अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष तथा समाजवादी व्यापार सभा के पूर्व जिला अध्यक्ष श्रवण कुमार अग्रहरि ने आज समाजवादी पार्टी को अलविदा कह प्राथमिक तथा सक्रिय सदस्यता से त्यागपत्र देते हुए छोड़ दिया।
व्यापारियों तथा अग्रहरि समाज में मजबूत पैठ रखने वाले तेजतर्रार व्यापारी नेता श्रवण कुमार अग्रहरि, सपा को व्यापारियों के हितों से विमुख होने तथा वैश्य समाज की पार्टी में लगातार उपेक्षा तथा उसमें जातिवाद व तुष्टीकरण हाबी होता देख वे समाजवादी पार्टी को छोड़ने पर विवश हो गए। वर्तमान में वह उत्तर प्रदेश के लाखों लोगो के चहेते हैं। अग्रहरि समाज उत्तर प्रदेश के निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व निभा रहे हैं। आज अपने हजारों समर्थकों के साथ उन्होने समाजवादी पार्टी का भरे मन से परित्याग कर दिया।
उनकी अगली मंजिल कौन सी पार्टी होगी, देखना होगा ।वर्तमान मे अग्रहरि समाज ( रजि.) उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष तथा अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, संतकबीरनगर के जिला अध्यक्ष का दायित्व निभाने के साथ साथ टैक्स बार एसोसिएशन, संत कबीर नगर का दायित्व भी निभा रहे हैं।श्रवण अग्रहरि ने अभी तक जिले में व्यापारिक, सामाजिक के साथ व्यावासायिक दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया है। चाहे व्यापार मंडल के हो या छात्र संघ के, अग्रहरि समाज के या फिर टैक्स बार एसोसिएशान के दायित्व हों। हर दायित्व को उन्होने निष्ठा एवं सक्रियता के साथ अपनी तेजतर्रार एवं जुझारू छवि के अनुरूप निभाया है।
दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान उन्होने न्यायिक समिति का चुनाव लड़ा तथा भारी मतों से विजयी होने के साथ सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हो चुके थे।शुरुआती दौर से ही समाजवाद की विचारधारा से प्रभावित होकर समाजवादी पार्टी को चुना। पार्टी की सदस्यता ग्रहण की तथा विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया। लेकिन
वैश्य समाज की लगातार उपेक्षा, संगठनात्मक स्तर पर व्यापारी समाज के हित में कभी भी आवाज नहीं उठाने तथा उनके हितों के लिए संघर्ष न करने, राष्ट्रीयता से इतर हटकर काम किये जा रहे हैं। निरन्तर सनातन मान बिन्दुओं पर शाब्दिक प्रहार किए जाते रहे। पार्टी किसी धर्म या जाति विशेष की नहीं होती है, बल्कि वह सभी की बराबर होती है। विपक्ष के विरोध में नैतिकता तथा राष्ट्रवाद को उन्होने ताक पर रख दिया। *नतीजा यह हुआ कि आज कानपुर, लखनऊ, फतेहपुर, वाराणसी, गाजीपुर, मिर्जापुर, भदोही रायबरेली प्रतापगढ़ सुल्तानपुर ,अयोध्या बस्ती, संत कबीर नगर, गोरखपुर, महाराजगंज सहित 40 जनपदों के व्यापारियों / वैश्य समाज के हजारो लोगों के साथ पार्टी को छोड़ने पर विवश होना पड़ा।