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बसपा के आफ़ताब: कम्प्यूटर प्रोग्रामर से लेकर अब तक का सफ़र - Satyamev Times Media Network.
सत्यमेव टाइम्स में आपका स्वागत है [caption id="attachment_11918" align="alignnone" width="300"] जनता के मन मे बसे हैं आफ़ताब[/caption] UP विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों के द्वारा बनाए गए उम्मीदवार राजनीति में एंट्री के पहले क्या करते थे? राजनीति के क्षेत्र में वो कैसे आये? कितनी शिक्षा है उनकी? राजनीति में आने का क्या है उनका उद्देश्य? ये सब जानने के लिए आज हमने संतकबीरनगर जिले की सदर विधानसभा सीट से बसपा उम्मीदवार बनाये गए आफ़ताब आलम उर्फ़ गुड्डू भैया से खास बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि राजनीति में आने से पहले मैं एक स्टूडेंट था, और मैं एक कंप्यूटर प्रोग्रामर था, मैंने बिजनेस के साथ राजनीति की शुरुआत की, जब मैं उन्नीस साल का था तब साल 1999 में मैंने बनारस में बसपा को ज्वाइन किया, मैंने पार्टी के संगठन में जमीन पर काम किया और बैनर पोस्टर लगाने समेत अन्य कार्य भी किए। 2005 में मैंने जिला पंचायत का चुनाव लड़ा लेकिन मात्र कुछ वोटों से हार गया तथा 2010 में जिला पंचायत का चुनाव 22 सौ से अधिक वोटों से जीता।मैं किसान परिवार में जन्मा तथा मेरी तीसरी पीढ़ी भी किसान थी, मेरे दादा और पिता भी समाजसेवी थे और मैंने भी समाजसेवा की लेकिन साथ साथ राजनीति भी करता रहा। बाहरी प्रत्याशी के सवाल पर आफताब आलम ने कहा कि वह बाहरी नहीं क्योंकि उनके दादा का स्वतंत्रता सेनानियों में नाम हैं और पुरखे खलीलाबाद में आज भी हैं और वह इस क्षेत्र को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले

बसपा के आफ़ताब: कम्प्यूटर प्रोग्रामर से लेकर अब तक का सफ़र

जनता के मन मे बसे हैं आफ़ताब

UP विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों के द्वारा बनाए गए उम्मीदवार राजनीति में एंट्री के पहले क्या करते थे? राजनीति के क्षेत्र में वो कैसे आये? कितनी शिक्षा है उनकी? राजनीति में आने का क्या है उनका उद्देश्य? ये सब जानने के लिए आज हमने संतकबीरनगर जिले की सदर विधानसभा सीट से बसपा उम्मीदवार बनाये गए आफ़ताब आलम उर्फ़ गुड्डू भैया से खास बातचीत की जिसमें उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि राजनीति में आने से पहले मैं एक स्टूडेंट था, और मैं एक कंप्यूटर प्रोग्रामर था, मैंने बिजनेस के साथ राजनीति की शुरुआत की, जब मैं उन्नीस साल का था तब साल 1999 में मैंने बनारस में बसपा को ज्वाइन किया, मैंने पार्टी के संगठन में जमीन पर काम किया और बैनर पोस्टर लगाने समेत अन्य कार्य भी किए। 2005 में मैंने जिला पंचायत का चुनाव लड़ा लेकिन मात्र कुछ वोटों से हार गया तथा 2010 में जिला पंचायत का चुनाव 22 सौ से अधिक वोटों से जीता।मैं किसान परिवार में जन्मा तथा मेरी तीसरी पीढ़ी भी किसान थी, मेरे दादा और पिता भी समाजसेवी थे और मैंने भी समाजसेवा की लेकिन साथ साथ राजनीति भी करता रहा। बाहरी प्रत्याशी के सवाल पर आफताब आलम ने कहा कि वह बाहरी नहीं क्योंकि उनके दादा का स्वतंत्रता सेनानियों में नाम हैं और पुरखे खलीलाबाद में आज भी हैं और वह इस क्षेत्र को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाले

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