   गोरखपुर। जर्नलिस्ट्स प्रेसक्लब गोरखपुर के तत्वाधान में विजय चौक पर ब्लैक हार्स में ‘धर्म संस्कृति व आज का समय ‘विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बतौर मुख्य अतिथि फिल्म अभिनेता व बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष राजा बुंदेला मौजूद रहे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पत्रकार की कलम से चीजें बनती व बिगड़ती हैं। हमे नही लगता कि आज के व्यवस्था में किसी चीज को अप्रबचनों के माध्यम से सुनना चाहिए। आज की परिस्थितियों में हम कहां खो रहे हैं हमे अपने को समझने की कोशिश करना चाहिए । हमारा आध्यात्म तक जागेगा ,जब हम अपनी खुद की खोज करें। सोचे हमने समाज को क्या दिया और अपने बारे में स्वयं समझें एक बार समाज की व्यवस्था में जोड़ने की कोशिश करें। तभी अपना दोष मालूम पड़ेगा, पहले हमें व्यवस्था में जुड़ना होगा,मैंने सोचा अब बम्बई की आराम का जीवन छोड़ा ,तब प्रतिदिन काफी धन कमा रहा। मैं मुम्बई छोड़ कर आया और सिस्टम को बुंदेलखंड लाए हैं हमने संस्कृति को खुद खत्म किया है। हमे माला मंच और नारे को लेना बंद कर देना चाहिये। लोगों के पीछे घूमना बंद कर दीजिए हम कहते है कि आप विद्रोह मत करिए लेकिन द्रोह तो करिए अपनी बात रखिए हम जिसको चाहे उसके हिसाब से धर्म बना लिया है मुगलाई अंग्रेज आए हिंदुओं को अनेक जातियों में बांटा नष्ट करने की कोशिश की लेकिन धर्म नष्ट नही हुआ। हम आज भी हैं आगे भी रहेंगे। यदि हम नही चेते तो यह मुल्ला व धर्म गुरु सब समाप्त कर देंगे। उन्होंने कहा कि नौजवानों की दशा व दिशा बदलनी है विचारधारा नहीं, यदि गलत हो रहा है तो हम उसे गलत तो कहें। धर्म कहता है कि सही समय पर सही निर्णय करेंगे तभी धर्म और समाज की रक्षा कर पाएंगे। हम सब मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें ताकि धर्म संस्कृति को व्यवस्थित कर सके। यदि समय रहते विचारों में परिवर्तन नहीं लाया गया तो सब नष्ट हो जाएगा जिन बच्चों की परवरिश गूगल युटुब विकीपीडिया में हो रही है वह कौन सा संस्कार पाएगी और कौन सा जानकारी अब लेंगी। हमारी इसी व्यवस्था में झांसी की रानी, महात्मा गांधी सुभाष चंद बोस पैदा हुए। सच के लिए लड़ना तो हमारे खून में है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व संपादक सुजीत पाण्डेय ने कहा कि यह कलयुग का पहला चैप्टर है सनातन संस्कृति इसकी संस्थाएं हैं धर्म अध्यात्म संस्कृति और यह समय मनुष्य की सर्वोच्च योनि है भगवान ने मनुष्य को छोड़कर सभी की कृतियां फिक्स कर दी है सिर्फ मनुष्य के छोड़ दिया है काम क्रोध मोह लोभ में जीने के लिए पृथ्वी पर भेजा है सुख-दुख जब तक बराबर नहीं होगा तब तक यह सिलसिला चलता रहेगा। धर्म आध्यात्मिक विचारों की शुद्धता को कहते हैं भाव निस्वार्थ होकर सेवा करना ही धर्म है मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं धर्म का मतलब आचरण से है वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे ने कहा कि जर्नी टू सोसाइटी पत्रकारिता है। जिस दिन स्वयं का अध्ययन व ध्यान से आप अपनी आत्मा की खोज कर लेंगे। जो भाव प्रत्येक जीव के एक एक शरीर पृथक रहता है वही अध्यात्म है। स्वभाव का अध्ययन ही अध्यात्म है मनुष्य द्वारा बनाए गए व्यवहारिक पक्ष है अध्यात्म और धर्म से संस्कृति बनती है। वरिष्ट पत्रकार काजी अब्दुल रहमान ने कहा कि समाज में रहकर जो हम कर्म करते हैं और सेवा करते हैं वही धर्म है और हमें अपने कर्मों को करते रहना चाहिए। वरिष्ट पत्रकार राकेश सारस्वत ने कहा कि आध्यात्मिक संस्कृति को आज का सामाजिक विषय है यह बहुत ही महत्वपूर्ण और बड़ा है विस्तृत है हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिये। इसके पूर्व कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रेसक्लब अध्यक्ष मार्कण्डेय मणि त्रिपाठी ने किया व धन्यवाद ज्ञापन महामंत्री मनोज यादव ने किया। इस अवसर पर कार्यकारिणी द्वारा मुख्य अतिथि राजा बुंदेला व विशिष्ठ अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया साथ ही वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र मिश्र दीपक को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर भारी संख्या में मीडियाकर्मी व शहर के प्रतिष्ठित लोग मौजूद थे।

गोरखपुर-पत्रकार समाज का आईना:-:राजा बुंदेला_रिपोर्ट-विभव पाठक

 

गोरखपुर। जर्नलिस्ट्स प्रेसक्लब गोरखपुर के तत्वाधान में विजय चौक पर ब्लैक हार्स में ‘धर्म संस्कृति व आज का समय ‘विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बतौर मुख्य अतिथि फिल्म अभिनेता व बुंदेलखंड विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष राजा बुंदेला मौजूद रहे।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पत्रकार की कलम से चीजें बनती व बिगड़ती हैं। हमे नही लगता कि आज के व्यवस्था में किसी चीज को अप्रबचनों के माध्यम से सुनना चाहिए।
आज की परिस्थितियों में हम कहां खो रहे हैं हमे अपने को समझने की कोशिश करना चाहिए । हमारा आध्यात्म तक जागेगा ,जब हम अपनी खुद की खोज करें। सोचे हमने समाज को क्या दिया और अपने बारे में स्वयं समझें एक बार समाज की व्यवस्था में जोड़ने की कोशिश करें। तभी अपना दोष मालूम पड़ेगा, पहले हमें व्यवस्था में जुड़ना होगा,मैंने सोचा अब बम्बई की आराम का जीवन छोड़ा ,तब प्रतिदिन काफी धन कमा रहा। मैं मुम्बई छोड़ कर आया और सिस्टम को बुंदेलखंड लाए हैं हमने संस्कृति को खुद खत्म किया है। हमे माला मंच और नारे को लेना बंद कर देना चाहिये। लोगों के पीछे घूमना बंद कर दीजिए हम कहते है कि आप विद्रोह मत करिए लेकिन द्रोह तो करिए अपनी बात रखिए हम जिसको चाहे उसके हिसाब से धर्म बना लिया है मुगलाई अंग्रेज आए हिंदुओं को अनेक जातियों में बांटा नष्ट करने की कोशिश की लेकिन धर्म नष्ट नही हुआ। हम आज भी हैं आगे भी रहेंगे। यदि हम नही चेते तो यह मुल्ला व धर्म गुरु सब समाप्त कर देंगे।
उन्होंने कहा कि नौजवानों की दशा व दिशा बदलनी है विचारधारा नहीं, यदि गलत हो रहा है तो हम उसे गलत तो कहें। धर्म कहता है कि सही समय पर सही निर्णय करेंगे तभी धर्म और समाज की रक्षा कर पाएंगे। हम सब मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें ताकि धर्म संस्कृति को व्यवस्थित कर सके। यदि समय रहते विचारों में परिवर्तन नहीं लाया गया तो सब नष्ट हो जाएगा जिन बच्चों की परवरिश गूगल युटुब विकीपीडिया में हो रही है वह कौन सा संस्कार पाएगी और कौन सा जानकारी अब लेंगी। हमारी इसी व्यवस्था में झांसी की रानी, महात्मा गांधी सुभाष चंद बोस पैदा हुए। सच के लिए लड़ना तो हमारे खून में है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व संपादक सुजीत पाण्डेय ने कहा कि यह कलयुग का पहला चैप्टर है सनातन संस्कृति इसकी संस्थाएं हैं धर्म अध्यात्म संस्कृति और यह समय मनुष्य की सर्वोच्च योनि है भगवान ने मनुष्य को छोड़कर सभी की कृतियां फिक्स कर दी है सिर्फ मनुष्य के छोड़ दिया है काम क्रोध मोह लोभ में जीने के लिए पृथ्वी पर भेजा है सुख-दुख जब तक बराबर नहीं होगा तब तक यह सिलसिला चलता रहेगा। धर्म आध्यात्मिक विचारों की शुद्धता को कहते हैं भाव निस्वार्थ होकर सेवा करना ही धर्म है मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं धर्म का मतलब आचरण से है

वरिष्ठ पत्रकार राघवेंद्र दुबे ने कहा कि जर्नी टू सोसाइटी पत्रकारिता है। जिस दिन स्वयं का अध्ययन व ध्यान से आप अपनी आत्मा की खोज कर लेंगे। जो भाव प्रत्येक जीव के एक एक शरीर पृथक रहता है वही अध्यात्म है। स्वभाव का अध्ययन ही अध्यात्म है मनुष्य द्वारा बनाए गए व्यवहारिक पक्ष है अध्यात्म और धर्म से संस्कृति बनती है।
वरिष्ट पत्रकार काजी अब्दुल रहमान ने कहा कि समाज में रहकर जो हम कर्म करते हैं और सेवा करते हैं वही धर्म है और हमें अपने कर्मों को करते रहना चाहिए।
वरिष्ट पत्रकार राकेश सारस्वत ने कहा कि आध्यात्मिक संस्कृति को आज का सामाजिक विषय है यह बहुत ही महत्वपूर्ण और बड़ा है विस्तृत है हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिये।
इसके पूर्व कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रेसक्लब अध्यक्ष मार्कण्डेय मणि त्रिपाठी ने किया व धन्यवाद ज्ञापन महामंत्री मनोज यादव ने किया।

इस अवसर पर कार्यकारिणी द्वारा मुख्य अतिथि राजा बुंदेला व विशिष्ठ अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया साथ ही वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र मिश्र दीपक को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर भारी संख्या में मीडियाकर्मी व शहर के प्रतिष्ठित लोग मौजूद थे।

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